भक्तों की भेंट से भरा महाकाल का खजाना
उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। महाकाल महालोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में बढौतरी हुई है। प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख भक्त महाकाल मंदिर पहुंच रहे हैं। इसके साथ मंदिर में अर्पण राशि भी बढती जा रही है। भक्तों की भेंट से राजा महाकाल का खजाना भर गया है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार 1 जनवरी 2023 से 1 जनवरी 2024 तक सालभर में एक अरब 69 करोड़ 73 लाख 73 हजार 631 रुपये की आय प्राप्त हुई है। उधर ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग में भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की साथ आय में भी वृद्धि हुई है।महाकालेश्वर मंदिर समिति को यह आय 250 रुपये की शीघ्र दर्शन टिकट, 750 रुपये की जल अर्पण रसीद, 200 रुपये भस्म आरती शुल्क, भेंट पेटी में प्राप्त अर्पण राशि तथा विभिन्न माध्यमों से प्राप्त दान राशि से हुई है। लड्डू प्रसाद के विक्रय से भी मंदिर को राशि प्राप्त होती है लेकिन मंदिर समिति लागत मूल्य पर लड्डू प्रसाद का विक्रय करती है। इसलिए इस मद से प्राप्त राशि को आय में नहीं जोड़ा जाता है।
ओंकारेश्वर ट्रस्ट की आय में भी ढाई गुना बढौतरी
उज्जैन में महाकाल लोक निर्माण और ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर आदिगुरु शंकराचार्य की 120 फीट ऊंची मूर्ति स्थापना के बाद से यहां भी श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है। इससे मंदिर ट्रस्ट की आय में इजाफा और क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ओंकारेश्वर तीर्थ में प्रतिदिन 30 से 35 हजार श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। विशेष पर्व और त्योहार पर यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
पहले सामान्य दिनों में 10 से 15 हजार श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग दर्शन और नर्मदा स्नान के लिए पहुंचते थे। यहां प्रस्ताविक ओंकार प्रकल्प के बाद श्रद्धालु और पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का संचालन श्रीजी ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। 2 साल पहले तक मंदिर की वार्षिक आय पांच से छह करोड रुपए थी जो अब 11 से 12 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। मंदिर में मुख्य आय भगवान को अर्पण की जाने वाली चढ़ावा राशि के अलावा,वीआइपी दर्शन टिकिट और प्रसादी के विक्रय से होती है। ओंकारेश्वर मंदिर की दानपेटी दो से तीन माह में खोली जाती है। दिसबंर 23 तक साढ़े दस करोड़ की आय हो चुकी है।(वीएनएस)