
भारत, चिली ने लिया रक्षा उत्पादन, खनन, कृषि जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय
नयी दिल्ली : भारत और लैटिन अमेरिकी देश चिली ने समग्र आर्थिक साझीदारी समझौते (सीपा) के लिए बातचीत शुरू करने तथा रक्षा उत्पादन, खनन, कृषि, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, रेलवे, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चिली के राष्ट्रपति ग्रेबियल बोरिच फाॅन्ट के साथ यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले किये। इस मौके पर दोनों पक्षों के बीच चार दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बाद आदान-प्रदान किया गया। इनमें अंटार्कटिका सहयोग पर आशय पत्र, भारत-चिली सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, आपदा प्रबंधन पर चिली के राष्ट्रीय आपदा रोकथाम और प्रतिक्रिया सेवा और भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच समझौता ज्ञापन तथा बहुमूल्य खनिजों के खनन के क्षेत्र में कोडेल्को और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) के बीच समझौता ज्ञापन शामिल है।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा है कि राष्ट्रपति बोरिच के भारत के लिए जो मित्रता का भाव, और संबंधों को मजबूत करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता है, वह अद्भुत है। इसके लिए वह उनका विशेष अभिनन्दन करते हैं।उन्होंने कहा कि भारत के लिए चिली लैटिन अमेरिका में एक महत्वपूर्ण मित्र और साझीदार देश है। आज की चर्चाओं में हमने आने वाले दशक में सहयोग बढ़ाने के लिए कई नई पहलों की पहचान की। आपसी व्यापार और निवेश में वृद्धि का हम स्वागत करते हैं। हम सहमत हैं, कि इसमें और अधिक सहयोग की अपार क्षमता भी है। आज हमने एक पारस्परिक लाभकारी समग्र आर्थिक साझीदारी समझौते पर चर्चा शुरू करने के लिए अपनी टीमों को निर्देश दिए हैं।श्री मोदी ने कहा कि बहुमूल्य खनिजों के क्षेत्र में साझीदारी को बल दिया जाएगा। सतत आपूर्ति और मूल्यवर्धन श्रृंखलाओं को स्थापित करने के लिए काम किया जाएगा। कृषि के क्षेत्र में, एक दूसरे की क्षमताओं को जोड़ कर, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग किया जाएगा। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, रेलवे, अंतरिक्ष तथा अन्य क्षेत्रों में भारत अपना सकारात्मक अनुभव चिली के साथ साझा करने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम चिली को अंटार्कटिका के गेटवे के रूप में देखते हैं। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए आज दोनों पक्षों के बीच समझौता पत्र पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत चिली की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक विश्वसनीय भागीदार रहा है। हम इस सहयोग को और गहरा करने पर सहमत हुए। यह खुशी का विषय है कि चिली के लोगों ने योग को स्वस्थ जीवनशैली के रूप में अपनाया है। चिली में चार नवंबर को राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया जाना हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। हमने चिली में आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में भी सहयोग बढ़ाने पर विचार किया।श्री मोदी ने कहा कि रक्षा के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है। हम इस क्षेत्र में, एक दूसरे की जरूरतों के अनुसार रक्षा उद्योग विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने के लिए आगे बढ़ेंगे। संगठित अपराध, तस्करी, आतंकवाद जैसी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए हम दोनों देशों की एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत और चिली सहमत हैं, कि सभी तनावों और विवादों का समाधान बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए। हम एकमत हैं, कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तथा अन्य संस्थानों में सुधार आवश्यक है। विश्व के मानचित्र पर भारत और चिली भले ही अलग छोर पर हों, हमारे बीच भले ही विशाल महासागरों की दूरी हो, किन्तु प्रकृति ने हमें अनोखी समानताओं से जोड़ा है। हम मिलकर वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देते रहेंगे।श्री मोदी ने कहा कि भारत के हिमालय और चिली के एंडीज पर्वतों ने हजारों वर्षों से दोनों देशों में जीवनधारा को आकार दिया है। भारत में हिन्द महासागर की लहरें उसी ऊर्जा से बहती हैं, जैसे प्रशांत महासागर की तरंगें चीले के तटों को छूती हैं। दोनों देश न केवल प्राकृतिक रूप से जुड़े हैं, बल्कि हमारी संस्कृतियाँ भी इसी विविधता को अपनाते हुए एक दूसरे के करीब रही हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि चिली की महान कवि और नोबेल लॉरीयेट “गैब्रिएला मिस्ट्रल” को रविन्द्रनाथ टैगोर और अरविंदो घोष के विचारों में प्रेरणा मिली। उसी तरह भारत में भी चीले के साहित्य को सराहा गया। चिली के लोगों में भारत की फिल्में, व्यंजन, शास्त्रीय