जयपुर : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजनीतिक हित के लिए राष्ट्रहित को तिलांजलि देना ठीक नहीं बताते हुए कहा है कि भारतीयता हमारी पहचान है एवं इसमें हमारा अटूट विश्वास है तथा राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है और जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है, राजनीतिक हित एवं व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उन्हें समझाने की जरुरत हैं।श्री धनखड़ रविवार को यहां बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों का सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतांतर लोकतंत्र की खूबी है। अलग-अलग विचार रखना लोकतंत्र के गुलदस्ते की महक है, पर यह तब तक ही है जब राष्ट्रहित को तिलांजलि नही दी जाए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि नहीं रखेंगे तो जो यह राजनीतिक मतांतर है, यह राष्ट्रविरोधी बन जाता है। देखने मे अक्सर आता है कि व्यक्ति के हित को, राजनीतिक स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा जाता है और जिन लोगों ने अच्छे पद ग्रहण किए हैं, बड़े पद ग्रहण किए हैं वो विचारधारा ऐसी पेश करते हैं जैसे कि इस देश में कुछ भी हो सकता है।श्री धनखड़ ने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए किसी भी हालत में राष्ट्रहित को तिलांजलि नहीं दे सकते। जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है, राजनीतिक हित को ऊपर रखते हैं, व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उनको हमें समझाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसे लोग इस पर कायम है तो यह राष्ट्र के विकास के लिए हानिकारिक और वह सभी से इन ताकतों को बेअसर करने का आग्रह करते है। क्योंकि जो भारत में हो रहा है जो भारत में विकास यात्रा की गति है। हमने कभी सपना नहीं देखा था। जो कुछ हो रहा है वह अकल्पनीय है। आज कि पीढ़ी को अंदाज़ा नहीं है, इसीलिए वह आह्वान करना चाहते है कि आज की पीढ़ी को संविधान दिवस के ऊपर देखना चाहिए कि संविधान पर खतरा कब आया था। कुछ लोग कहते हैं कि आपातकाल का काला अध्याय चुनाव से खत्म हो गया, नहीं।
उन्होंने युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के पिछले खतरों के बारे में शिक्षित करने की जरुरत बताते हुए कहा कि आज़ादी को हम भूल नहीं सकते क्योंकि लोगों ने बहुत बड़ी कुर्बानियां दी है और आपातकाल के जो अत्याचार हैं और इसीलिए जो भारत सरकार ने पहल की है- ‘संविधान हत्या दिवस’ , वह हमारी नव-पीढ़ी को आगाह करने के लिए है कि उनको पता लगना चाहिए कि एक ऐसा कालखंड था जिसमें आपके कोई मौलिक अधिकार नहीं थे, उच्चत्तम न्यायालय ने भी हाथ खड़े कर दिए। कार्यपालिका का तानाशाही रवैय्या ऐसा रहा, इस शिखर पर पहुंच गया कि इतिहास में इसका कोई उदाहरण नहीं मिलेगा।
उन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की याद दिलाते हुए सभी से आग्रह किया कि वे हमारे शास्त्रों और वेदों में निहित ज्ञान पर विचार करें, जो ज्ञान और मार्गदर्शन का विशाल भंडार हैं।इस अवसर पर उन्होंने अंगदान की गहन महत्वपूर्णता को उजागर करते हुए इसे “एक आध्यात्मिक गतिविधि और मानव स्वभाव की सर्वोच्च नैतिक अभिव्यक्ति” के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि अंगदान केवल शारीरिक उदारता से परे जाता है और करुणा और निःस्वार्थता के गहरे गुणों को दर्शाता है।
जैन सोशल ग्रुप्स सेंट्रल संथान और दधीचि देहदान समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में श्री धनखड़ने अंगदाता परिवारों को सम्मानित किया और नागरिकों से अंगदान की दिशा में सचेत प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इसे मानवता की सेवा की महान परंपरा से जोड़ते हुए एक मिशन बनाने की बात कही।
अंगदान में भारत बने विश्व के लिए मिसाल : धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अंगदान को समाज की आवश्यकता बताते हुए कहा है कि अंगदान में भारत विश्व के लिए एक मिसाल बनना चाहिए।श्री धनखड़ रविवार को यहां बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों को सम्मानित समारोह में बोल रहे थे। श्री धनखड़ और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी में दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह में श्री धनखड़ ने कहा कि अंगदान का कार्य समाज की प्रतिभा को बल देने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत में बलिदानों का उल्लेख है। देहदानी अपनी आने वाली पीढ़ियों का सिर ऊंचा रखने वाला कार्य कर जाता है। उन्होंने कहा कि अंगदान में भारत विश्व के लिए एक मिसाल बनना चाहिए।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अंगदान जीवनदान है। यह गौरवमयी और अद्भुत समारोह भारत की प्राचीन संस्कृति, आदर्श और मूल्यों से जुड़ा हुआ है। पहले लोगों में अंगदान के प्रति भ्रांति थी लेकिन अब लोग अंगदान के महत्व को समझ रहे हैं और उसके लिए प्रेरित हो रहे हैं।श्री देवनानी ने कहा कि एक शरीर से आठ अंगों का दान किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अंगदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य की प्रक्रिया से जुड़े और आवश्यकता होने पर अंगदान अवश्य करें।
उन्होंने अंगदान के प्रति जागरूकता का समाज में प्रसार करने की जरूरत बताते हुए कहा कि यह मानवता के लिए प्रेरणादायी कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति दृढ़ निश्चय के साथ अंगदान करके और देहदान का प्रण लेकर समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।इस अवसर पर श्री देवनानी ने प्रोफेसर स्मृति शर्मा भाटिया की नव प्रकाशित पुस्तक ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन का विमोचन भी किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, उपमुख्यमंत्री डा प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद थे।
अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाये : धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाया जाना चाहिए ताकि इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या के निराकरण में सहयोग मिलेगा और वातावरण भी बहुत शानदार होगा।एक कार्यक्रम में भाग लेने आये श्री धनखड़ ने रविवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि पूरे देश मे मां के नाम एक पेड़ से क्रांति आ जानी चाहिए। इसके सार्थक नतीजे निकलेंगे, और खुद को बहुत जबरदस्त अनुभूति प्राप्त होगी।उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं। गांव हो चाहे शहर हो, कोई संस्थान हो, यह समय में लगाएं इसका हमारी जलवायु परिवर्तन की जो समस्या है उसके निराकरण मे कुछ सहयोग होगा और वातावरण भी बहुत शानदार होगा। इससे ज्यादा श्रद्धाभाव, श्रद्धासुमन समाज के प्रति नहीं हो सकता जो हमारी जननी है। उन्होंने कहा “मैं मानकर चलता हूं कि इसमे समाज का हर वर्ग सक्रियता दिखाएगा।”उन्होंने कहा कि हमें एक पेड़ मां के नाम को जुनून के साथ मिशन मोड में लेना चाहिए, उस मां को सर्वोच्च श्रद्धांजलि के साथ जिससे हम अस्तित्व में आये और यही हमारी मातृभूमि के लिए सच्चा योगदान भी होगा।(वार्ता)