State

उत्तर प्रदेश में बिना उचित कानूनी प्रक्रिया मकान ढहाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

10-10 लाख मुआवजे का आदेश

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाये मकान ढहाने को ‘अवैध’ और ‘अमानवीय’ करार दिया तथा प्रभावित पांच लोगों को छह सप्ताह के भीतर 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रयागराज विकास प्राधिकरण को मंगलवार को आदेश दिया।न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा,“इससे (तोड़ फोड़ की घटना) हमारी अंतरात्मा को झटका लगा है। आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया जैसी कोई चीज होती है।

”शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर पांच मकान मालिकों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दे।पीठ ने कहा कि मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ‘गलत’ तरीके से की गई और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं ढहाया जा सकता, क्योंकि देश में कानून का शासन है।शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने मकान खो दिए हैं और संबंधित प्राधिकरण को प्रत्येक मामले में मुआवजा तय करने का निर्देश दिया।अदालत ने कहा,“ऐसा करने का यही एकमात्र तरीका है, ताकि यह प्राधिकरण हमेशा उचित प्रक्रिया का पालन करना याद रखें।”पीठ ने कहा कि मामले में पीड़ित व्यक्तियों को ध्वस्तीकरण के संबंध में नोटिस का जवाब देने के लिए ‘उचित अवसर’ नहीं दिया गया।

पीठ ने आगे कहा कि अधिकारियों और विशेष रूप से विकास प्राधिकरण को यह याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार भी संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न अंग है।शीर्ष अदालत ने पहले एक अधिवक्ता, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ढहाने के लिए संबंधित प्राधिकरण और राज्य सरकार की खिंचाई की थी।अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन अन्य (जिनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया था) ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से ठीक एक रात पहले नोटिस दिया गया था।इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण के खिलाफ उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सरकार ने गलत तरीके से उनकी जमीन को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से जोड़ दिया है। अतीक अहमद की अप्रैल 2023 में हत्या कर दी गई थी।शीर्ष अदालत ने 24 मार्च को कहा था कि वह प्रयागराज में एक अधिवक्ता, एक प्रोफेसर और तीन अन्य के घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगा, जिन्हें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया था।अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने 24 मार्च को सुनवाई के दौरान मकान ढहाने की कार्रवाई का बचाव करते हुए तर्क दिया कि पहला नोटिस दिसंबर 2020 में दिया गया था, उसके बाद जनवरी 2021 और मार्च 2021 में नोटिस दिए गए।उन्होंने कहा,“हम यह नहीं कह सकते कि कोई उचित प्रक्रिया नहीं है और पर्याप्त उचित प्रक्रिया थी।

”श्री वेंकटरमणी ने तर्क दिया कि बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे या तो पट्टे की अवधि से परे या फ्रीहोल्ड के आवेदनों को खारिज कर दिए गए हैं।पीठ ने कहा कि नोटिस संलग्न करके दिए गए थे, न कि कानून द्वारा अनुमोदित विधि से और केवल अंतिम नोटिस कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विधि (पंजीकृत डाक के माध्यम) से दिया गया था।शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को अपील दायर करने के लिए पर्याप्त समय देकर निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए।पीठ ने कहा,“नोटिस छह मार्च को दिया गया, ध्वस्तीकरण सात मार्च को किया गया। अब हम उन्हें पुनर्निर्माण की अनुमति देंगे।”शीर्ष अदालत ने कहा,“नोटिस के 24 घंटे के भीतर जिस तरह से यह काम किया गया, उससे न्यायालय की अंतरात्मा को झटका लगा है।” (वार्ता)

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button