नवरात्र 2025 : सप्तम दिवस मां कालरात्रि की पूजा से दूर होते भय और नाश होती हैं बाधाएं
उग्र किंतु करुणामयी मां कालरात्रि की आराधना से भक्तों के जीवन से भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा साहस और बल की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्र के सप्तम दिवस (28 सितम्बर 2025) पर मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। धर्मशास्त्रों में इनका स्वरूप भयानक बताया गया है, लेकिन भक्तों के लिए यह असीम करुणामयी और कल्याणकारी हैं। इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है क्योंकि इनके पूजन से जीवन के हर प्रकार के भय और संकट का नाश होता है।
मां कालरात्रि का स्वरूप
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि मां कालरात्रि कृष्णवर्णा हैं। उनके बिखरे हुए केश और तीन नेत्र हैं। देवी गधे पर आरूढ़ रहती हैं और चार हाथों में खड्ग, लोहे का कांटा, वरमुद्रा और अभयमुद्रा धारण करती हैं। मां की सांस से अग्नि की ज्वालाएं निकलती हैं। भक्तों के लिए उनका यह भयानक रूप भी कल्याणकारी और शुभ फलदायी है।
रक्तबीज का अंत करने वाली कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब महादानव रक्तबीज ने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू किया, तो देवता भयभीत हो उठे। रक्तबीज का विशेष वरदान था कि उसके शरीर से गिरे रक्त की प्रत्येक बूंद से नया दानव जन्म ले लेता। तब देवी दुर्गा ने उग्र रूप धारण कर कालरात्रि के रूप में प्रकट हुईं। युद्ध में मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध किया और उसका सारा रक्त पी लिया, जिससे उसके वरदान का अंत हुआ। इस प्रकार देवताओं को आतंक और संकट से मुक्ति मिली।
सप्तमी पूजा-विधान
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- रात्रि के समय विशेष पूजा का विधान है।
- गुड़ और धान का भोग अर्पित करने से संकट दूर होते हैं।
- दुर्गा सप्तशती और कालरात्रि स्तोत्र का पाठ करें।
पूजन मंत्र
“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥”
दर्शन का शुभ मुहूर्त (28 सितम्बर 2025)
- प्रातः पूजन : 06:25 AM – 08:40 AM
- अभिजीत मुहूर्त : 11:55 AM – 12:45 PM
- संध्या दर्शन : 05:59 PM – 07:00 PM
राशि अनुसार महत्व
- मेष राशि : शत्रु पर विजय और साहस की प्राप्ति।
- सिंह राशि: करियर और मान-सम्मान में वृद्धि।
- वृश्चिक राशि : भय और रोग से मुक्ति।
- कुंभ राशि : आर्थिक संकट से उबरने में सहायता।
सप्तमी व्रत-विधान
- प्रातः ध्यान और जप करें।
- मां को गुड़ और धान का भोग अर्पित करें।
- रात्रि में दीप प्रज्वलित कर काली स्वरूप की विशेष आराधना करें।
- संकट निवारण के लिए ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें।
मां कालरात्रि की आरती
जय अम्बे कालरात्रि माता।
भय हरनी सुख सम्पत्ति दाता॥
कृष्णवर्ण तन भयावह रूपा।
भक्तन हेतु सदा शुभा॥
गधे पर आरूढ़ भवानी।
वरमुद्रा करुणा रस धानी॥
रक्तबीज का संहार किया।
देवताओं को सुख उपजाया॥
जय जय माँ कालरात्रि माता।
भय हरनी सुख सम्पत्ति दाता॥
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