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दस साल में 12 प्रतिशत बढ़ा विश्व सैन्य खर्च, 2021 में 2 ट्रिलियन डॉलर पार : रक्षा मंत्री

रक्षा उद्योग से अत्याधुनिक किफायती उत्पादों की पहचान करने का आह्वान.उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में निवेश बढ़ाने का आग्रह.

नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहली बार वर्ष 2021 में विश्व सैन्य खर्च 2 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया। इसमें 2020 की तुलना में 0.7 प्रतिशत और 2012 की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों की और भी खरीद होगी जिससे पता चलता है कि दुनिया की सुरक्षा संबंधी जरूरतें बढ़ने वाली हैं। भारत गुणवत्ता और किफायत दोनों ही संदर्भों में उन जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संगठनों को एसआईडीएम के साथ अपने नोडल प्वाइंट के रूप में मिल-जुल कर काम करना जारी रखना चाहिए।

रक्षा मंत्री मंगलवार को नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के 5वें वार्षिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय रक्षा उद्योग से ऐसे अत्याधुनिक किफायती उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की पहचान और निर्माण करने का आह्वान किया जो न केवल अपनी जरूरतों, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं को भी पूरा करते हों। उन्होंने कहा कि कोई राष्ट्र चाहे कितना भी समृद्ध क्यों न हो, यदि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित न हो, तो उसकी समृद्धि भी खतरे में पड़ जाती है। भारत को दुनिया के सबसे मजबूत देशों में शुमार करने के लिए हम राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्ष 2022-23 में पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें से 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया है। इसके अलावा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास के बजट का 25 प्रतिशत निजी उद्योग और स्टार्ट-अप के लिए रखा गया है जो भारत में नई रक्षा प्रौद्योगिकियों के नवाचार का मार्ग प्रशस्त करेगा। अन्य उपायों में सामरिक साझेदारी मॉडल और इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) पहल के माध्यम से लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बियों के निर्माण के अवसरों को खोलना शामिल है, जिसने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास का वातावरण तैयार किया है।

रक्षा मंत्री ने इंगित किया कि लगातार विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य ने दुनिया भर में सैन्य उपकरणों की मांग बढ़ा दी है, जिससे देश अपनी सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थापित दो रक्षा गलियारों में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सात-आठ साल पहले हमारा रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये का भी नहीं था, जो अब 13 हजार करोड़ रुपये को पार कर चुका है। हमने वर्ष 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।

इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने एसआईडीएम चैंपियंस अवार्ड के दूसरे संस्करण के विजेताओं को सम्मानित किया। विजेताओं में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत फोर्ज लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड शामिल रहे, जिन्हें क्षमता संबंधी कमियों को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकीय नवाचार, डिजाइन/विकास और परीक्षण के लिए आयात प्रतिस्थापन तथा अवसंरचना जैसी विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया।(हि.स.)

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