
पणजी : गोवा के बीच पर छुट्टियां मनाने और आराम करने के इरादे से पहुंचे पर्यटकों को जेलीफिश के डंक का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि बीते दो दिनों में गोवा के कई बीच पर जेलीफिश के डंक मारने के 90 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। आलम यह है कि राज्य की लाइफगार्ड एजेंसी ने इसे लेकर गुरुवार को एक एडवाइजरी भी जारी की है। एजेंसी ने बीच पर जाने वाले लोगों से ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने की अपील की है।
गोवा सरकार की ओर से तैनात की गई निजी लाइफगार्ड एजेंसी दृष्टि मरीन ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि पर्यटकों और बीच पर जाने वाले लोगों को सर्फिंग के दौरान खासी सावधानी रखनी होगी। खासकर तटरेखा के पास ज्यादा सतर्क रहने की अपील की गई है। बयान में कहा गया है `कल और आज जेलीफिश के डंक मारने के 90 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ज्यादातर 65 मामले बीते 48 घंटों में लोकप्रिय बागा-सिंकरिम बीच पर सामने आए हैं, जबकि 25 अन्य मामले गोवा के दक्षिणी जिलों में देखे गए हैं।`
एजेंसी की तरफ से गुरुवार को जारी बयान में एक व्यक्ति की मेडिकल स्थिति का भी जिक्र किया गया है। बयान के मुताबिक, बागा बीच पर हुए एक मामले में पैरासेलिंग के लिए गए एक युवक को जैलीफिश का डंक लगने के बाद सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई। सांस में परेशानी होने के चलते युवक को ऑक्सीजन दिया गया और एंबुलेंस की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
अगर जेलीफिश डंक मार दे तो क्या करें
स्टेटमेंट में बताया गया है, अगर जेलीफिश ने डंक मार दिया है, तो नजदीकी लाइफसेवर को सूचित करें या लाइफसेवर टॉवर तक पहुंचने की कोशिश करें। डंक वाली जगह को जितना हो सके उतना ज्यादा गर्म पानी से से साफ करें, क्योंकि इससे गर्मी टॉक्सिन्स को खत्म कर देगी। मछली ने जहां डंक मारा है, वहां विनेगर का स्प्रे करें। सिरका टेंटेकल्स में होने वाले नीमैटोसिस्ट्स में और ज्यादा सक्रिय होने वाले जहर को फैलाने के लिए जाना जाता है।
स्टेटमेंट के मुताबिक, बर्फ की थैलियां दर्द और सूजन को और कम कर सकती हैं। आमतौर पर जेलीफिश के डंक इंसानों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और केवल हल्की जलन का कारण बन सकते हैं। हालांकि दुर्लभ मामलों में जेलीफिश का जहरीली डंक के कारण मेडिकल सेवा लेने की जरूरत पड़ सकती है।