नृत्य में बढ़ती रुचि हमारे सांस्कृतिक संबंधों का जीवंत उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, “आज चिली को अपना घर मानने वाले लगभग चार हज़ार भारतीय मूल के लोग हमारी इस साझा विरासत के संरक्षक हैं। उनकी देखरेख के लिए मैं राष्ट्रपति बोरिच और उनकी सरकार का आभार व्यक्त करता हूँ।” उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। हमने दोनों देशों के बीच वीजा प्रक्रिया को सरल करने पर भी विचार किया। हम भारत और चिली के बीच छात्रों के आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए भी प्रयास करते रहेंगे। इस यात्रा से हमारे संबंधों में एक नई ऊर्जा और उत्साह का सृजन हुआ है। इस ऊर्जा से हमारे द्विपक्षीय संबंधो के साथ साथ पूरे लैटिन अमेरिका क्षेत्र में हमारे सहयोग को नई गति मिलेगी और दिशा मिलेगी।राष्ट्रपति बोरिक ने अपने वक्तव्य में बोरिक ने व्यापार, निवेश में सहयोग बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन और स्थिरता जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रतिबद्धता के अवसरों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने दोनों देशों के बीच सात दशक लंबे संबंधों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में अपनी यात्रा के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “आज हम भारत के साथ अपने संबंधों के सात दशकों को मजबूत करने आए हैं जो चिली के साथ पहले की यात्राओं पर आधारित हैं। मुझे 16 साल बाद भारत आने वाला तीसरा राष्ट्रपति होने का सम्मान है।”उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला और स्वीकार किया कि भारत अब चिली का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। उन्होंने कहा, “भारत अपने साथी के सातवें स्थान पर पहुंच गया है, जो हमें अपने संबंधों को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित करता है।बैठक के बारे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पेरियासामी कुमारन ने कहा, “राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक फॉन्ट की यह पहली भारत यात्रा है। वह यहां पीएम मोदी के निमंत्रण पर हैं।
राष्ट्रपति ने पिछली बार रियो में जी-20 में प्रधानमंत्री श्री मोदी से मुलाकात की थी। चिली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सीट के पक्ष में रहा है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि चिली का अपना राष्ट्रीय योग दिवस है, जो चार नवंबर को मनाया जाता है। आयुर्वेद भी लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है, जैसा कि मैंने अभी देखा है, और चिली में कुछ आयुर्वेद संस्थान और क्लीनिक हैं जो कुछ भारतीय आयुर्वेद संस्थानों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं।”सचिव (पूर्व) ने कहा, “राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के साथ आधिकारिक बैठकें होने की उम्मीद है। राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक चिली में भारतीय निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्सुक हैं। भारतीय व्यवसायों के लिए कई अवसर हैं, जैसे बंदरगाह, हवाई अड्डे, खनन, रेलवे, बुनियादी ढांचा, नवीकरणीय ऊर्जा और कई अन्य परियोजनाएं तथा प्रौद्योगिकी सहयोग भी एजेंडे में है।
”चिली-भारत सीपा के बारे में, सचिव (पूर्व) ने कहा, “हमारे पास आंशिक व्यापार समझौता है। विचार यह है कि इसे एक व्यापक एफटीए में विस्तारित किया जाए। हम सिर्फ सीईपीए की ओर एक चर्चा के लिए सहमत हुए; यह स्वर सेट करेगा। हमारे हितों में स्पष्ट रूप से हमारे कृषि निर्यात का विस्तार करना और महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करना शामिल है। चिली की ओर, रुचि कुछ कृषि उत्पादों के निर्यात में है जो जरूरी नहीं कि उपलब्ध हैं। इसलिए, चिली पक्ष हमारे साथ एक व्यापारिक कंपनी और सीईपीए पर काम करने में रुचि रखता है जिसमें रियायती गतिविधियां शामिल हैं। चिली खनन में अधिक निवेश चाहता है। हमारी उपलब्ध पहल के हिस्से के रूप में, हम स्वाभाविक रूप से कई क्षेत्रों में निवेश चाहते हैं जो हमें औद्योगिक क्षमताओं को विकसित करने और जलवायु की तरह बनने में मदद करते हैं।
”श्री पेरियासामी कुमारन ने कहा, “लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में चिली भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है। हमारे चिली के साथ पूरक व्यापार और आर्थिक संबंध हैं, और हम दवा उत्पादों, इंजीनियरिंग सामान, ऑटोमोबाइल और रसायनों की आपूर्ति करते हैं। हम चिली से बहुत सारे महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का आयात करते हैं, जो हमारे औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं। चिली दुनिया में तांबे का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसमें लीथियम और अन्य खनिजों का पर्याप्त भंडार भी है। दोनों पक्ष इस रिश्ते को और मजबूत करने में रुचि रखते हैं।”(वार्ता)