Technology

डिजिटल इंडिया के 6 वर्ष : देश की तरक्की को मिली नई गति

1 जुलाई 2015 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी पहल, डिजिटल इंडिया (Digital India) ने इतने वर्षों में एक क्रांति का रूप ले लिया और आज यह कदम जन-आंदोलन में बदल गया है। डिजिटल इंडिया आज यानी 1 जुलाई, 2021 को 6 साल का हो रहा है। ‘डिजिटल इंडिया’ रूपी इस जन-आंदोलन ने अधिकांश लोगों के जीवन में किसी न किसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

डिजिटल इंडिया होगा एक सशक्त राष्ट्र
भारत, जहां टेक्नोलॉजी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि के लिए बेहतर सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाती है साथ में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मददगार है। मोबाइल फोन पर सेवाएं देना और सभी के लिए ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना आज एक वास्तविकता है, जिसके आधार पर न्यूनतम गवर्नेंस का सपना साकार हो रहा है। आधार, यूपीआई और डिजी लॉकर जैसी पहलों का कार्यान्वयन फेसलेस, कैशलेस और पेपरलेस गवर्नेंस सुनिश्चित कर रहा है जिसने एक मजबूत और सुरक्षित डिजिटल इंडिया की नींव रखी है। डिजिटल इंडिया, भारत को अधिक डिजिटल रूप से सशक्त राष्ट्र की ओर ले जाने में मदद करने के लिए डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल सेवाओं और डिजिटल समावेशन को सक्षम कर रहा है।

डिजिटल इंडिया के नौ स्तम्भ
> मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुँच
> पब्लिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम
> ई-गवर्नेंस – प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार
> ई-क्रांति – सेवाओं की इलेक्ट्रानिक डिलीवरी
> सभी के लिए सूचना
> इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण
> नौकरियों के लिए आईटी
> अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम

इस माध्यमों से हो रहा है इंडिया डिजिटल
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, कॉमन सर्विस सेंटर, डिजीलॉकर, मोबाइल आधारित उमंग (UMANG) सेवाएँ, MyGov के माध्यम से शासन में भागीदारी, आयुष्मान भारत, ई-अस्पताल, पीएम-किसान, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, स्वयं (SWAYAM), स्वयं प्रभा (SWAYAM PRABHA), राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, ई-पाठशाला आदि के माध्यम से भारतीय नागरिकों के जीवन के सभी पहलुओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। ‘राष्ट्रीय AI पोर्टल’ (National AI Portal) और ‘युवाओं के लिये जिम्मेदार AI’ (Responsible AI for Youth) को हाल ही में एआई-संचालित भविष्य की नींव रखने के लिये शुरू किया गया।

डिजिटल इंडिया से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं

पीएम स्वामित्व योजना
पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम स्वामित्व योजना के अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामीण समाज के काम ऑनलाइन हो जाएंगे। ऑनलाइन होने की वजह से भूमाफिया और फर्जीवाड़ा और भूमि की लूट सभी कुछ पूर्ण रूप से बंद हो जाने की उम्मीद है और ग्रामीण लोग अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन देख सकेंगे। गांव की सभी संपत्ति की मैपिंग होने का प्रावधान भी रखा गया है, और जमीन से संबंधित ई-पोर्टल उन्हें इसका सर्टिफिकेट भी देगा।

सामाजिक-आर्थिक रूप से एक सशक्त और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना के रूप में स्वामित्व (सर्वे ऑफ विलेजेज एंड मैपिंग विथ इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरियाज) का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल, 2020 को किया गया था। इस योजना में मैपिंग और सर्वेक्षण के आधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग करके ग्रामीण भारत को बदलने की क्षमता है। यह ग्रामीणों द्वारा ऋण और अन्य वित्तीय लाभों का फायदा उठाने के लिए संपत्ति को वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह योजना 2021-2025 के दौरान देशभर के लगभग 6.62 लाख गांवों को कवर करेगी। इस योजना के पायलट चरण को 2020-2021 के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और पंजाब एवं राजस्थान के चुनिंदा गांवों में लागू किया गया था।

ई-नाम’ (eNAM):
केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में ई-नाम (eNAM) नामक पोर्टल की शुरुआत की गई थी। ई-नाम एक पैन इंडिया ई-व्यापार प्लेटफॉर्म है। कृषि उत्पादों के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का सृजन करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया गया है। इसके तहत किसान अपने नजदीकी बाजार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद के लिये मूल्य चुका सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि हुई, जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी हुई। इसके माध्यम से मूल्यों का निर्धारण भली-भाँति किया जा सकता है तथा किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होता है। ई-नाम पोर्टल पर वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार किया जा रहा है। साथ ही इस पर 1,005 से अधिक ‘किसान उत्पादक संगठन’ पंजीकृत हैं।

भारत नेट परियोजना
भारत नेट परियोजना का उद्देश्य ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber) के माध्यम से भारतीय गाँवों को उच्च गति ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोड़ना है। भारतनेट परियोजना विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड संपर्क परियोजना है। इस परियोजना को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है अतः देश में ही रोजगार के नए अवसर विकसित हो रही हैं। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में संचरण सुविधा बिना किसी नेटवर्क बाधा के उपलब्ध कराई जा रही है। परियोजना में राज्य और निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी करके अब ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में नागरिकों/लोगों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्राप्त हो पा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से इस योजना की शुरुवात की थी, जिसके अनुसार अगले 1,000 हजार दिनों तक सभी 6 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉड्बैन्ड कनेक्शन जोड़ना था।

19 हजार करोड़ का बजट किया आवंटित
बुधवार को केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान के तहत भारतनेट परियोजना को 16 राज्यों में पीपीपी मॉडल से लागू करने की मंजूरी दे दी है। 16 राज्यों में पीपीपी मॉडल के तहत भारतनेट के कार्यान्वयन के लिए व्यवहार्यता अंतर सहायता कोष के रूप में 19,041 करोड़ रुपये स्वीकृत किये है। मंजूरी के दायरे में आने वाले राज्य केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हैं। एक टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को 4 से अधिक पैकेज नहीं दिया जाएगा। इससे किसी की मोनोपॉली नहीं होगी।

पीपीपी मॉडल के तहत होगा काम
30 साल के लिये पीपीपी मॉडल पर परियोजना को लागू करने और रख रखाव का कॉन्ट्रैक्ट होगा। यदि सरकार 30 साल के लिये ये योजना लागू करती तो लगभग 1 लाख करोड़ रुपया खर्च करना पड़ता, लेकिन पीपीपी मॉडल की वजह से मात्र 19 हजार करोड़ में 16 राज्यों की 3.61 लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाया जाएगा। इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी होगा।

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button