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उत्तर प्रदेश को ‘पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स’ का हब बनाने के लिए योगी सरकार ने शुरू की तैयारी

सीएम योगी के विजन अनुसार, प्रदेश में पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी को सौंपा गया है जिम्मा.इन्वेस्ट यूपी द्वारा प्रदेश में पीएसपी से संबंधित कार्यों के निर्धारण व प्रगति को मॉनिटर करने के लिए कन्सल्टेंसी फर्म के चयन व कार्यावंटन की प्रक्रिया की गई शुरू.एक वर्ष की अवधि के लिए चार प्रमुख डिविजन में विभिन्न प्रोजेक्ट्स की क्षमता, जरूरतों और विकास के मानकों का निर्धारण व क्रियान्वयन का कार्य करेगी एजेंसी.

लखनऊ । उत्तर प्रदेश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर प्रदेश की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने तेजी से वन ट्रिलियन इकॉनमी बनने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लिहाज से तेज प्रगति दर्ज की है। इसके पीछे कई कारण हैं, मगर जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि प्रदेश में उद्योग, निवेश, पर्यटन व नागरिक सुविधाओं के विकास समेत ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सुधार किए गए हैं। इन सुधारों ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। एक ओर, प्रदेश में सौर व पवन ऊर्जा की परियोजनाओं को वृहद स्तर पर गति दी जा रही है, वहीं अब उत्तर प्रदेश को पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स के हब के तौर पर प्रोजेक्ट करने और इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए योगी सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। सीएम योगी के विजन अनुसार, प्रदेश में पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी को जिम्मा सौंपा गया है। इन्वेस्ट यूपी में इस संबंध में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है और कार्यों को प्रगति देने के लिए उसके द्वारा कंसल्टेंसी फर्म के निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

चित्रकूट धाम, झांसी, वाराणसी और विंध्याचल मंडल में पीएसपी साइट्स की शॉर्टलिस्टिंग व इन से संबंधित प्रारंभिक आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी कार्यावंटन प्राप्त करने वाली एजेंसी

एक वर्ष की कार्यावधि के लिए होगा कंसट्लेंसी एजेंसी का निर्धारण

सीएम योगी के विजन अनुसार, प्रदेश को सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी के साथ ही अब पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) के लिए भी हब बनाने पर फोकस किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सीएम योगी के मार्गदर्शन में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है जिस पर कार्य शुरू कर दिया गया है। इस क्रम में, प्रदेश में निवेश की नोडल एजेंसी के तौर पर कार्यरत इन्वेस्ट यूपी अब कन्सलटेंसी फर्म के निर्धारण व कार्यावंटन के जरिए पीएसपी साइट्स की क्षमता, जरूरतें, विकास के मानकों का निर्धारण समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर प्रारंभिक आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पीएसपी के लिए चार मंडल चिह्नित किए गए हैं जिसमें चित्रकूट धाम, झांसी, वाराणसी व विंध्याचल मंडल में इन प्रोजेक्ट्स की साइट्स की शॉर्टलिस्टिंग व इन से संबंधित प्रारंभिक आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इनमें से, सोनभद्र में 1200 मेगावॉट के पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट को पहले ही योगी सरकार की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।

ऊर्जा उत्पादन के उतार-चढ़ाव को रेगुलेट करने में मिलेगी मदद

पीएसपी योजना कई मायने में विशिष्ट है। यह तेजी से रैंपिंग क्षमता प्रदान करती है जो ऊर्जा उत्पादन में कमी को पूरा करने के लिए आवश्यक है। जब नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन अप्रत्याशित रूप से गिरता है और सौर व पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन में कमी आती है, तब हाइड्रो इलेक्ट्रिक एनर्जी बेस्ड पीएसपी विकल्प के तौर पर ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है। वे इंट्रा-डे व इंटर-डे फर्मिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह कम मांग की अवधि के दौरान ऊर्जा का भंडारण करते हैं और पीक अवधि के दौरान आपूर्ति करते हैं, जो ऊर्जा आपूर्ति और मांग में दैनिक और साप्ताहिक उतार-चढ़ाव को प्रबंधित करने में मदद करता है। पीएसपी बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, उत्पादित बिजली के उपयोग को अनुकूलित करते हैं और समग्र दक्षता को बढ़ाते हैं।

500 मेगावॉट कैपेसिटी से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स का मार्ग होगा प्रशस्त

प्रदेश में पीएसपी फ्रेमवर्क को बढ़ाने के लिए इन्वेस्ट यूपी द्वारा जिस कन्सल्टेंसी एजेंसी का निर्धारण व कार्यावंटन होगा वह 500 मेगावॉट से ज्यादा कैपेसिटी के प्रोजेक्ट्स को तरजीह देगी। कार्यावंटन प्राप्त करने वाली एजेंसी को मशीन कॉन्फिगरेशन, 6 घंटे की पीकिंग कैपेसिटी, ओपन-क्लोज्ड लूप पीएसपी, हाइड्रोलॉजी, पावर इवैक्यूएशन, वॉटर सोर्स एवेलिबिलिटी, इंडीकेटिव केपेक्स, राउंडट्रिप एफिशिएंसी, सर्ज शाफ्ट, पावरहाउस, लैंड रिक्वायरमेंट, अपर व लोअर रिजर्वॉयर कैपेसिटिज तथा एक्सेस रोड समेत विभिन्न प्रकार के मानकों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसके बाद, इन प्रोजेक्ट्स के विकास और रेगुलर मॉनिटरिंग के फ्रेमवर्क को भी सुनिश्चित किया जाएगा।

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