बिहार चुनाव 2025: कानू हलवाई समाज की ऐतिहासिक जीत और राजनीतिक उभार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कानू हलवाई समाज ने इतिहास रचते हुए एनडीए गठबंधन की ओर से दी गई सभी छह सीटों पर शानदार जीत हासिल की। यह विजय समाज की राजनीतिक जागरूकता, एकता और भाजपा-जदयू नेतृत्व में विश्वास का प्रमाण है। आरजेडी द्वारा टिकट से वंचित किए जाने के बाद समाज ने एकमुश्त वोटिंग से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। बाबा गणिनाथ जी के आशीर्वाद, सुशासन की अपेक्षा और नेतृत्व के प्रति विश्वास ने इस समुदाय को अब उपमुख्यमंत्री पद की मांग तक पहुँचा दिया है। यह लेख समाज की इस राजनीतिक यात्रा की प्रेरणादायक कहानी को सामने लाता है।
- एनडीए की जबरदस्त जीत में कानू हलवाई समाज की 6 सीटों पर विजय ने सामाजिक एकता, नेतृत्व में विश्वास और राजनीतिक चेतना की नई इबारत लिखी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने राजनीति के मानचित्र पर भूचाल ला दिया है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने ऐतिहासिक विजय हासिल की, जिससे भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। साथ ही, एनडीए की साझीदार जनता दल (यूनाइटेड) को 85 सीटें मिलीं। कुल मिलाकर एनडीए ने 243-सदस्य बिहार विधानसभा में 202 सीटें जीतीं, जबकि प्रतिद्वंदी महागठबंधन में केवल राजद को 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस करारी हार को ‘लालू पुत्रों की अप्रत्याशित हार’ बताया, जबकि भाजपा और जनता दल (यू) ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासवादी नीतियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का परिणाम ठहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘जन-हितैषी शासन के प्रति जनता के विश्वास’ का परिणाम बताते हुए कहा कि निवेश, रोजगार और पर्यटन से बिहार की तस्वीर बदलने जा रही है। मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भी बिहारवासियों का धन्यवाद करते हुए इसे ‘लैंडस्लाइड जनादेश’ बताया।
ऐतिहासिक एनडीए विजय में कानू हलवाई समाज की सफलता ने सभी को चौंका दिया। चुनाव से पहले ही संकेत मिले थे कि एनडीए इस समुदाय को राजनीति में शामिल करने पर जोर दे रही है। भाजपा ने चुनावी टिकटों में पिछड़ी जातियों को मौका देते हुए तीन कानू जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया, जबकि जदयू ने ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) श्रेणी से एक कानू और एक हलवाई को टिकट दिया। कुल मिलाकर एनडीए गठबंधन की ओर से कानू हलवाई समाज को छह विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी बनाया गया था। इन सभी छह सीटों पर कानू हलवाई उम्मीदवारों ने शानदार जीत दर्ज की, जिससे समाज की एकता और सशक्तिकरण की कहानी लिखी गई है।
- मोतिहारी विधानसभा – भाजपा प्रत्याशी प्रमोद कुमार गुप्ता विजयी
- कुढ़नी विधानसभा – भाजपा प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता विजयी
- छपरा विधानसभा – भाजपा प्रत्याशी छोटी कुमारी विजयी
- संदेश विधानसभा – जदयू प्रत्याशी राधाचरण सेठ विजयी
- लौकहा विधानसभा – जदयू प्रत्याशी सतीश कुमार साह विजयी
- बख्तियारपुर विधानसभा – अरुण कुमार गुप्ता विजयी
