
कैबिनेट बैठक :उप्र राज्य नीति आयोग के पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित
लोकभवन में मंगलवार को हुई बैठक में कई अन्य प्रस्तावों पर भी लगी मुहर
लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में भारत सरकार के नीति आयोग की तर्ज पर उत्तर प्रदेश राज्य नीति आयोग के पुनर्गठन का प्रस्ताव समेत कई अन्य प्रस्तावों पर मुहर लगी है।योगी सरकार ने नीति आयोग को लेकर बड़ा फैसला लिया लिया है।
भारत सरकार के नीति आयोग की तर्ज पर उत्तर प्रदेश राज्य नीति आयोग के पुनर्गठन किया जाएगा। उप्र नीति आयोग का नया नामकरण भी किया जाएगा। अब उप्र का नीति आयोग स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमिशन के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसके अध्यक्ष होंगे।उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के क्रियान्वयन के संबंध में आए प्रस्ताव को भी कैबिनेट से हरी झण्डी मिल गयी है। प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा।नीति के अंतर्गत स्थापित होने वाले संयंत्रों से किसानों की आय में इजाफा होगा। इसके अलावा जिला गोण्डा की नगर पंचायत कटरा के सीमा विस्तार का प्रस्ताव पास हुआ है। मुजफ्फरनगर जिले की नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार किया गया।
उप्र राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के क्रियान्वयन का प्रस्ताव पारित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के क्रियान्वयन का प्रस्ताव पारित हुआ है। इससे वायु प्रदूषण में एक ओर जहां कमी आएगी, वहीं किसानों की आय में वृद्धि होगी, करीब साढ़े पांच हजार करोड़ का निवेश आएगा और रोजगार का सृजन होगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कृषि अपशिष्टों को खेतों में ही जला दिये जाने की समस्या के समाधान हेतु प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। प्रदेश में कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मण्डियों का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट सहित अन्य जैविक अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इन अपशिष्टों की समस्या के निराकरण के लिए और प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना की सम्भावनाओं को फलीभूत करने के लिए पूर्ववर्ती नीतियों की कमियों को दूर करते हुये वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 सरकार लागू करने का निर्णय लिया है।
नई नीति की अवधि पाँच वर्ष होगी। इस अवधि में प्रदेश में स्थापित होने वाली जैव ऊर्जा परियोजनाओं, (कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, बायोइथानॉल तथा बायोडीजल) को भारत सरकार की नीति के अतिरिक्त उत्पादन पर इन्सेन्टिव दिया जायेगा। जैव ऊर्जा उद्यमों, संयंत्रों की स्थापना तथा फीडस्टॉक के संग्रहण एवं भण्डारण के लिए अधिकतम 30 वर्षों के लिए लीज पर भूमि दी जाएगी। यह भूमि एक रूपये प्रति एकड़ वार्षिक के टोकन लीज़ रेन्ट पर उपलब्ध कराई जायेगी।
इसके तहत कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बॉयोकोल उत्पादन पर 75 हजार रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बॉयो डीजल के उत्पादन पर तीन लाख प्रति किलोलीटर की दर से अधिकतम 20 करोड़ उपादान दिया जायेगा।
खेतों में पराली जलाने की समस्या का होगा समाधान
नई नीति के क्रियान्वयन से खेतों में ही पराली जला दिये जाने की समस्या का समाधान होगा। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। पर्यावरण अनुकूल जैव ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। बायोमैन्यूर की उपलब्धता तथा प्रयोग से खेतों की उर्वरता बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश तथा रोजगार सृजित होगा। आयातित कच्चे तेल तथा पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी तथा विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
बुंदेलखंड क्षेत्र का पहला टाइगर रिजर्व चित्रकूट में, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र का पहला टाइगर रिजर्व चित्रकूट में होगा। योगी कैबिनेट ने मंगलवार को राज्य सरकार की इस परियोजना को मंजूरी दे दी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में चित्रकूट के रानीपुर वन्य जीव विहार को बुंदेलखंड क्षेत्र का पहला टाइगर रिजर्व बनाने प्रस्ताव पारित किया गया।इस टाइगर रिजर्व का फैलाव 52989.863 हेक्टेअर में होगा। कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया कि रानीपुर टाइगर कंजरवेशन फाउंडेशन भी बनाया जाएगा।योगी सरकार का मानना है कि रानीपुर टाइगर रिजर्व बनने से बुंदेलखंड क्षेत्र में वन्य जीवों का संरक्षण होगा और क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पर्यटकों के आने से क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा।(हि.स.)।