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ऊंची बिल्डिंग तक ही सीमित रह गया पूर्व पीएम चंद्रशेखर का सपना

- इब्राहीमपट्टी में लगे आक्सीजन प्लांट तो चार जनपदों की बचेगी सांस - कोरोना से निपटने में संजीवनी होता इब्राहीमपट्टी अस्पताल .

विजय बक्सरी

बलिया: पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी के कारण पूरी दुनिया में बलिया जनपद का खास पहचान होने के बावजूद यहां चिकित्सा व्यवस्था की कोई खास व्यवस्था नहीं है। वर्तमान कोरोनाकाल में तो इसका अभाव हर बलियावासी के चेहरे पर साफ नजर आता है। हालांकि पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी ने जनपद के इब्राहीमपट्टी में पीजीआई के तर्ज पर एक विशाल अस्पताल की नींव तो डाली किंतु गंवई माहौल में कमजोर व्यवस्था के कारण जल्द ही यह प्रयास विफल हो गया। हालांकि यह चंद्रशेखर जी का बलिया के लिए यह एक ड्रीम प्रोजेक्ट था। पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी के बाद उनके राजनीतिक छवि लेकर भारतीय राजनीति में स्वयं को स्थापित करने वाले चेहरों ने इसकी कभी परवाह भी नहीं की और आज तक यह अस्पताल मूर्त रुप नहीं ले सका और न ही बलिया जनपद में अन्य किसी भी अस्पताल को भी उच्चस्तरीय बनाया जा सका।

चिकित्सा क्षेत्र में बदलाव को लेकर पूर्व पीएम के सपनों को नजरअंदाज करने का खामियाजा आज बलिया समेत आसपास के पूर्वांचल के सभी जिले भुगत रहे है। जनपद मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर पूर्व पीएम के गृह क्षेत्र इब्राहीमपट्टी में करीब 30 एकड़ में बने विशाल भवन की नींव पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी ने सन 1952 में डाली थी। उस समय में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण जी ने इसका विधिवत शिलान्यास किया। करोड़ों रुपए की लागत से करीब 150 बेड वाले विशाल अस्पताल के इस भवन में शुरुआती दिनों में करीब छ माह तक जबरदस्त चहल पहल था। विख्यात चिकित्सकों के देखरेख में लोगों को चिकित्सकीय लाभ भी मिल रहा था किंतु बाद में विभागीय लापरवाही के कारण पूरी व्यवस्था ठप हो गई। पीएम चंद्रशेखर जी के निधन के बाद तो यह पूरी तरह से विरान ही हो गया। फिलहाल इसका चंद्रशेखर जी के परिवार द्वारा रचना चक्र फाउंडेशन के तहत ही देखरेख किया जा रहा है।

एमएलसी पप्पू सिंह ने सीएचसी संचालन का किया था पहल

– सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की तत्कालीन सपा सरकार में एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू ने इब्राहीमपट्टी अस्पताल में फिलहाल एक सीएचसी स्तरीय अस्पताल संचालन करने का पहल किया था। एमएलसी ने इसके लिए शासन को बकायदा पत्र भी भेजा था किंतु उस समय अस्पताल को लेकर सरकार की उदासीनता का ही परिणाम रहा कि उक्त पहल पूरी तरह से अनसुनी कर दिया गया। एमएलसी के लिखित मांग के बावजूद सरकार की पहल ढाक के तीन पात ही रह गया। इसे लेकर किसी तरह की शासन की पहल नहीं हो सकी। वर्तमान समय में इब्राहीमपट्टी अस्पताल का यह विशाल भवन महज एक शोपीस बना हुआ है।