इन छह क्षेत्रों की जीत ने न केवल भाजपा-जदयू के स्थानीय समर्पित कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया, बल्कि कानू हलवाई समाज के लिए गर्व का पल भी साबित हुआ। बाबा गणिनाथ भक्त मंडल के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता का कहना है कि यह विजय समाज की एकजुटता, पार्टी के प्रति विश्वास और भाजपा के प्रति जन-स्नेह का त्रिवेणी मेल है। विशेष रूप से भाजपा जिला मंत्री पूनम गुप्ता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और एनडीए की विकासकारी नीतियों ने बिहार को नई दिशा दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कानू हलवाई समाज को मिली ये छह सीटें समाज की जागरूकता और जनता के विश्वास का प्रमाण हैं। पूनम गुप्ता ने सभी विजयी उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा कि भाजपा के प्रति लोगों का स्नेह और समाज की एकता ने यह परिणाम सुनिश्चित किया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अब एनडीए सरकार बिहार के विकास, सुशासन, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के नए आयाम खोलेगी, और वह संगठन और समाज के साथ मिलकर पार्टी को और अधिक मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कानू हलवाई समुदाय के कई नेताओं ने इस जीत को सामुदायिक एकता की मिसाल बताते हुए कहा कि इनका पूरा जनाधार एनडीए के साथ गया। बाबा गणिनाथ भक्त मंडल के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने भी यह खुशी जताई कि कानू हलवाई को एनडीए की ओर से मिलें सभी छह टिकटों पर जीत मिली है, जो समाज की एकता और राजनीतिक सशक्तिकरण का संदेश है। उन्होंने कहा कि यह जीत सामाजिक समरसता, विकास और सुशासन के नए युग की शुरुआत का संकेत है। राजेंद्र प्रसाद ने मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व को बधाई दी तथा आशा व्यक्त की कि राज्य और समाज दोनों के हित में बेहतर कार्य होगा।
कानू हलवाई समाज ने बिहार चुनाव में जिन छह सीटों पर विजय पाई है, वे साफ-साफ दिखाती हैं कि इस समुदाय ने मन, धन और एकजुट वोट से एनडीए को मजबूत किया। आंकड़ों की भाषा में, भाजपा को बिहार में 89 सीटें मिलीं, जो 89% स्ट्राइक रेट दर्शाती है। एनडीए ने कुल 202 सीटें जीतीं, जिससे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह नई नीति की जीत है। दूसरी ओर, राजद-महागठबंधन मात्र 25 सीटों पर संतोष कर गया। इन आंकड़ों के बीच कानू हलवाई की सभी छह उम्मीदवारों की जीत ने मिथकों को तोड़ते हुए साबित किया कि छोटे समुदाय मिलकर बड़ी ताकत बन सकते हैं।
आरजेडी की नजरअंदाजी और समाज की नाराजगी
कानू हलवाई समाज के नेता स्पष्ट करते हैं कि आरजेडी ने इस समुदाय की भावनाओं को अनदेखा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि महागठबंधन में शामिल राजद ने ना केवल टिकट देने में कानू हलवाई की अनदेखी की, बल्कि शाहबुद्दीन के पुत्र ओसामा को टिकट देकर समाज को ठेस पहुँचाई। इस खबर ने समाज में असुरक्षा की भावनाएं जगाई। कंदू हलवाई संगठन के नेताओं के अनुसार, इसी भरोसेघात के कारण समाज ने महागठबंधन को पहले ही त्याग दिया।
महागठबंधन प्रत्याशियों को छोड़ते हुए कानू हलवाई समाज ने पूरे जोश से अपना वोट एनडीए को दिया। समाज के कार्यकर्ता बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन के मंच से बाबा गणिनाथ और कानू समाज के नाम लेने के बाद भी टिकट ना मिलने पर गहरा आघात हुआ। उन्होंने माना कि महागठबंधन ने सिर्फ नौटंकी की, जबकि उन्हें ठोस निर्णय से वंचित रखा। एक प्रचलित उदाहरण के रूप में कहा जाता है कि तेजस्वी यादव ने भी चुनावी सभा में बाबा गणिनाथ की जयकारा लगवाया और कानू हलवाई को टिकट देने का आश्वासन दिया था, लेकिन टिकट नहीं मिलने से समाज को विश्वासघात हुआ। इस सबके चलते कानू हलवाई समाज ने बहुत ही संगठित तरीके से महागठबंधन को किनारा कर दिया और एकदम से एनडीए के साथ खड़ा हो गया।
