उपराष्ट्रपति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव त्रुटिपूर्ण, संवैधानिक पद को नीचा दिखाने का दुस्साहस:हरिवंश
नयी दिल्ली : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने उपराष्ट्रपति के विरुद्ध विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को त्रुटिपूर्ण तथा राष्ट्र के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद को जानबूझकर तुच्छ बनाने और नीचा दिखाने का दुस्साहस बताते हुए कहा है कि इस संबंध में समीचीन हुआ, तो विस्तृत आदेश 24 दिसंबर के बाद ही दिया जाएगा।श्री हरिवंश ने गुरुवार को राज्यसभा में भोजनावकाश के बाद पटल पर रखे अंतरिम आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 67 -ख के तहत उप राष्ट्रपति काे पद हटाये जाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना अलंघनीय रुप से अनिवार्य है।
आदेश में कहा गया है कि विपक्ष के 60 सदस्यों के कथित हस्ताक्षर वाला यह प्रस्ताव 10 दिसंबर को दिया गया था। इस प्रकार इस पर 24 दिसंबर 2024 के बाद ही कोई अनुमति दी जा सकती है। उप सभापति ने कहा है कि विपक्ष के इस प्रस्ताव पर “ एक विस्तृत आदेश समीचीन होने पर बाद में जारी किया जाएगा।”आदेश में यह भी कहा गया है कि विपक्षी सदस्यों के संबंधित पत्र में किसी विशिष्ठ प्राधिकारी को संबोधित नहीं किया गया है और बाद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका प्रचार किया। उप सभापति ने अपनी अंतरिम व्यवस्था में कहा है कि प्रस्ताव लाने वालों को जानकारी थी कि यह प्रस्ताव इस सत्र के दौरान विचार के लिए नहीं लाया जा सकता है। फिर भी इसे इस उद्देश्य के साथ लाया गया कि देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के खिलाफ एक कहानी फैलायी जा सके।
अंतरिम आदेश के अनुसार पूरे सूचना पत्र पर एक नजर डालने से ही पता लगता है कि यह एक अत्यधिक बेढंगा , लापरवाहीपूर्ण और प्रत्येक कल्पनीय पहलू पर गंभीररुप से त्रुटिपूर्ण है। प्रस्ताव में प्रेषिती का नाम नहीं है, संकल्प पाठ अनुपस्थित है, संपूर्ण याचिका में पदस्थ उप राष्ट्रपति का नाम सही ढंग से नहीं लिखा गया है और जिन दस्तावेजों और वीडियो का दावा किया गया है, उन्हें याचिका का हिस्सा नहीं बनाया गया है तथा यह बिना प्रमाणीकरण के असंबद्ध मीडिया रिपोर्टो के लिंक पर आधारित है।उप सभापति ने इसे संसद और सांसदों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक विषय बताया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि मौजूदा उप राष्ट्रपति के अगस्त 2022 में पद ग्रहण करने से लेकर अब की घटनाओं का इसमें उल्लेख उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से झूठे दावों से भरा हुआ है।इस आदेश में उप राष्ट्रपति के विरुद्ध मीडिया अभियान चलाये जाने की बात कही गयी है और इस संबंध में गत 12 दिसंबर को कांग्रेस, मुख्य विपक्षी दल के नेता और मुख्य सचेतक की टेलीविजन पर प्रसारित संवाददाता सम्मेलन का भी उल्लेख किया गया है। (वार्ता)
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