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28 साल बाद दोषी पादरी और नन को मिली उम्रकैद की सजा, जाने क्या था मामला…

तिरुवनंतपुरम : केरल के कोट्टयम के सेंट पायस कॉन्वेंट में रहने वाली सिस्टर अभया की सदिंग्ध परिस्थितियों में मौत के 28 साल बाद सीबीआई अदालत ने एक पादरी और नन को उनकी हत्या का दोषी पाया। सिस्टर अभया हत्या मामले में कोर्ट की ओर से अब सजा का ऐलान भी कर दिया गया है। इस मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया गया है। केरल की तिरुवनंतपुरम की एक सीबीआई अदालत ने एक दिन पहले ही इस केस में फैसला सुनाया था। सिस्टर अभया हत्या मामले में कैथोलिक पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को कोर्ट की ओर से दोषी करार दिया गया है। मामले में दोनों आरोपियो का ट्रायल 10 दिसंबर को पूरा हो गया था। इसके साथ ही अब इनको उम्रकैद की सजा दी गई है। वहीं इन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

दरअसल, केरल के कोट्टयम के सेंट पायस कॉन्वेंट में रहने वाली सिस्टर अभया की सदिंग्ध परिस्थितियों में मौत के 28 साल बाद सीबीआई अदालत ने एक पादरी और नन को उनकी हत्या का दोषी पाया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पदारी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं। अदालत ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया। अदालत ने फादर कोट्टूर को भारतीय दंड संहिता की धारा 449 (अनधिकार प्रवेश) का दोषी भी पाया। फादर कोट्टूर को पूजापुरा की केंद्रीय जेल भेजा गया है जबकि सिस्टर सेफी को अत्ताकुलनगारा महिला जेल भेजा गया है।

जाने क्या है मामला…
यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से जुड़ा है। उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था। अभया कोट्टयम के बीसीएम कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और कॉन्वेंट में रहती थी। इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है। सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी और कहा था कि यह हत्या का मामला है लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है।

बहरहाल, चार सितंबर 2008 को केरल हाईकोर्ट ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही की शक्ति रखने वालों की कैदी है और सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे। इसके बाद सीबीआई ने फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अभियोजन के मुताबिक कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था।

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक 27 मार्च 1992 की रात को अभया ने कोट्टूर और सेफी को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया, जिसके बाद आरोपियों ने अभया पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसे कुएं में फेंक दिया। अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए।

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