500 बेड के अस्पताल का रहता है भ्रम 

– इब्राहीमपट्टी में पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी द्वारा निर्मित अस्पताल के विशाल भवन को लेकर कई तरह का भ्रम बना हुआ है। यह अस्पताल उस समय महज 150 बेड के लिए ही निर्मित किया गया। जबकि वर्तमान में इसे लेकर किसी तरह का शिलापट्ट या लिखित जानकारी न होने के कारण विशाल भवन के कारण 500 बेड का अस्पताल होने का भ्रम लोगों को हो जाता है। यह अस्पताल कोई सरकारी नहीं है। पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी ने स्वयं अपनी इच्छाशक्ति से इस अस्पताल का निर्माण बलिया के लिए कराया था। उस समय तत्कालीन परिस्थितियों में केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा भी इस अस्पताल के निर्माण में योगदान की घोषणा की गई थी किंतु तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा ही करीब 80 लाख रुपया इस अस्पताल के लिए जारी किया गया था।

इब्राहीमपट्टी अस्पताल संचालन के लिए स्वामी जी ने सीएम को लिखा पत्र

– शंकराचार्य परिषद अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरुप ने सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बलिया डीएम व सीएमओ को ज्ञापन भेजकर पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी द्वारा इब्राहीमपट्टी में निर्मित अस्पताल का संचालन शुरु कराने का गुहार लगाया है। स्वामी जी ने वर्तमान कोरोना काल में अस्प्ताल की आवश्यकता का हवाला देते हुए कहा है कि करोड़ों रुपए के लागत से अस्पताल के रुप में इब्राहीमपट्टी में खड़ा विशाल भवन मवेशियों का चारागाह बन गया है। जिसे जनहित में संचालित कराने से आसपास के कई जनपदों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है।

चार जनपद के मरीजों को समय पर मिल सकता है आक्सीजन

– बलिया जनपद मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर बिल्थरारोड के इब्राहीमपट्टी में विशाल भवन में अगर वर्तमान में अस्थायी आक्सीजन प्लांट बन जाएं तो आसपास के देवरिया, बलिया, मऊ और गाजीपुर समेत चार जनपद के मरीजों को समय पर आक्सीजन मिल सकता है। बिल्थरारोड बलिया जनपद के आखिरी छोर पर स्थित है। यहां से देवरिया, मऊ, बलिया और गाजीपुर जनपद मुख्यालय की दूरी लगभग बराबर है।

आक्सीजन युक्त अस्पताल बनाने की मांग

– भाजपा नेता देवेंद्र गुप्ता ने चार जनपद के सीमा रेखा पर बसे बिल्थरारोड में स्वास्थ्य लाभ हेतु उच्च श्रेणी के सरकारी हास्पीटल बनाने की मांग की है और सीएम को ज्ञापन भेज क्षेत्र में शीघ्र आक्सीजनयुक्त आयुधिनक तकनीक वाले स्वास्थ्य केंद्र संचालित करने की मांग की है।

इलाज के अभाव में ही पूर्व मंत्री शारदानंद अंचल की भी हुई थी मौत

– बिल्थरारोड में समुचित इलाज की व्यवस्था के अभाव में ही सन 2010 में सपा सरकार में तीन बार मंत्री रहे शारदानंद अंचल की हर्ट अटैक के कारण मौत हो गया था। वे लखनऊ से बिल्थरारोड में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे थे और अचानक हर्ट अटैक आने से इलाज के लिए वापस जाने तक का समय नहीं मिला और पैतृक गांव पशुहारी जाने के दौरान रास्ते में मौत हो गया।

बेहतर चिकित्सका के अभाव में मऊ और वाराणसी पर है निर्भरता

– जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर होने एवं बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्था न होने के कारण बिल्थरारोड की लगभग 80 फिसदी चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से पड़ोसी जनपद मऊ और वाराणसी पर ही निर्भर है। यहां से हर हर दिन बस व ट्रेन से हजारों की संख्या में लोग मऊ और वाराणसी इलाज कराने जाने को मजबूर है। बस और ट्रेन का सीधा साधन होने के कारण लोग बलिया मुख्यालय के बजाएं मऊ और वाराणसी जाना ज्यादा बेहतर मानते है।

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