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जीएसटी, आबकारी हो या खनन और परिवहन, हर सेक्टर में है पोटेंशियल, राजस्व बढ़ाने के लिए नए स्रोत तलाशें: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने की चालू वित्तीय वर्ष के कर-करेत्तर राजस्व प्राप्तियों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा, कहा-लक्ष्य के सापेक्ष तेज करें प्रयास.चालू वित्तीय वर्ष में अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश में हुआ 1.16 लाख करोड़ से अधिक का राजस्व संग्रह.

  • मुख्यमंत्री का निर्देश, राजस्व संग्रह में लापरवाही पड़ेगी भारी, हर स्तर पर तय होगी जवाबदेही
  • जनता से एकत्र धनराशि जनता की, जनहित में ही होगा उपयोग: मुख्यमंत्री
  • राज्य कर और आबकारी विभाग के टारगेट की हो साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक समीक्षा: मुख्यमंत्री

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में कर-करेत्तर राजस्व प्राप्तियों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री  ने बारी-बारी से जीएसटी, वैट, आबकारी, स्टाम्प एवं पंजीयन, परिवहन, भू-राजस्व और ऊर्जा में राजस्व संग्रह के लक्ष्य और उसके सापेक्ष प्राप्तियों का विवरण प्राप्त किया। साथ ही विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल और स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल की उपस्थिति भी रही।

बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए प्रमुख दिशा-निर्देश

● नियोजित प्रयासों से प्रदेश के कर-करेत्तर राजस्व संग्रह में सतत वृद्धि हो रही है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2 लाख 70 हजार करोड़ के राजस्व संग्रह के लक्ष्य के सापेक्ष अक्टूबर तक विविध माध्यमों से ₹1.16 लाख करोड़ से अधिक की राजस्व प्राप्ति हुई है। इसमें जीएसटी/वैट से लगभग ₹64 हजार करोड़, एक्साइज टैक्स के रूप में ₹26 हजार करोड़, स्टाम्प एवं पंजीयन से ₹17700 करोड़, खनन से 2000 करोड़ तथा परिवहन से ₹6,300 करोड़ से अधिक का संग्रहित कर राजस्व सम्मिलित है। यह स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है। यह जनता से एकत्रित राशि है जो प्रदेश के विकास में, जनता के हित में, लोक कल्याणकारी कार्यों में व्यय होगी।

● राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए हमें नए स्रोत भी बनाने चाहिए। हर जिले को दिए गए टारगेट की साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक समीक्षा करें। राजस्व संग्रह बढ़ोतरी के लिए किए गए प्रयासों के आधार पर हर एक अधिकारी की रिपोर्ट तैयार करें।

● लगातार प्रयासों से आज प्रदेश में 31 लाख से अधिक GST पंजीकृत व्यापारी हैं। इसे और बढ़ाया जाना चाहिए। प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं, उसका लाभ उठाने की आवश्यकता है। अधिकारियों की जवाबदेही तय करें। पोस्टिंग मेरिट के आधार पर ही होनी चाहिए।

● जीएसटी की चोरी/अपवंचन की कोशिशों को रोकने के लिए सजगता बढ़ाये जाने की जरूरत है। विशेष अनुशासनिक इकाइयों और सचल दल इकाइयों की सक्रियता और बढ़ाये जाने की जरूरत है। यद्यपि हाल के समय में इनकी सजगता से कर चोरी/अपवंचन पर प्रभावी रोक लगाने में सफलता मिली है। फिर भी अभी कार्यशैली में व्यापक सुधार की जरूरत है।

● राजस्व बढ़ोतरी में एक्साइज विभाग की बड़ी भूमिका है। जिलेवार टारगेट की साप्ताहिक समीक्षा करें। जहां भी लापरवाही हो रही हो, संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई में देर न करें। यह सुनिश्चित कराएं कि डिस्टिलरी में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज हो। नदियां इनके वेस्ट से प्रदूषित न हों। इण्डस्ट्री से संवाद करें, तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करें।

● अवैध मदिरा/कच्ची शराब बनाने और बेचने की गतिविधियों को बंद करने में हमें सफलता मिली है। ऐसी गतिविधियों पर कार्रवाई लगातार जारी रखी जानी चाहिए। दूसरे प्रदेशों से अनधिकृत मदिरा प्रदेश में न आने पाए, इसके लिए हर समय एक्टिव रहना होगा। राजस्व संग्रह लक्ष्य के सापेक्ष आबकारी विभाग द्वारा और बेहतर प्रयास किया जाना अपेक्षित है।

● सामान्य जन की जरूरतों को दृष्टिगत रखते हुए स्टाम्प एवं निबंधन से जुड़े नियमों को और सरल बनाया जाना चाहिए। बिल्डर-बायर्स के बीच समस्याओं का समाधान तेजी के साथ किया जाए। आवास विकास, विकास प्राधिकरण अथवा निजी बिल्डर, जहां कहीं भी रजिस्ट्री लंबित है, दोनों पक्षों से संवाद कर हल निकालें। हमें हर एक बायर के हितों की सुरक्षा करनी है। बायर को उसके फ्लैट की रजिस्ट्री समय से मिलनी चाहिए। इसके लिए हर आवश्यक कदम उठाए जाएं। रजिस्ट्री से राजस्व बढ़ाने, नए विकल्पों पर भी विचार किया जाए।

● बिना परमिट/बिना फिटनेस एक भी वाहन सड़क पर नहीं आनी चाहिए। दुर्घटनाओं को कम करने के लिए जागरूकता बढाएं।

● खनन सत्र प्रारंभ हो चुका है। अवैध खनन, ओवरलोडिंग की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाई जाएं। खनन में काफी पोटेंशियल है, इसे पहचानें और राजस्व बढ़ाने के प्रयास करें।

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