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अफगानिस्तान की धरती से अमेरिका के आखिरी विमान ने भरी उड़ान, UNSC में प्रस्‍ताव पारित

काबुल से सोमवार को अंतिम सैन्य उड़ान के साथ ही अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने 20 वर्ष के सैन्य मिशन को समाप्त करने की घोषणा कर दी है। इसी के साथ ही अमेरिका ने एयरपोर्ट को खाली कर दिया। अफगानिस्तान से पूरी तरह से अपने लोगों को निकालने के लिए अंतिम विमान के उड़ान भरने के बाद अमेरिका ने कहा कि अफगानिस्तान में ‘वार इज ओवर’ (युद्ध खत्म हो गया) है।

सोमवार रात 12 बजने से ठीक पहले अंतिम उड़ान

केंद्रीय कमान के कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी ने बताया कि अमेरिका ने 14 अगस्त से अब तक 6 हजार अमेरिकी नागरिकों सहित काबुल से 79 हजार लोगों को निकाला है। हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अमेरिका ने सी-17 सैन्य विमान के जरिए सोमवार रात 12 बजने से ठीक पहले अंतिम उड़ान भरी।

तालिबान प्रवक्ता ने कहा -अफगानिस्तान ने पूरी तरह से आजाद

तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान ने पूरी तरह से आजादी प्राप्त कर ली है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका का काम जारी रहेगा।

अमेरिकी सैनिकों वापसी की समय सीमा थी 31 अगस्त

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने काबुल से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए अंतिम समय सीमा 31 अगस्त निर्धारित की थी। उन्होंने कहा कि योजना के अनुसार एयरलिफ्ट मिशन को समाप्त करने के लिए संयुक्त सेना प्रमुखों और सभी अमेरिकी कमांडरों की सर्वसम्मति की सिफारिश के आधार पर वापसी का निर्णय लिया गया था। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने पिछले सप्ताह काबुल हवाई अड्डे पर विस्फोट में जान गंवाने वाले 13 अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्‍ताव पारित

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बैठक आयोजित कर प्रस्‍ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि तालिबान से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अफगान तथा विदेशी नागरिकों को सुरक्षित तरीके से देश छोड़ने की अनुमति देगा। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने न्यूयॉर्क में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। यह प्रस्ताव अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से लाया गया था।

प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा। विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि प्रस्ताव में अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों , विशेष रूप से सिख तथा हिन्दू समुदाय के लोगों की रक्षा की जाएगी। भारत वर्तमान में अगस्त महीने के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है।

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