बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को हर कीमत पर बचाने में जुटी राज्य सरकार
सीएम योगी खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का ले रहे हाल, रोज कर रहे समीक्षा
राहत और बचाव कार्य को तेजी से चलाकर जल्द स्थितियां सुधारने का लक्ष्य
मानव जीवन के साथ पशुओं की जान बचाने का संकल्प, लगाईं गईं 976 मेडिकल टीमें
1131 बाढ़ शरणालय, 1321 बाढ़ चौकियां स्थापित कीं, बचाव कार्य में लगीं 5525 नावें
अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे 35986 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
लखनऊ । राज्य सरकार प्रदेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानव जीवन को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर राहत कार्य में जुटी है। मानव जीवन को बचाने के लिए वो कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। प्रत्येक दिन संसाधनों को बढ़ाने के साथ लोगों के लिये भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है। उनको चिकित्सा की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल टीमें गठित की गई हैं। इतना ही नहीं राहत कार्य में साधारण नाव के साथ मोटर बोट भी उतार दी गयी है। सरकार प्रत्येक दशा में बिना किसी जोखिम उठाए बाढ में फंसे लोगों को बचाना चाहती है। इस कार्य में सिंचाई विभाग के साथ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी का सामंजस्य काफी कारगर सिद्ध हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। उनके निर्देश पर जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह हवाई सर्वेक्षण करके स्थितियों का जायजा ले रहे हैं और अधिकारियों के साथ बैठक कर राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। सिंचाई विभाग के अनुसार प्रदेश में पलियां कलां में शारदा नदी, तुर्तीपार बलिया में घाघरा नदी, बांसी सिद्धार्थनगर में राप्ती नदी और गोरखपुर में रिंगौली नदियां खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही हैं। विभाग की सूचना के अनुसार प्रदेश के सभी तटबंध सुरक्षित सूचित किये गये हैं। सरकार इन इलाकों में लोगों को ड्राई राशन किट, लंच पैकेट के साथ त्रिपाल भी वितरित कर रही है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से राहत कार्य करते हुए सरकार ने अभी तक 106129 ड्राई राशन किट, 416855 लंच पैकेट और 98420 त्रिपाल वितरित किये हैं। इसके साथ ही 93443 पीने के पानी के पाउच और 148984 ओआरएस के पैकेट और 1509443 क्लोरीन के टैबलेट भी वितरित किये हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों मे फंसे लोगों के लिए प्रदेश में कुल 1131 बाढ़ शरणालय बनाए गये हैं और 1321 बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गई हैं। राहत आयुक्त ने बताया कि बाढ़ शरणालयों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जा रहा है। प्रत्येक राहत शिविरों में प्रकाश और अस्थाई शरणालयों में शौचालय, पेयजल, कपड़े, बर्तन, बिस्तर आदि की सुनिश्चित व्यवस्था की गई है। बाढ़ में फंसे लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए 976 मेडिकल टीमें गठित की गई हैं। जो बदल रहे मौसम को देखते हुए लोगों को दवाईयों के साथ बेहतर इलाज मुहैया करा रही हैं।
राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य में 5525 साधारण नाव के साथ 353 मोटर बोट भी उतार दी हैं। इनके माध्यम से बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को भोजन पहुंचाने के साथ उनको सुरक्षित स्थानों तक ले जाने का काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं खोज और बचाव के कार्य में 156 वाहन लगाए गए हैं। मानव जीवन के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे पशुओं को बचाने के लिए 1175 पशु शिविर बनाए हैं और आज तक 754078 पशुओं का टीकाकरण कर दिया गया है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी ने 35986 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी ने 35986 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य को तेज करते हुए मिर्जापुर, प्रयागराज, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, लखनऊ, बलिया और वाराणसी में एनडीआरएफ की 09 टीमें लगाई गई हैं। जबकि मुरादाबाद, आगरा, बरेली, बलरामपुर, लखनऊ, प्रयागराज, कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, महाराजगंज में एसडीआरएफ की 18 टीमों को राहत कार्य में लगाया गया है। इसके अलावा पीएसी की 15 कम्पनियों को 39 जनपदों में राहत कार्य में लगाया गया है।