समाज की एकजुटता और राजनीतिक सशक्तिकरण
कानू हलवाई समाज ने स्वयं को वर्षो तक मतदाताओं के हाथों निर्वासित महसूस किया, लेकिन इस चुनाव में उसने अपनी ताकत दिखा दी। समाज की उपलब्ध जनसंख्या बिहार में करीब 4% है, और यदि मध्यदेशीय वैश्य महासभा के अंतर्गत आने वाले सभी 24 जातियों को मिलाया जाए तो इसका प्रभाव लगभग 6% तक पहुंच सकता है। नेताओं का कहना है कि इतने बड़े वोटबैंक का ध्यान रखना सभी दलों के लिए अहम हो गया है।
परिणाम यह रहा कि इस बार कानू हलवाई ने पूरे बिहार में एनडीए प्रत्याशियों को जबरदस्त वोट दिए। चुनाव बाद प्रसन्नता जताते हुए संगठन के पदाधिकारी बोले कि जनता ने अपने वोट की ताकत से बता दिया है कि संघर्षरत दल को पहचान देना है। परिवार-परिजनों ने एक-दूसरे को बधाइयाँ दीं, कार्यकर्ताओं ने डंका बजाकर जीत का जश्न मनाया। एक नेता ने गर्व से कहा, “सबका साथ-सबका विकास का मंत्र लिए हम उसी मुहिम को साकार होते देख रहे हैं।”
समाज की इस ऐतिहासिक सफलता ने उसे राजनीतिक परिदृश्य में नई शिद्दत से खड़ा कर दिया है। नेताओं के मुताबिक अब कानू हलवाई समाज को इसकी हिस्सेदारी मिलने लगी है। भविष्य में यह समाज भागीदारी चाहता है – सिर्फ संघर्ष का हिसाब नहीं, बल्कि सुशासन में सम्मान भी। कानू हलवाई के नेताओं ने मिलकर मांग की है कि सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री का दर्जा मिले, ताकि समाज के मुद्दों को सीधे शासकीय स्तर पर उठाया जा सके। मध्यदेशीय वैश्य महासभा के पदाधिकारियों के मुताबिक, कानू हलवाई बिहार की राजनीतिक तस्वीर पर छाप छोड़ने में सफल हो चुका है। उन्होंने आगाह किया है कि अब इस समाज को नजरअंदाज कर पाना आसान नहीं होगा, क्योंकि इधर यह समाज नए सिरे से संगठित हो गया है।
बाबा गणिनाथ का आशीर्वाद और सांस्कृतिक पहचान
कानू हलवाई समाज का अपना एक पावन कर्तव्य-स्थल भी है – बाबा गणिनाथ धाम। बाबा गणिनाथ इस समुदाय के कुलदेवता माने जाते हैं। बिहार के वैशाली जिले के पलवैया धाम (हसनपुर, महनार) में बाबा गणिनाथ का समाधि स्थल है, जहाँ हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन जुटते हैं। भाजपा-जदयू सरकार ने बाबा गणिनाथ धाम में विकास कार्य करके समुदाय का विशेष ख्याल रखा ,सौंदर्यीकरण योजनाएं चलाईं। इस बार चुनाव के दौरान भाजपा और जदयू ने बाबा गणिनाथ की जन्मभूमि के महत्त्व को भी प्रचार में उठाया, जिससे समुदाय के धार्मिक भावनात्मक जुड़ाव का लाभ मिला।
विपक्ष में रहकर भी राजद ने एक मौके पर मंच से बाबा गणिनाथ की जयकार लगाई थी, मगर टिकट न देने की वजह से उनका यह समर्थन समाज को छलने जैसा लगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, कानू हलवाई समाज ने बहुमत के विश्वास को अपने साथी बताया। इस घटना को सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अहम बताया जा रहा है। एक स्थानीय विद्वान बताते हैं कि दशकों से पिछड़े समुदायों के देवों-धर्मों को भूलने की भूल बिहार की राजनीति में बार-बार हुई; अब यह परिवर्तन ईश्वर की कृपा जैसा लग रहा है कि बाबा गणिनाथ का नाम प्रधानमंत्री समेत सभी दलों के मंच पर गूंजा, और समाज को संबोधन मिला।
विकास, सुशासन और महिला सशक्तिकरण के वादे
