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एक नंबर, नहीं भाई! उससे भी ऊपर है महाकुंभ में बाबा की व्यवस्था

महाकुंभ नगर। संगम स्नान हो चुका था। दूसरे दिन तड़के उठा। इरादा गंगा स्नान और व्यवस्था के बारे में कुछ लोगों से बातचीत का था। साथ ही श्रद्धा के न थमने वाले ज्वार के दीदार का भी। चार नंबर सेक्टर से निकलकर पहुंच गया एक नाई की दुकान पर। वह अभी अपनी अस्थाई दुकान को काम लायक बनाने के लिए सहेज रहे थे। एक सज्जन सेव कराने के लिए कुर्सी पर पहले से बैठे थे।

महाकुंभ रामायण से मुलाकात

बातचीत शुरू हुई। उनका नाम रामायण था। मूलतः मीरजापुर से थे, पर प्रयागराज में दुकान लगाते हैं। पूछने पर बताया कि मुझसे यहां दुकान लगाने के लिए किसी ने पैसा नहीं लिया। कोई मांगता भी नहीं। मैं दाढ़ी बनवा रहा था। उसी दौरान मैला कुचैला कपड़ा पहने एक लड़का आया। गंदगी के कारण बालों में लट पड़ी थी। उसने कहा बाल कटवाना है। रामायण ने कहा काट दूंगा। बिना पैसे के भी। बस शैंपू से कायदे से बाल धुलकर आ जाओ। तुम्हारे इस बाल में न मेरी कंघी चलेगी न कैंची। रामायण ने यह कहकर दिल जीत लिया। मैंने पूछा, उस लड़के पास पैसे होंगे। फिर क्यों उसका बाल मुफ्त काटने की बात कह रहे? जवाब था, गंगा मैया तो दे ही रहीं हैं। भर भर कर। वह भी बिना मांगे। अभी एक बच्चे का मुंडन किया। श्रद्धा से 500 रुपये मिल गए।

मेरी दाढ़ी बन चुकी थी। कुछ और लोग लाइन में लगे थे। पैसा देने के पहले मैंने यूं ही रामायण से पूछ लिया, कैसी है योगी बाबा की व्यवस्था? जवाब था, साहब एक नंबर। पास खड़े एक सज्जन ने कहा भाई साहब एक नंबर नहीं, उससे भी ऊपर। उनके पास खड़े और लोगों ने भी हामी भरी।

संगम नोज जाने वाली सड़क पर

मैं सड़क के किनारे खड़ा होकर संगम नोज की ओर से आने जाने वालों को देखने लगा। जितने लोग आ रहे थे उतने ही लोग जा भी रहे थे। पैंट के ऊपर ही लंबा सा नीकैप (घुटनों को स्पोर्ट करने वाला) लगाए एक उम्र दराज सज्जन संगम से स्नान कर आते दिखते हैं। वे अकेले इस मार्ग पर नहीं थे। कंधे पर बुजुर्ग माता-पिता को लिए लोग भी दिखे। तो कुछ लोग व्हीलचेयर पर भी अपने अशक्त परिजनों को लेकर आए थे।

गंगा के किनारे

जिनको भी टेंट के इस अद्भुत शहर में एक दिन से अधिक रुकना था वो संगम के बाद अगले दिन गंगा में स्नान कर रहे थे। लिहाजा गंगा के घाटों पर ठीक ठीक भीड़ थी। मैं भी गंगा स्नान के लिए पहुंचा।

गंगा ने कहा, मैं तो मोदी और योगी का दीवाना हूं

यहां मुझे राजस्थान (जोधपुर) के गंगाराम प्रजापति मिलते हैं। अकेले थे। मेरे भरोसे सामान छोड़ गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने गए। वापस आए तो बात हुई। खासे खुश दिख रहे थे। बोले मैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कायल हूं। एक ने देश बदला तो दूसरे ने प्रदेश। मेरी नजर में तो मोदी के बाद योगी ही हैं। हर लिहाज से देश के व्यापक हित में भी।

माता जी बेफिक्र रहें किराया दे दे रहा हूं और हरदोई तक छोड़ भी दूंगा

वापसी में फाफामऊ में बने अस्थाई बस स्टेशन से लखनऊ के लिए बस पकड़ा। बस में एक महिला थीं। उनकी बुक बस छूट गई थी। पैसे कम थे। किराया दे देतीं तो आगे दिक्कत हो सकती थी। उनकी और महिला कंडक्टर की बात हो रही थी। सामने बैठे एक सज्जन ने कहा, मैं देता हूं इनके किराए का पैसा। हरदोई तक भी साथ चलिएगा। माता जी बेफिक्र रहिए कोई दिक्कत नहीं होगी।

रामायण और गंगाराम जैसे बहुतेरे

मसलन महाकुंभ में सिर्फ मोनालिसा, आईआईटीयन, खूबसूरत साध्वी ही नहीं हैं। ये सिर्फ दिख रहे हैं। दिखाने और दिखने वालों, दोनों को फैरी तौर पर लाभ है। पर कुंभ में रामायण, गंगाराम जैसे भी बहुतेरे हैं। जो मन के साफ और दिल के निर्मल हैं। महाकुंभ के यही असली पात्र और खूबसूरती हैं। इनके ही जैसे लोगों और सिद्ध महात्माओं, ज्ञान की गंगा बहाने वाले विद्वतजनों के कारण अनादिकाल से प्रयागराज का यह महाकुंभ जाना भी जाता है।

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