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बीरभूम नरसंहार : सीबीआई जांच शुरू होते ही खुलने लगी परतें

कोलकाता । बीरभूम नरसंहार की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच शुरू होते ही कई परतें खुलने लगी हैं। शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से जांच का जिम्मा केंद्रीय एजेंसी को सौंपे जाने के बाद शनिवार को सीबीआई अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। जांच टीम ने कई प्रत्यक्षदर्शियों से बात की, जिसमें दिल दहलाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को बताया है कि गत 21 और 22 मार्च की देर रात जब बगटुई गांव में लोगों के घरों को बाहर से बंद कर आग लगा दी गई थी, तब मौके पर पहुंचे अग्निशमन कर्मियों को लोगों को जिंदा बचाना तो दूर की बात, बुरी तरह से झुलस चुके शवों को भी निकालने में कम से कम 10 से 12 घंटे इंतजार करना पड़ा था।

जांच में पता चला है कि जिन 10 से 12 घरों में आग लगाई गई थी उनमें पहले तोड़फोड़ हुई थी तथा उनमें रहने वाले लोगों को बर्बर तरीके से मारा-पीटा गया था। कोई भी घर से बाहर ना निकल सके, इसकी पूरी व्यवस्था की गई थी और घर वालों को इतना पीटा गया था कि वे खुद से हिलडुल भी नहीं सकते थे। उसके बाद घरों को बाहर से बंद कर पेट्रोल डालकर आग लगाई गई थी। यह आग इतनी भयावह थी कि सूचना मिलने के बाद अग्निशमन विभाग की दो गाड़ियां मौके पर पहुंच गई थीं, लेकिन सारी रात आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका। रात के समय लगी हुई आग सुबह तक जलती रही और सुबह करीब आठ से 10 बजे तक इन घरों में इतनी अधिक गर्मी थी कि झुलसे हुए लोगों के शव को निकालना अग्निशमन कर्मियों के लिए नामुमकिन था।

इसके अलावा रामपुरहाट थाने के सब-इंस्पेक्टर रमेश साहा के बयान भी जिला प्रशासन की ओर से मरे हुए लोगों की संख्या को दबाए जाने की ओर संकेत कर रहे हैं। रमेश साहा ने केंद्रीय एजेंसियों को बताया है कि गांव में आगजनी की सूचना रात 9:30 बजे ही मिल गई थी। 10 बजे के करीब वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे और देखा था कि गांव में कई घरों में आग लगी है जिनमें लोग जल रहे हैं। उन्होंने तुरंत रामपुरहाट थाने में फोन कर ड्यूटी ऑफिसर को दल बल के साथ मौके पर पहुंचने और अग्निशमन विभाग को तुरंत लाने को कहा था। रात 10:25 बजे अग्निशमन की दो गाड़ियां मौके पर पहुंच गई थीं। रात दो बजे तक आग पर थोड़ा बहुत काबू पा लिया गया था और एक घर से चार जले हुए शव भी बरामद कर लिए गए थे। इसके अलावा एक व्यक्ति झुलसे हुए हालत में बरामद किया गया था, जिसे रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया, लेकिन उसने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

सब-इंस्पेक्टर के इस बयान के मुताबिक रात के समय ही चार शव बरामद कर लिए गए थे, जबकि जिला प्रशासन यानी जिला पुलिस अधीक्षक नगेंद्र नाथ त्रिपाठी ने घटना के बाद दूसरे दिन सुबह मीडिया के सामने दावा किया था कि केवल सात शव बरामद किए गए हैं वह भी घटना के दूसरे दिन सुबह। अगर जिला पुलिस अधीक्षक के अनुसार सात शव सुबह में बरामद किए गए तो ये जो चार जले हुए शव रात में ही बरामद होने का दावा सब-इंस्पेक्टर ने किया है वे कहां गए?

