ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है:मोदी
मोदी ने ब्रिक्स समूह के बीच वित्तीय एकीकरण, आपसी व्यापार में अपनी मुद्राओं के प्रयोग पर दिया बल
कज़ान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स को वैश्विक समस्याओं के हल खोजने और बहुपक्षवाद के एक प्रभावी मंच के रूप में उभरने पर संतोष व्यक्त करने के साथ इस बात के लिए आगाह किया है कि कहीं संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम वैश्विक संस्थाओं में सुधार नहीं, बल्कि उन्हें हटा कर नयी व्यवस्था लाना चाहते हैं।प्रधानमंत्री ने 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के सीमित पूर्ण सत्र में अपने वक्तव्य में यह बात कही। उन्होंने कहा,“ हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में उत्तर दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है।
श्री मोदी ने कहा,“ महंगाई की रोकथाम, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं। और, टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सुरक्षा, डीप फेक, मिथ्या सूचना जैसी नई चुनौतियाँ बन गई हैं। ऐसे में, ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं।मेरा मानना है कि एक विविधतापूर्ण और समावेशी प्लेटफॉर्म के रूप में, ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस संदर्भ में हमारी कार्यशैली जन केंद्रित रहनी चाहिए।हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।”उन्होंने कहा,” हम युद्ध नहीं, संवाद एवं कूटनीति का समर्थन करते हैं। और, जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
“श्री मोदी ने कहा,“ आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के लिए हम सभी को एक मत हो कर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे देशों के युवाओं में कट्टरपन को रोकने के लिए हमें सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि के लंबित मुद्दे पर हमें मिलकर काम करना होगा। उसी तरह साइबर सुरक्षा, सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमन के लिए काम करना चाहिए।”उन्होंने कहा कि भारत नए देशों का ब्रिक्स साझीदार देश के रूप में स्वागत करने के लिए तैयार है। इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान करना चाहिए। जोहानेसबर्ग शिखर-सम्मेलन में जो दिशानिर्देशक सिद्धांत, मानक, मानदंड और प्रक्रियाओं को हमने अपनाया था, उनका पालन सभी सदस्य और साझीदार देशों को करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा,“ ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज़ उठानी चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंक, विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।”श्री मोदी ने आगाह किया, “ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम वैश्विक संस्थाओं में सुधार नहीं, बल्कि उन्हें हटा कर नयी व्यवस्था लाना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। वाॅयस आफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन और अपनी जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने इन देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा,” मुझे खुशी है कि ब्रिक्स के अंतर्गत भी इन प्रयासों को बल मिल रहा है। पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों को ब्रिक्स से जोड़ा गया। इस वर्ष भी रूस द्वारा अनेक ग्लोबल साउथ के देशों को आमंत्रित किया गया है।”उन्होंने कहा,“ विभिन्न प्रकार के विचारों और विचारधाराओं के संगम से बना ब्रिक्स समूह, आज विश्व को सकारात्मक सहयोग की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमारी विविधता, एक दूसरे के प्रति सम्मान, और सर्वसम्मति से आगे बढ़ने की परंपरा, हमारे सहयोग का आधार हैं। हमारी यह गुणवत्ता और ‘ब्रिक्स स्पिरिट’ अन्य देशों को भी इस मंच की ओर आकर्षित कर रही है।”श्री मोदी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भी, हम सब मिलकर इस अनूठे प्लेटफार्म को संवाद, सहयोग और समन्वय का उदाहरण बनाएंगे। इस संदर्भ में, ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत अपने दायित्वों का हमेशा निर्वाहन करता रहेगा।
“उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की वजह से दुनिया का ध्यान इस वक्त कजान पर है। रूस के तातारस्तान प्रांत की राजधानी कजान इस समिट की मेजबानी कर रहा है।
