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किसान चाहते हैं कानून रद्द हो, लेकिन सरकार संशोधन के लिए है तैयार : नरेंद्र सिंह तोमर

नयी दिल्ली : किसानों और केंद्र सरकार के बीच अभी डेडलॉक बना नजर आ रहा है। किसान अपने आंदोलन को तेज करने की तैयारी कर रहे है तो केंद्र सरकार ने आज फिर किसानों से कहा है कि वो अभी भी वार्ता के लिए तैयार है। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हजारों किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। 5 दौर की वार्ता और भारत बंद के बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात में भी समस्या जस की तस बनी हुई है, किसान कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार बदलाव करते हुए इन्हें बरकरार रखने पर अड़ी हुई है। ऐसे में गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किसानों को वार्ता के लिए न्यौता दिया है।

कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार किसानों को मनाती हुई नजर आई, कृषि मंत्री ने कहा कि हम किसान यूनियन से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश पहुंचे इसकी संभावना लगभग न के बराबर थी, ऐसे में भारत सरकार ने इसके लिए कदम उठाया। इस बात की अपेक्षा पूरे देश को थी कि कानून के माध्यम से हम कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ावा मिलेगा, किसान को अपनी फसल के वाजिब और अच्छे दाम मिल सकेंगे। कानून के कारण अब किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन अगर किसानों को इसमें कुछ कमियां लगती हैं तो उसके लिए बातचीत कर मसले का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।

कृषि कानूनों पर चल रहे किसानों के विरोध को लेकर तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद करना चाहती थी जिससे वे अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी, अपनी कीमत पर बेच सकें। कृषि मंत्री ने कहा कि अभी कोई भी कानून यह नहीं कहता कि तीन दिन बाद उपज बेचने के बाद किसान को उसकी कीमत मिलने का प्रावधान हो जाएगा, लेकिन इस कानून में यह प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें लगता था कि लोग इसका फायदा उठाएंगे, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा, बुवाई के समय उसे मूल्य की गारंटी मिल जाएगी और किसान की भूमि को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।

कृषि मंत्री ने कहा कि हमने किसानों की समस्याओं को लेकर उनके साथ पूरा संवाद करने की कोशिश की। कई दौर की वार्ताएं कीं। लेकिन उनकी ओर से कोई सुझाव आ ही नहीं रहा था। उनकी एक ही मांग है कि कानूनों को निरस्त कर दो। हम उनसे पूछ रहे हैं कि कानूनों में किन प्रावधानों से किसानों को समस्याएं हैं। लेकिन इस बारे में भी उन्होंने कुछ नहीं किया तो हमने ही ऐसे मुद्दे ढूंढे और उन्हें भेज दिए। जिन प्रावधानों पर आपत्ति है सरकार उनका समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जमीन विवाद पर हमने प्रावधान किया था कि एसडीएम को 30 दिन में विवाद का निपटारा करना होगा। लेकिन उन्हें लगता है कि अदालत में जाने की सुविधा होनी चाहिए। तो हमने प्रस्ताव रखा है कि हम किसान को इसका विकल्प दे सकते हैं।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि सचिव संजय अग्रवाल के अलावा उपभोक्ता मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे मौजूद रहे,कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमला की निंदा करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा `बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगाल गए हुए हैं। वहां उनके कई कार्यक्रम हैं। लेकिन बहुत ही खेद के साथ ये कहना पड़ रहा है कि जो सुरक्षा वहां उन्हें मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। उनकी गाड़ी पर पथराव हुआ है। बंगाल में लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया गया है। ये अटैक केवल नड्डा पर नहीं, भारत के लोकतंत्र पर हमला है।

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