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ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स के माध्यम से रोजगार के साथ ही स्किल्ड भी बनेंगे प्रदेश के युवा

युवाओं के लिए रोजगार और स्किल डेवलपमेंट का नया दौर सृजित करने जा रही है उत्तर प्रदेश की जीसीसी नीति.प्रदेश के योग्य युवाओं को इंटर्नशिप, स्किल डेवलपमेंट और सब्सिडी के माध्यम से बनाया जाएगा सशक्त .

  • नोएडा/एनसीआर के साथ ही प्रदेश के अन्य जनपदों में सेंटर स्थापित करने पर कंपनियों को मिलेगी सब्सिडी
  • कम से कम 2 महीने की इंटर्नशिप पर मिलेगा लाभ, इंटर्नशिप लागत का 50% तक मिलेगी सब्सिडी
  • अधिकतम 5,000 प्रति छात्र प्रति माह मिलेगी छूट, एक वर्ष में अधिकतम 50 इंटर्न के लिए होगा मान्य
  • स्किल डेवलपमेंट सब्सिडी के तहत प्रत्येक कर्मचारी के लिए 50,000 तक की मिलेगी सब्सिडी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार की ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) नीति 2025 युवाओं के लिए रोजगार और कौशल विकास के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। इस नीति के तहत न केवल दो लाख से अधिक नौकरियां सृजित किए जाने का लक्ष्य है, बल्कि इंटर्नशिप, स्किल डेवलपमेंट, पेरोल सब्सिडी और अनुसंधान व नवाचार के लिए विशेष प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे। नोएडा/एनसीआर के साथ-साथ वाराणसी, कानपुर, और प्रयागराज जैसे टियर-2 शहरों में जीसीसी स्थापित करने पर कंपनियों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

इंटर्नशिप और स्किल डेवलपमेंट के लिए मिलेगी सब्सिडी

युवाओं को स्किल्ड बनाने के लिए जीसीसी नीति में इंटर्नशिप और स्किल डेवलपमेंट पर विशेष जोर दिया गया है। कम से कम दो महीने की इंटर्नशिप के लिए लागत का 50% तक, अधिकतम 5,000 रुपए प्रति छात्र प्रति माह की सब्सिडी दी जाएगी। यह लाभ प्रति वर्ष अधिकतम 50 इंटर्न्स के लिए, तीन वर्षों तक मान्य होगा। इसके अतिरिक्त, स्किल डेवलपमेंट सब्सिडी के तहत प्रत्येक कर्मचारी के लिए 50,000 रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी, जो कोर्स फीस या प्रशिक्षण कार्यक्रम की लागत का 50% होगी। यह लाभ अधिकतम 500 कर्मचारियों के लिए, प्रति वर्ष 50 लाख रुपए तक, तीन वर्षों के लिए उपलब्ध होगा। इसके माध्यम से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के साथ-साथ स्किल्ड भी बनाया जाएगा।

पेरोल और फ्रेशर्स सब्सिडी से बढ़ेगा रोजगार

जीसीसी नीति के तहत पेरोल सब्सिडी के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के मूल निवासी कर्मचारियों के लिए प्रति वर्ष 1.8 लाख रुपए तक और अन्य कर्मचारियों के लिए 1.2 लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। यह लाभ प्रति वर्ष अधिकतम 20 करोड़ रुपए तक, तीन वर्षों के लिए मान्य होगा। इसके अलावा, फ्रेशर्स भर्ती सब्सिडी के तहत उत्तर प्रदेश के कॉलेजों/संस्थानों से पासआउट होने वाले प्रत्येक फ्रेशर के लिए 20,000 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी, बशर्ते कम से कम 30 ऐसे कर्मचारियों की वार्षिक भर्ती हो। यह योजना पांच वर्षों तक लागू रहेगी।

महिलाओं और विशेष वर्गों के लिए ईपीएफ में छूट

महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, ट्रांसजेंडर, और दिव्यांगजन कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अंशदान में 100% प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह लाभ प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये तक, तीन वर्षों के लिए उपलब्ध होगा। इससे विशेष वर्गों को रोजगार में प्रोत्साहन मिलेगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा

जीसीसी नीति के तहत अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को प्रोत्साहन देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने हेतु अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। स्टार्टअप्स को विचार निर्माण, पेटेंट, और शैक्षणिक साझेदारी के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी, जैसा कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति (आईआईईपीपी) 2022 में उल्लेखित है। यह नीति कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), रोबोटिक्स, और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देगी।

टियर-2 शहरों में जीसीसी से आर्थिक विकास

नोएडा और एनसीआर के अलावा, सरकार वाराणसी, कानपुर, और प्रयागराज जैसे टियर-2 शहरों में जीसीसी स्थापित करने वाली कंपनियों को विशेष प्रोत्साहन दे रही है। इससे इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को उच्च वेतन वाली नौकरियां प्राप्त होंगी। माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां पहले ही नोएडा में 10,000 सीटों वाले डेवलपमेंट सेंटर की आधारशिला रख चुकी हैं, जबकि एमएक्यू सॉफ्टवेयर ने 3,000 सीटों वाला इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित किया है।

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