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उत्तर और दक्षिण भारत के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करेगा गंगा पुष्करम कुंभ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 अप्रैल को करेंगे गंगा पुष्करम कुंभ को संबोधित

  • काशी में दक्षिण के मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार योगी सरकार
  • काशी तमिल संगमम के बाद शनिवार से वाराणसी में शुरू होगा गंगा पुष्करम कुंभ
  • 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में 1.5 लाख ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना
  • ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से काशी में जुटेगा तेलुगू भाषी जन सैलाब

वाराणसी । लघु भारत कहे जाने वाले काशी में शनिवार से गंगा पुष्करम कुम्भ का शुभारंभ होगा। काशी तमिल संगमम के बाद अब तकरीबन डेढ़ लाख से ज्यादा तेलुगू भाषी जन समुदाय वाराणसी की यात्रा पर पहुंचने वाला है। दक्षिण के मेहमानों के स्वागत के लिए प्रदेश की योगी सरकार की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में दक्षिण भारत के तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु वाराणसी आएंगे। ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है। इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालु काशी में पितरो का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरो में दर्शन-पूजन करेंगे। वहीं 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा पुष्करम कुम्भ को वर्चुअली संबोधित करेंगे।

बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में 12 दिनों तक दक्षिण भारत के करीब एक से देढ़ लाख श्रद्धालु काशी में गंगा पुष्करम कुंभ के आयोजन में शामिल होंगे। श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव वीवी सुंदर शत्रि ने बताया कि इस ख़ास समय में पुष्कर, गंगा नदी में वास करने से गंगा स्नान, पितरों का तर्पण एवं पिंडदान का विशेष महत्त्व होता है। उन्होंने बताया कि मध्यान्ह 12 बजे पुष्कर गंगा नदी में वास करते हैं। इस अवसर पर अस्सी स्थित छोटा नागपुर बगीचे में गंगा पुष्कर महोत्सव का भी आयोजन 21 अप्रैल से शुरू हुआ है, जो 25 अप्रैल तक चलेगा।

श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव ने बताया कि श्रद्धालुओं को काशी लाने के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है। काशी में दक्षिण भारत से सम्बंधित बहुत से मठ, मंदिर, धर्मशाला और आश्रम हैं, जहां तीर्थ यात्रियों के रुकने की व्यवस्था की गई है। योगी सरकार की ओर से श्रधालुओं के रुकने से लेकर उनकी सुरक्षा आदि का विशेष प्रबंध किया गया है। बता दें कि 2011 में भी काशी में गंगा पुष्करम कुम्भ का आयोजन हुआ था। उस वक़्त की तैयारियां नाकाफी थीं, लेकिन इस बार मोदी-योगी सरकार गंगा पुष्करम कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इंतज़ामातों में कोई कोर-कसर नहीं रखना चाहती है।

वाराणसी के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए शहर को चार जोन में बांटा गया है। सफाई और सुरक्षा की दृष्टि से लगभग 400 कर्मचारियों को लगाया गया है। पर्यटन विभाग द्वारा रेलवे स्टेशन मंदिर जाने वाले प्रमुख चौराहों समेत कई जगह हेल्प डेस्क बनाया जाएगा। यहां पर्यटन विभाग के कर्मचारी के साथ तेलुगू भाषा जानने वाले वालंटियर रहेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में भी तेलुगू भाषा के वालेंटियर रहेंगे। दिव्यांगजनों और वृद्धों के लिए अतिरिक्त व्हीलचेयर की व्यवस्था रहेगी। घाटों, रास्तों और अन्य स्थानों पर इंग्लिश और तेलुगू भाषा में साइनेज भी लगाए जाएंगे।

इससे श्रद्धालुओं को भाषाई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। घाटों पर चेंजिंग रूम भी बनाए गये हैं। साथ ही गंगा में सुरक्षित स्नान के लिए बैरिकेडिंग की गई है। नाविक भी सुरक्षा उपकरणों से लैस रहेंगे। इसके अलावा रेलवे स्टेशन और पार्किंग स्थलों से सिटी बसों का संचालन भी किया जाएगा। गंगा पुष्करम कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे मेडिकल टीम को मुस्तैद रहने के लिए निर्देश दिया गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सरकारी स्कूलों, आश्रम, होटलों को चिह्नित किया गया है। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी के जरिए निगरानी भी की व्यवस्था की जाएगी।

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