भाजपा और एनडीए ने चुनाव के दौरान बिहार के विकास की तस्वीर पेश की है और कानू हलवाई समाज ने भी इन वादों को गंभीरता से लिया। समाज की कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये छह विजय हमें विकास के नए वादे देती हैं। उनकी मांग है कि सड़क, पुल, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। भाजपा ने घोषणापत्र में भी ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने का वादा किया था।
महिला सशक्तिकरण पर भी जोर है, क्योंकि इस चुनावी लहर में महिलाओं ने भी सरकार से अपने अधिकारों की उम्मीद जताई थी। छोटी कुमारी की जीत ने महिलाओं को प्रेरणा दी है। भाजपा की नीतियाँ जैसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वरोजगार योजनाएँ, कौशल विकास* आदि को तेज करने की बात कही गई है। बधाई कार्यक्रमों में महिलाओं ने भी सभाएं की और कहा कि आगे महिला शिक्षा, स्वरोजगार, मातृत्व स्वास्थ्य पर योजनाएँ क्रियान्वित हों। सामाजिक न्याय के तहत सभी पिछड़ी और अल्पसंख्यक वर्गों को आरक्षण, आर्थिक सहायता और मकान-बजट की गारंटी की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भी कहा कि अब बिहार में नई निवेश की बौछार होगी, जिससे अधिक रोजगार पैदा होंगे, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और हर तीर्थ-स्थल का कायाकल्प होगा। इन सबके मद्देनजर, कानू हलवाई समाज इस नई सरकार से आत्मीय उम्मीद लगाकर बैठा है कि पुराने जख्म भरें जाएँगे और विकास का भरोसा टूटने नहीं दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नितीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि तीन तलाक, मातृत्व अस्पताल, कानून-व्यवस्था में सुधार, शिक्षण संस्थानों का सुदृढ़ीकरण उनकी अगली प्राथमिकताएँ होंगी। कानू हलवाई के लोग चाहते हैं कि इन घोषणाओं में समुदाय की भी भागीदारी हो। इधर, विपक्ष महागठबंधन महागठबंधन में नए घोटालों और जुमलों की कहानी सुनाता रहा, लेकिन जनता के दिल में ‘काम’ की छाप बनाने की होड़ में अब भाजपा-जदयू को यह मौका मिला है।
उपमुख्यमंत्री की मांग: अधिकारों की आवाज़
कानू हलवाई समाज के नेताओं ने चुनावी जीत के बाद बिहार सरकार से अपनी राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने की मांग तेज कर दी है। मद्धेशिया कानू समाज के प्रमुख नेता विजय कुमार गुप्ता ‘गंगा बाबू’, पूनम गुप्ता, बाबा गणिनाथ भक्त मंडल के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता समेत कई अन्य नेताओं ने कहा है कि एनडीए में कानू समाज की निर्णायक भूमिका को देखते हुए समाज से आने वाले किसी विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
उनका कहना है कि बिहार में कानू हलवाई समाज की आबादी 4 प्रतिशत से अधिक है, और अगर मध्यदेशीय वैश्य महासभा में आने वाली सभी 25 उपजातियों को जोड़ा जाए तो मतदाता प्रतिशत 6% के आसपास पहुँचता है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक प्रतिनिधित्व का यह बड़ा सवाल बन चुका है। नेताओं का तर्क है कि जब समाज एकजुट होकर एनडीए को वोट देता है, सभी छह सीटें जितवाता है और राज्य में निर्णायक भूमिका निभाता है, तो उसे सरकार में भी यथोचित भागीदारी मिलनी ही चाहिए।
