
भाजपा की प्रचंड जीत, काशी और मथुरा समेत कई जिलों में क्लीन स्वीप
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रचंड जीत के साथ दोबारा सत्ता में वापसी की है। अब तक घोषित परिणामों में भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ 161 सीटों पर जीत हासिल की है और 111 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।प्रदेश की प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) अपने सहयोगी दलों के साथ अब तक 69 सीटों को जीतकर 57 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने अभी तक एक सीट जीती है और एक दूसरी सीट पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मात्र एक सीट पर मतगणना में आगे चल रही है। इसके अलावा दो सीटों पर राजा भैया के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने कब्जा किया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना सूबे के सभी 75 जिलों में 84 मतगणना केन्द्रों पर 403 विधानसभा सीटों के लिए आज सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रारम्भ हुई। चुनाव आयोग के निर्देश के क्रम में सबसे पहले पोस्टल बैलट व सर्विस मतदाताओं के वोटों की गिनती हुई। साढ़े आठ बजे से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में पड़े मतों की गणना शुरू हुई। शुरुआती रुझान में भाजपा सभी दलों को पीछे छोड़ आगे निकलने लगी और यह क्रम लगातार जारी रहा।
हालांकि, मतगणना की प्रक्रिया अब भी जारी है लेकिन चुनाव आयोग द्वारा अब तक घोषित नतीजों के अनुसार भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर, कृष्ण नगरी मथुरा और लखीमपुर खीरी सहित कई जिलों में क्लीन स्वीप किया है। मुख्यमंत्री योगी ने गोरखपुर शहर सीट से एक लाख दो हजार मतों से सपा उम्मीदवार को हराया है।
भाजपा ने वाराणसी में 2017 के नतीजों को दोहराते हुए वहां की सभी आठों विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया है। देर शाम तक मिले नतीजों के अनुसार वाराणसी उत्तरी से रवींद्र जायसवाल (मंत्री), वाराणसी दक्षिण से डॉ नीलकंठ तिवारी (मंत्री), वाराणसी कैंट से सौरभ श्रीवास्तव, शिवपुर से अनिल राजभर (मंत्री), पिंडरा से डॉ अवधेश सिंह, सेवापुरी से नील रतन सिंह पटेल, अजगरा से टी. राम और रोहनियां से सुनील पटेल (अद-एस) ने जीत हासिल की है।
उधर, कृष्ण नगरी मथुरा जनपद की भी सभी सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मथुरा सदर सीट पर अपनी ही जीत का रिकॉर्ड तोड़ा है। इसके अलावा गोवर्धन से भाजपा प्रत्याशी ठाकुर मेघश्याम, मांट से राजेश चौधरी, छाता से सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण और बलदेव सीट से पूरन प्रकाश ने भगवा परचम लहराया है।
भाजपा ने 2017 के चुनाव में राम नगरी अयोध्या की भी सभी पांचों सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन इस बार उसे वहां तीन सीट पर ही संतोष करना पड़ा है। दो सीटें सपा के कब्जे में चली गई है। अयोध्या विधानसभा सीट से वेदप्रकाश गुप्ता ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। रुदौली से भाजपा के रामचंद्र यादव ने लगातार तीन बार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई है। बीकापुर से भाजपा के अमित कुमार सिंह चुनाव जीते हैं। वहीं सपा से अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर और अभय सिंह ने गोसाईगंज विधानसभा सीट जीती है।
योगी बनाएंगे रिकॉर्ड, तोड़ेंगे नोएडा का अंधविश्वास
अब तक आए चुनावी नतीजों के आधार पर भाजपा उप्र में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। ऐसे में यदि योगी आदित्यनाथ विधायकी जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह एक साथ कई रिकॉर्ड बनाएंगे। करीब 37 साल बाद मुख्यमंत्री रहते हुए वह दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। इससे पहले वर्ष 1985 में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री रहते हुए लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने थे।
इसी तरह गोरखपुर जिले से बतौर मुख्यमंत्री विधानसभा का चुनाव जीतने वाले योगी आदित्यनाथ पहले नेता होंगे। इससे पहले वर्ष 1971 में त्रिभुवन नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए गोरखपुर जिले से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गये थे।
इसके अलावा, उप्र का दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ नोएडा के अंधविश्वास को भी तोड़ने में सफल होंगे। दरअसल, पिछले कुछ दशकों से एक अंधविश्वास या मिथक चल रहा है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ नहीं ले पाता है। इसी अंधविश्वास के चलते वर्ष 2012 में नोएडा से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो पूरे कार्यकाल में वह एक बार भी नोएडा नहीं गये।
यह मिथक 1988 में उस समय प्रारम्भ हुआ, जब बतौर मुख्यमंत्री नोएडा से लौटते के कुछ समय बाद ही वीर बहादुर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बाद में नारायण दत्त तिवारी को भी नोएडा दौरे के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। इसके बाद कई मुख्यमंत्रियों ने नोएडा जाने से परहेज किया, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को खारिज करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा गये।(हि.स.)