मोदी ने ब्रिक्स समूह के बीच वित्तीय एकीकरण, आपसी व्यापार में अपनी मुद्राओं के प्रयोग पर दिया बल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स समूह के विस्तार के साथ इसकी आर्थिक शक्ति को रेखांकित करते हुए सदस्यों से देशों के बीच पर्यावरण अनुकूल तकनीक को प्रोत्साहित करने में सहयोग और वित्तीय एकीकरण एवं पारस्परिक व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के प्रयोग की व्यवस्था करके आर्थिक सहयोग को अधिक सुदृढ़ करने पर बल दिया।श्री मोदी रूस की अध्यक्षता में यहां आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के खुले पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि नए विस्तारित स्वरूप में ब्रिक्स विश्व की 40 प्रतिशत मानवता और लगभग 30 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। पिछले लगभग दो दशकों में, ब्रिक्स ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। हमारा विश्वास है कि आने वाले समय में यह संगठन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक प्रभावी माध्यम बन कर के उभरेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , “मैं न्यू डेवेलपमेंट बैंक (एनडीबी) की अध्यक्षा दिलमा रूसेफ़ का अभिनंदन करता हूँ। पिछले दस वर्षों में, यह बैंक ग्लोबल साउथ (दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देशों) के विकास के लिए महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है। भारत के गिफ्ट सिटी के साथ-साथ, अफ्रीका तथा रूस में क्षेत्रीय केंद्रों के खुलने से इस बैंक की गतिविधियों को बल मिला है और लगभग 35 अरब डॉलर की विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।”उन्होंने कहा कि एनडीबी को मांग आधारित सिद्धांत पर काम करते रहना चाहिए और, बैंक का विस्तार करते हुए, दीर्घकालिक वित्तीय मजबूती, निष्पक्ष क्रेडिट रेटिंग व्यवस्था और निर्यात बाजार में प्रवेश की आसानी सुनिश्चित करने पर प्राथमिकता रहनी चाहिए।
श्री मोदी ने कहा, “नए स्वरूप में, ब्रिक्स 30,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल और ब्रिक्स वीमेन बिज़नेस अलायन्स की विशेष भूमिका रही है। इस वर्ष, ब्रिक्स के अंदर डब्लूटीओ सुधार, कृषि व्यापार सुविधा, टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला, ई-काॅमर्स और विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र को लेकर जो सहमति बनी है, उससे हमारे आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा।”प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सब पहलों के बीच समूह को लघु और मध्यम उद्योगों के हितों पर भी फोकस करना चाहिए। उन्होंने इस वर्ष ब्रिक्स स्टार्ट अप्स फोरम इस वर्ष शुरू किए जाने का भी उल्लेख किया जिसका प्रस्ताव 2021 में भारत की अध्यक्षता में किया गया था।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा लिया गया रेलवे रिसर्च नेटवर्क की पहल भी ब्रिक्स देशों के बीच लाॅजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखलाओं की कनेक्टिविटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। इस साल ब्रिक्स देशों में, यूनिडो के साथ मिलकर, इंडस्ट्री 4.0 (डिजिटलीकृत विनिर्माण) के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर बनी सहमति बहुत ही महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि 2022 में पेश किया गया ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र सभी देशों की स्वास्थ्य सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर रहा है। हमें डिजिटल स्वास्थ्य में भारत का सफल अनुभव ब्रिक्स साझीदारों के साथ साझा करने में खुशी होगी। जलवायु परिवर्तन हमारी साझी प्राथमिकता का विषय रहा है।रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स ओपन कार्बन मार्केट साझीदारी (खुले कार्बन क्रेडिट बाजार की साझेदारी) के लिए बनी सहमति का स्वागत है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में भी हरित प्रगति, जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचे और हरित प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाए जाने पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई), मिशन लाइफ यानि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली, एक पेड़ माँ के नाम जैसी पहल शुरू हुई हैं। पिछले वर्ष सीओपी-28 के दौरान हमने ग्रीन क्रेडिट जैसी महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की। मैं ब्रिक्स साझीदारों को इन पहलों से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ।”उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के सभी देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है। भारत में मल्टी माॅडल कनेक्टिविटी को तेजी से बढ़ाने के लिए हमने गति-शक्ति पोर्टल बनाया है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समेकित नियोजन और क्रियान्वयन में मदद मिली है और लाॅजिस्टिक्स लागत कम हुई है। हमारे अनुभव आप सभी के साथ साझा करने में हमें खुशी होगी।
श्री मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण बढ़ाने के लिए प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और सुगम रूप से सीमापार भुगतान प्रणाली से हमारा आर्थिक सहयोग सुदृढ़ होगा। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा बनाया गया यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई भारत की एक बहुत बड़ी कामयाबी है। इसे कई देशों में अपनाया गया है। पिछले वर्ष महामहिम शेख मोहम्मद के साथ मिलकर हमने इसे यूएई में भी लॉन्च किया। अन्य ब्रिक्स देशों के साथ भी इसमें सहयोग किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स के अंतर्गत सहयोग बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हमारी विविधतापूर्ण और बहुपक्षीय व्यवस्था में हमारा दृढ़ विश्वास हमारी ताकत है।हमारी यही ताकत, और मानवता में साझा विश्वास, हमारी भावी पीढ़ी के समृद्ध और सशक्त भविष्य को सार्थक रूप देने में सहयोगी होगा।
ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका- इन पांच संस्थापक सदस्यों के साथ अब मिस्र , इथियोपिया, ईरान , संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा सऊदी अरब को भी इसकी सदस्यता दी गयी है। सऊदी अरब अभी इसमें औपचारिक रूप से शामिल नहीं हुआ है।
पांच साल बाद हुई मोदी, जिनपिंग की मुलाकात
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उपजे सैन्य तनाव को घटाने के लिए एक अहम समझौते के बाद आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात में सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक शीघ्र बुलाने पर सहमति जतायी।विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संवाददाताओं को इस महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच करीब पांच वर्ष बाद द्विपक्षीय बैठक हुई है। आखिरी बैठक 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई थी।उन्होंने कहा कि यह बैठक सैनिकों की वापसी और गश्त समझौते और 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों के समाधान के ठीक बाद हुई है। दोनों नेताओं ने स्वागत किया पिछले कई हफ्तों में राजनयिक और सैन्य चैनलों पर निरंतर बातचीत के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी।
बातचीत में दोनों नेताओं ने सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को हमारी सीमाओं पर शांति भंग न होने देने के महत्व को रेखांकित किया और माना कि भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों को सीमा प्रश्न के समाधान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की भी समीक्षा की। उनका विचार था कि विश्व के दो सबसे बड़े राष्ट्रों भारत और चीन के बीच स्थिर द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और बुद्धिमत्ता के साथ, और एक-दूसरे की संवेदनशीलता, हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं के लिए पारस्परिक सम्मान दिखा कर, दोनों देश शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभकारी द्विपक्षीय संबंध बना सकते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन की बहाली हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की राह पर लौटने के लिए जगह बनाएगी।
विदेश सचिव के अनुसार दोनों नेताओं ने कहा कि अधिकारी अब हमारे संबंधित विदेश मंत्रियों के स्तर सहित प्रासंगिक आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता तंत्र का उपयोग करके रणनीतिक संचार बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगला कदम उठाएंगे। ब्रिक्स और इस विशेष मंच पर भारत और चीन के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर भी उनके बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। अंत में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अगले वर्ष चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन भी दिया।श्री मिस्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, “निश्चित रूप से हमारी अपेक्षा है कि न केवल कुछ दिन पहले भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकारों के बीच जो समझौता हुआ था, बल्कि सर्वोच्च नेता स्तर पर उस समझौते के समर्थन के परिणामस्वरूप भी यह संभव हो सका। जैसा कि आज की बैठक में हुआ, दोनों देशों के बीच प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ने भारतीय और चीनी वार्ताकारों द्वारा किए गए प्रयासों और उनके द्वारा प्राप्त परिणामों का स्वागत किया। मुझे लगता है कि इनसे निश्चित रूप से एलएसी पर स्थिति में नरमी आनी चाहिए। हमारे पास विश्वास-निर्माण के कई उपाय हैं और ये लगातार विकसित होते रहते हैं। चूंकि दोनों पक्ष एक बार फिर कई प्रारूपों में शामिल हो रहे हैं, यह निश्चित रूप से एक ऐसा विषय है जिस पर मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के बीच चर्चा होगी।
”श्री मिस्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत चीन सीमा मसले पर अपने अपने विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र मिलने और इस संबंध में अपने प्रयास जारी रखने का निर्देश दिये। उन्होंने कहा, “आपको याद होगा कि भारत के विशेष प्रतिनिधि, अजीत डोभाल, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं, और चीन के विशेष प्रतिनिधि, विदेश मंत्री वांग यी, जो पोलित ब्यूरो के भी सदस्य हैं, ने अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के मौके पर मुलाकात की है। दिसंबर 2019 के बाद से उन्होंने विशेष प्रतिनिधि प्रारूप में बातचीत का एक दौर नहीं लिया है। आज की बैठक के बाद, हमें उम्मीद है कि हम अगले दौर की बातचीत तय करेंगे। विशेष प्रतिनिधि उचित तिथि पर बातचीत करते हैं।”(वार्ता)