International

भारत बना जी-20 का अध्यक्ष,जी-20 को वैश्विक बदलाव का उत्प्रेरक बनाएंगे: मोदी

बाली । दुनिया की समृद्ध महाशक्तियों के समूह जी-20 का अध्यक्ष अब भारत बन गया है। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 समूह का नेतृत्व सौंपा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसे गर्व का क्षण करार दिया।

इंडोनेशिया के बाली में चल रहे जी-20 देशों के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का समापन बुधवार को हो गया। समापन समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने औपचारिक रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जी-20 समूह की अध्यक्षता का जिम्मा सौंपा। भारत एक दिसंबर से आधिकारिक तौर पर जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी-20 का नेतृत्व करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों में दी-20 समूह की गतिविधियों से जुड़ी बैठकें आयोजित की जाएंगी। इस दौरान अतिथियों को भारत की अद्भुत, विविध व समावेशी परंपराओं के साथ सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा।

वर्ष 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद जी-20 समूह का गठन हुआ था। वैश्विक स्तर पर आर्थिक मामलों में सहयोग के लिए ये समूह काम करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का एजेंडा तय किया जाता है। जी-20 समूह में दुनिया के शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है।भारत और यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब और तुर्की जी-20 समूह के सदस्य हैं। इंडोनेशिया से अध्यक्षता संभालने के बाद अब भारत अगले एक साल तक जी-20 समूह का नेतृत्व करेगा। अगले वर्ष 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा और राजधानी दिल्ली में नौ और दस सितंबर को अगला जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।(हि.स.)

विश्व जी-20 की तरफ आशा की नजर से देख रहा है :नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन के अवसर पर वर्ष 2022-23 के लिए विश्व के आर्थिक रूप से समर्थ 20 देशों के इस शक्तिशाली समूह की अध्यक्षता ग्रहण की और कहा कि भारत समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और परिणामोन्मुखी नेतृत्व के साथ जी-20 को नए विचारों की परिकल्पना और सामूहिक प्रयासों को गति देकर वैश्विक बदलाव का उत्प्रेरक बनाने का प्रयास करेगा।श्री मोदी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने श्री विडोडा की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस कठिन समय मे जी-20 को कुशल नेतृत्व दिया है। श्री मोदी ने जी-20 समुदाय को बाली घोषणापत्र के अनुमोदन के लिए बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया की सराहनीय पहल को आगे बढ़ाने का प्रयत्न करेगा। भारत के लिए यह अत्यंत शुभ संयोग है कि हम जी-20 अध्यक्षता का दायित्व इस पवित्र द्वीप बाली मे ग्रहण कर रहे हैं। भारत और बाली का बहुत ही प्राचीन रिश्ता है।उन्होंने कहा, “भारत जी-20 का जिम्मा ऐसे समय ले रहा है जब विश्व भूराजनीतिक तनावों, आर्थिक मंदी, खाद्यान्न और ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों, और महामारी के दीर्घकालीन दुष्प्रभावों से एक साथ जूझ रहा है। ऐसे समय, विश्व जी-20 की तरफ आशा की नजर से देख रहा है। आज मैं यह आश्वासन देना चाहता हूँ कि भारत की जी-20 अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और परिणामोन्मुखी होगी।”उन्होंने कहा कि अगले एक साल मे हमारा प्रयत्न रहेगा कि जी-20 नए विचारों की परिकल्पना और सामूहिक एक्शन को गति देने के लिए एक ग्लोबल प्राइम मूवर की तरह काम करे। प्राकृतिक संसाधनों पर मालिकाना हक का भाव आज संघर्ष को जन्म दे रहा है और पर्यावरण की दुर्दशा का मुख्य कारण बना है। पृथ्वी के सुरक्षित भविष्य के लिए न्यासी का भाव ही समाधान है। इसमें लाइफ यानि ‘पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली’ अभियान एक बड़ा योगदान दे सकता है। इसका उद्देश्य सतत जीवनशैली को एक जन-आंदोलन बनाना है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज आवश्यकता है कि विकास के लाभ सर्व-स्पर्शी और सर्व-समावेशी हों। हमें विकास के लाभों को मम-भाव और सम-भाव से मानव-मात्र तक पहुंचाना होगा। वैश्विक विकास महिलाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। हमें अपने जी-20 के एजेंडा में महिला नीत विकास पर प्राथमिकता बनाए रखनी होगी। बिना शांति और सुरक्षा, हमारी आने वाली पीढ़ियाँ आर्थिक वृद्धि या तकनीकी नवोन्मेष का लाभ नहीं ले पायेगी। जी-20 को शांति और सौहार्द के पक्ष मे एक दृढ़ संदेश देना होगा। यह सभी प्राथमिकताएं, भारत की जी-20 अध्यक्षता की थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ में पूर्ण रूप से समाहित हैं।उन्होंने कहा, “जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करना हर भारतीय के लिए गर्व का अवसर है। हम देश के विभिन्न शहरों और राज्यों मे, जी-20 की बैठकें आयोजित करेंगे। हमारे अतिथियों को भारत की अद्भुतत विविधता, समावेशी परंपराओं, और सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा। हमारी कामना है कि आप सभी ‘लोकतंत्र के जनक’ भारत में इस अद्वितीय उत्सव में सहभागी होंगे। साथ मिल कर हम जी-20 समूह को वैश्विक बदलाव का उत्प्रेरक बनाएंगे।”

