
मुंबई : रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने महंगाई को काबू में करने के लिए लगातार दूसरे महीने नीतिगत दरों में बढोतरी की है, जिससे आम लोगों के लिए घर, कार और अन्य ऋणों की किस्तों में वृद्धि होगी तथा ऋण महंगे हो जायेंगे।आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एमपीसी की हुयी तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी बयान में कहा गया है कि सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। महंगाई तथा रूस एवं यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण वैश्विक स्तर अनिश्चितता बढ़ी है और इससे आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर हुआ है, जिसके कारण दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है। भारत पर भी उसका असर हुआ है।
श्री दास ने कहा कि समिति ने रेपाे दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने के साथ ही स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी दर को भी आधी फीसद बढ़ाकर 4.65 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को इतनी ही बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही समिति ने विकास को मदद करने और महंगाई को काबू में करने के उद्देश्य से अपने सामंजस्य वाले रूख को वापस लेने पर ध्यान केन्द्रित करने का भी निर्णय लिया है।समिति ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर यथावत बनाये रखा और कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में महंगाई भी रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के दायरे से बाहर रहने का अनुमान है।समिति ने नीतिगत दरों में एक महीने में दूसरी बार यह बढ़ोतरी की है। पिछले महीने रेपो दर में 40 आधार अंकों की बढोतरी की गयी थी।
आरबीआई ने सहकारी बैंकों की आवास ऋण की सीमा बढ़ाई
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) की ओर से ग्राहकों को दिये जाने वाले आवास ऋण की सीमा 30 लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख और ग्रामीण सहकारी बैंक (आरसीबी) की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी है।आरबीआई की बुधवार को विकासात्मक और नियामक नीतियों पर जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा दिशानिर्देश में व्यक्तिगत आवास ऋण पर विवेकपूर्ण सीमाएं निर्धारित की गई हैं।यह प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी), और ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी – राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों) द्वारा अपने ग्राहकों को दी जा सकती हैं।(वार्ता)
आरबीआई, सरकार मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये उठा रहे हैं कदम: अजय सेठ
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि मौद्रिक और राजकोषीय प्राधिकरण दोनों बढ़ती महंगाई को काबू में लाने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये कदम उठा रहे हैं।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये नीतिगत दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि के बाद उन्होंने यह बात कही। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया। वहीं आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आरबीआई के नीतिगत दर बढ़ाने से जुड़े सवाल के जवाब में सेठ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘घरेलू स्तर पर चुनौतियां हैं और इनमें से ज्यादातर का कारण वैश्विक स्थिति है। जो भी जरूरी कदम हैं, दोनों मौद्रिक और राजकोषीय प्राधिकरण उठा रहे हैं। हम आर्थिक वृद्धि को गति देने के साथ महंगाई को काबू में लाने के लिये उपाय कर रहे हैं।’’उन्होंने कहा कि वृद्धि और मुद्रास्फीति के अलावा दोनों प्राधिकरण रुपये के प्रबंधन और राजकोषीय संतुलन पर भी ध्यान दे रहे हैं। दोनों मौद्रिक और राजकोषीय प्राधिकरण इस लक्ष्य के लिये काम कर रहे हैं।’’
सेठ ने कहा, ‘‘इसका किसी निर्धारित मानदंड के तहत समाधान नहीं हो सकता। नई सूचनाएं आती हैं, उसका विश्लेषण किया जाता है और उन चुनौतियों से निपटने के लिये जो भी जरूरी होता है, कदम उठाये जाते हैं।’’ (भाषा)