बाद में राज्य पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय ने भी बताया कि मरने वालों की संख्या आठ है। हालांकि उन्होंने भी दावा किया कि सात शव एक ही घर से सुबह के समय बरामद किए गए थे, जबकि एक व्यक्ति ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था। अगर सब-इंस्पेक्टर और पुलिस महानिदेशक के बयान को आमने-सामने रखा जाए तो दोनों एक-दूसरे के विपरीत बयान दे रहे हैं और अगर दोनों की बातों में सच्चाई है तो मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 12 पर पहुंच रही है जिसकी पुष्टि घटना के चार दिनों बाद भी ना तो जिला प्रशासन ने की है और ना ही राज्य प्रशासन ने। अब जबकि सीबीआई की टीम मौके पर पहुंची है तो इसी तरह के कई राज खुल रहे हैं।

बीरभूम नरसंहार: गांव छोड़कर जा चुके हैं आगजनी की घटना में अपनों को खोने वाले, मिलने जाएगी सीबीआई की टीम

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के जिस बगटुई गांव में आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया, वहां से अधिकतर लोग गांव छोड़कर दूसरी जगह जा चुके हैं। यहां तक कि मिहिलाल शेख जिनके घर से सात लोगों के जले हुए शव बरामद किए गए थे वह भी अपना पैतृक आवास छोड़कर जान बचाने के लिए घटनास्थल से करीब 27 किलोमीटर दूर गोपालजल गांव में शरण लिए हुए हैं। आगजनी की वारदात में उनकी मां, पत्नी और 10 वर्ष की मासूम बेटी को जिंदा जला दिया गया था।शुक्रवार को हाईकोर्ट ने घटना की सीबीआई जांच का आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से जांच बंद कर सारे दस्तावेज सीबीआई को सौंपने को कहा था। उसी के मुताबिक शनिवार को रामपुरहाट थाने में पहुंचकर सीबीआई के अधिकारियों ने एसआईटी के अधिकारियों से सारे दस्तावेज और साक्ष्यों को ले लिया है।

जांच टीम में शामिल सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर गांव के प्रत्यक्षदर्शियों से बात की गई है। पता चला है कि लगातार हमले, तोड़फोड़ और आगजनी होती रही, लेकिन बचाव के लिए स्थानीय पुलिस नहीं आई। घटना से थोड़ी देर पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख की हत्या हुई थी, इसलिए पूरे गांव के लोग डरे हुए हैं कि उनके साथ भी बदले की कार्रवाई के तहत मारपीट, आगजनी अथवा हिंसा की अन्य घटनाएं हो सकती है। इसलिए अधिकतर लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। सीबीआई की टीम ने उन सभी घरों का दौरा किया है जिन्हें आग के हवाले कर दिया गया था। 21 मार्च की रात आगजनी की घटना में मिहिलाल के घर से सात शव बरामद किए गए थे जिनमें उनकी मां, पत्नी और 10 साल की बेटी का भी जला हुआ शव था। वह फिलहाल गांव छोड़कर दूसरी जगह रह रहे हैं जहां उनसे मिलने के लिए सीबीआई की टीम जाएगी। उनका बयान रिकॉर्ड किया जाएगा। साथ ही अन्य प्रत्यक्षदर्शियों का भी बयान रिकॉर्ड करने की कोशिश में सीबीआई की टीम जुट गई है। इसके अलावा जिला पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 21 लोगों को केंद्रीय एजेंसी अपनी हिरासत में ले रही है और उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई है।

सेंट्रल फॉरेंसिक टीम भी पहुंची

इसके अलावा सीबीआई को जांच में सहयोग करने के लिए केंद्रीय फॉरेंसिक टीम भी शनिवार को लगातार दूसरे दिन घटनास्थल पर पहुंची है। यहां से नमूने संग्रह किए जा रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आगजनी की शुरुआत किस तरह से हुई। नरसंहार स्थल पर पहुंची फोरेंसिक टीम ने सीबीआई के पहुंचने से पहले ही उन सभी घरों का निरीक्षण शुरू किया था जिनमें आग लगाई गई थी। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा पहले ही हो गया है कि जिन लोगों के शव बरामद किए गए हैं उन्हें जिंदा जलाने से पहले मारा-पीटा गया था और बाद में घरों में बंद कर बाहर से आग लगाई गई थी, इसीलिए काफी सावधानी से फॉरेंसिक की टीम एक-एक सबूत को एकत्रित कर रही है ताकि उन्हें कोर्ट में पेश किया जा सके।उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपते हुए आगामी सात अप्रैल तक घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है।(हि.स.)

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