श्री मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन समारोह के बाद सिंगापुर, जर्मनी, इटली, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं ब्रिटेन के नेताओं के साथ अलग अलग द्विपक्षीय बैठक करेंगे। वह अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति श्री विडोडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों से पहले ही मुलाकात कर चुके हैैं।(वार्ता)

डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। भारत में हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी बहुत बड़ा डिजिटल डिवाइड है।प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल परिवर्तन हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। गरीबी के खिलाफ दशकों से चली आ रही वैश्विक लड़ाई में डिजिटल तकनीकों का उचित उपयोग बल गुणक (फोर्स मल्टीप्लायर) बन सकता है। डिजिटल समाधान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मददगार हो सकते हैं, जैसा कि हमने कोविड के दौरान दूर से काम करने वाले और कागज रहित कार्यालयों के उदाहरणों में देखा।किन्तु ये लाभ हमें तभी मिलेंगे जब डिजिटल एक्सेस सच्चे मायने मे समावेशी हो, जब डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग सचमुच व्यापक हो। दुर्भाग्य से अभी तक हमने इस शक्तिशाली टूल को सिर्फ साधारण बिजनेस के मापदंड से ही देखा है, इस पॉवर को लाभ और हानि के बहीखातों मे बांध के रखा है। डिजिटल ट्रान्सफर्मेशन के लाभ मानवजाति के एक छोटे अंश तक ही सीमित न रह जाएं, यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि भारत के पिछले कुछ साल के अनुभव ने दिखाया है कि अगर हम डिजिटल आर्किटेक्चर को समावेशी बनाते हैं तो यह सामाजिक-आर्थिक बदलाव ला सकता है। डिजिटल उपयोग मे स्केल और स्पीड लाई जा सकती है। शासन में पारदर्शिता लाई जा सकती है। भारत ने ऐसे डिजिटल पब्लिक गुड्स विकसित किए हैं, जिनके मूल आर्किटेक्चर में ही लोकतांत्रिक सिद्धांत इन-बिल्ट हैं। ये सोल्युशंस खुला स्रोत, खुला एपीआई, खुले मानक पर आधारित हैं, जो अंतर-संचालित और सार्वजनिक हैं। भारत मे आज जो डिजिटल रेवलूशन चल रहा है, उनका आधार हमारी यही अप्रोच है। उदाहरण के तौर पर, हमारा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लीजिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल, विश्व के 40 प्रतिशत से अधिक रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए। इसी तरह हमने डिजिटल आइडेंटिटी के आधार पर 460 मिलियन नए बैंक खाते खोले, जिस से भारत आज फाइनेंसियल समावेश में ग्लोबल लीडर बन रहा है। महामारी के दौरान भी हमारे ओपन सोर्स कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाया।

उन्होंने कहा कि भारत में तो हम डिजिटल एक्सेस को सार्वजनिक कर रहे हैं, किन्तु अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर आज भी एक बहुत बड़ी डिजिटल डिवाइड है। विश्व के अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी भी प्रकार की डिजिटल पहचान नहीं है। केवल 50 देशों के पास ही डिजिटल भुगतान प्रणाली मौजूद है। क्या हम साथ मिल कर यह प्रण ले सकते हैं कि अगले दस सालों में हम हर मनुष्य के जीवन मे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन लाएंगे, डिजिटल टेक्नॉलजी के लाभ से विश्व का कोई व्यक्ति वंचित नहीं रहेगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले साल अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत सभी जी-20 पार्टनर्स के साथ इस उद्देश्य के लिए काम करेगा। विकास के लिए डेटा का सिद्धांत हमारे प्रेसीडेंसी के कुल मिलाकर थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्यका अभिन्न अंग रहेगा।(हि.स.)।

प्रधानमंत्री मोदी ने जी -20 नेताओं के साथ मैंग्रोव वन का दौरा किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बाली में जी-20 के अन्य नेताओं के साथ ”तमन हटन राया नगुराह राय” मैंग्रोव वन का दौरा किया और वहां पौधे लगाए।प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक ट्वीट संदेश में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और अन्य जी-20 नेताओं ने बाली में एक मैंग्रोव वन का दौरा किया। साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आने का एक मजबूत संदेश दिया। भारत जलवायु के लिए मैंग्रोव एलायंस में भी शामिल हो गया है।

उल्लेखनीय है कि मैंग्रोव वैश्विक संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत इंडोनेशियाई जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत इंडोनेशिया और यूएई की संयुक्त पहल, मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (एमएसी) में शामिल हो गया है।भारत में 5000 वर्ग किलोमीटर में फैली मैंग्रोव की 50 से अधिक प्रजातियां हो सकती हैं। भारत मैंग्रोव के संरक्षण और बहाली पर जोर दे रहा है, जो जैव विविधता के समृद्ध स्थल हैं और प्रभावी कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं। (हि.स.)।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: