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महाकुम्भ में 50 स्नान घाटों के 12 किमी लंबे जल यातायात मार्ग पर नदी यातायात प्रबंधन योजना होगी लागू

एकल मार्ग में होगा यातायात, रिवर लाइन में ही बनेंगे जल चौराहे.जल यातायात प्रबंधन के लिए 2000 से अधिक जल ट्रैफिक पुलिस के जवान होंगे तैनात.

  • महाकुम्भ में जल यातायात नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने तैयार की नदी यातायात प्रबंधन योजना
  • जल यातायात के सुचारू संचालन के लिए यमुना नदी में 4 किमी लंबी रिवर लाइन का हो रहा है निर्माण

महाकुम्भ नगर : प्रयागराज में 13 जनवरी से आयोजित होने जा रहे आस्था के जन समागम में आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने नदी यातायात प्रबंधन योजना तैयार की है। महाकुम्भ के सभी 50 घाटों के लिए यह योजना लागू हो रही है जिसके लिए नियमित अभ्यास भी किया जा रहा है।

50 स्नान घाटों में स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए तैयार हुई जल यातायात प्रबंधन योजना

प्रयागराज महाकुम्भ में 4000 से अधिक नावों का संचालन होगा। सड़क यातायात प्रबंधन योजना की तर्ज पर ही जल पुलिस ने महाकुम्भ-2025 के लिए 12 किलोमीटर क्षेत्र में नदी यातायात और सुरक्षा प्रबंधन योजना बनाई है। सड़क डिवाइडर और ट्रैफिक चौराहों की तरह ही जल पुलिस कर्मियों द्वारा संचालित फ्लोटिंग रिवर लाइन और नदी ट्रैफिक चौराहे बनाए जा रहे हैं। एसएसपी महाकुम्भ राजेश द्विवेदी का कहना है कि जल यातायात व्यवस्था के अंतर्गत यमुना नदी में 4 किलोमीटर लंबी रिवर लाइन का निर्माण होना है, जिसमें 500 मीटर की रिवर लाइन अभी तक बन चुकी है। डीप वॉटर बैरिकेटिंग बॉक्स से यह रिवर लाइन बन रही है जिसमें आठ से दस मीटर पर प्लेटफॉर्म भी बन रहे हैं जिन्हें जल चौराहों की तरह जल पुलिस इस्तेमाल करेगी। एकल मार्ग में ही नावों का संचालन होगा।

जल पुलिस और सहयोगी एजेंसियों के 2000 जवान तैनात

इस विशाल धार्मिक मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कई सुरक्षा प्रबंधन उपाय किए जाएंगे, जिनमें भारतीय नौसेना के 25 प्रशिक्षित समुद्री गोताखोर शामिल हैं, जो चौबीसों घंटे निगरानी रखेंगे। इसके अलावा पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी इस कार्य में सहयोग करेंगी। उप पुलिस अधीक्षक (जल पुलिस) रजनीश यादव के अनुसार, मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए 50 स्नान घाटों वाले 12 किलोमीटर के क्षेत्र को जल बैरिकेडिंग प्रणाली से सुरक्षित किया गया है, जिसमें जाल के साथ फ्लोटिंग ब्लॉक शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीएसी की 10 कंपनियों में 800 प्रशिक्षित कार्मिक, एसडीआरएफ के 150 सदस्य, एनडीआरएफ की 12 टीमों के अलावा जल पुलिस के 35 प्रशिक्षित गोताखोरों की एक कोर टीम शामिल है, जो प्रबंधन और बचाव कार्यों का समन्वय करेगी। इसके अलावा 12 किलोमीटर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फैले 17 सब स्टेशनों के अलावा एक फ्लोटिंग ट्रैफिक कंट्रोल स्टेशन भी स्थापित किया जाएगा। प्रशिक्षित गोताखोर डूबने की स्थिति में ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी साथ लेकर चलेंगे और यदि ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो मुख्य यातायात नियंत्रण स्टेशन के अलावा कुछ अन्य स्थानों पर पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडरों को मौके पर ही भरने के लिए विशेष ऑक्सीजन कंप्रेसर मशीनें भी लगाई गई हैं।

12 जेटी का भी होगा निर्माण

मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए 12 जेटी का निर्माण होगा। सेना की तरफ से मौजूदा सुरक्षा योजना को बढ़ाने के लिए सरस्वती घाट और किला घाट के बीच एक जेटी स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा डायल 112 सेवा भी इसकी निगरानी के लिए अपना फ्लोटिंग स्टेशन स्थापित करेगी। 12 किलोमीटर के सुरक्षित जल क्षेत्र में मेला प्रशासन, सिंचाई विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा जेटी और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाएं भी की जाएंगी।

नाविकों के साथ साझा की जा रही है रणनीति

महाकुम्भ में वैसे तो 6000 से अधिक चप्पू वाली नावों के संचालन को लाइसेंस जारी होना है लेकिन अभी 4000 नावों के संचालन की ही जल पुलिस से अनुमति मिली है। सीओ जल पुलिस के मुताबिक जल यातायात प्रबंधन की योजना से नाविकों को भी जोड़ा जा रहा है। प्रयागराज नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद ने कहा कि 6000 से अधिक नावों के मालिकों को मेला प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों से अवगत करा दिया गया है। निरंतर जल पुलिस और अन्य एजेंसियों के निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

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