नेताओं ने यह भी जोड़ा कि आरजेडी शासन में जिस प्रकार वैश्य समाज की उपेक्षा और शोषण हुआ, खासकर कानू समाज की दयनीय स्थिति रही, अब एनडीए से उन्हें न्याय और सम्मान की अपेक्षा है।बाबा गणिनाथ भक्त मंडल ने भी उपमुख्यमंत्री पद की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यह समाज अब केवल चुनावी हथियार नहीं, बल्कि नीति-निर्धारण में भागीदार बनना चाहता है। उन्होंने कहा कि अगर एनडीए व भाजपा इस समर्थन को आगे भी कायम रखना चाहती है, तो उन्हें यह ऐतिहासिक मौका देकर समाज के विश्वास को और मज़बूत करना होगा।
बिहार चुनाव में हुई बड़ी जीत से उत्साहित कान्दू समाज-उत्तर प्रदेश में भी बढ़ी राजनीतिक सक्रियता, नेतृत्व ने कहा: “अब संख्या बल के आधार पर सम्मान ज़रूरी”
बिहार विधानसभा चुनाव में मद्धेशिया कानू हलवाई समाज के शानदार प्रदर्शन ने उत्तर प्रदेश में भी कान्दू समाज के भीतर नया उत्साह जगा दिया है। उत्तर प्रदेश में यह समाज ‘कान्दु’ नाम से आरक्षण प्राप्त करता है, और पूर्वांचल के कई जिलों में इसका मजबूत जनाधार है। समाज से जुड़े प्रमुख नेताओं ने कहा कि पूर्वांचल में कान्दू समाज का प्रभाव 40 से अधिक सीटों पर निर्णायक स्थिति में है, इसलिए अब राजनीति में समाज की वास्तविक शक्ति के अनुरूप सम्मान और भागीदारी मिलनी चाहिए।
बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, मध्यदेशीय वैश्य महासभा युवा समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रंजीत गुप्ता, प्रदेश संरक्षक अशोक गुप्ता, राजाराम गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुप्ता, प्रदेश महामंत्री संगठन एवं युवा पत्रकार मनोज मध्यदेशिया, राजनीतिक प्रकोष्ठ के संयोजक हरेराम गुप्ता तथा प्रदेश युवा अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने संयुक्त रूप से कहा कि समाज अब जागरूक है और अपने अधिकारों के प्रति संगठित होकर आगे बढ़ रहा है।
मध्यदेशीय वैश्य महासभा उत्तर प्रदेश ने बिहार में विजयी सभी मद्धेशिया कानू हलवाई समाज के नवनिर्वाचित विधायकों को शुभकामनाएँ दी हैं। प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने इसे “संगठन और समाज के लिए स्वर्णिम दौर” बताया। प्रदेश महामंत्री संगठन मनोज कुमार मद्धेशिया ने कहा कि “मद्धेशिया कानू समाज का सर गर्व से ऊँचा हुआ है।” प्रदेश उपाध्यक्ष मायाशंकर निर्गुणायक, राष्ट्रीय मंत्री हीरालाल मद्धेशिया और प्रभात मद्धेशिया ने भी जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अब उत्तर प्रदेश में भी समाज को राजनीतिक रूप से आगे आना चाहिए।
भविष्य की चुनौतियाँ और नई उम्मीदें
कानू हलवाई समाज की यह राजनीतिक सफलता न सिर्फ बिहार बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी प्रभाव डालेगी। इन क्षेत्रों में फैले समाज ने पहली बार एक सामूहिक राजनीतिक रुख अपनाया है। अब यह समाज राजनीतिक दलों के लिए केवल संख्या नहीं बल्कि रणनीतिक बल बन चुका है।समाज के नेताओं ने कहा कि यह शुरुआत भर है – आगे समाज शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, संस्कृति और सुरक्षा के मुद्दों पर व्यापक एजेंडा के साथ काम करेगा। समाज चाहता है कि अब उसे सिर्फ चुनाव में याद न किया जाए बल्कि स्थायी विकास योजनाओं में भागीदार बनाया जाए।
बाबा गणिनाथ भक्त मंडल और समस्त कानू समाज ने इस अभूतपूर्व सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा-जदयू नेतृत्व, सभी विजयी प्रत्याशियों और समर्पित कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दीं और भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में यह साझेदारी बिहार को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगी।



