सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का हुआ समापन
वाराणसी : क्रेजी लोहिया नगर (महिला समिति) द्वारा लोहिया नगर कॉलोनी, आशापुर के कम्युनिटी हॉल में सप्ताहव्यापी
श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन दुर्गा संस्कृति कला संस्थान की मांडवी सिंह, शाम्भवी सेठ, व्याख्या श्रीवास्तव,श्रुति सेठ,अनुकृति सेठ आदि बाल कलाकारों द्वारा कृष्ण लीला , महिसासुर मर्दिनी , महारास व फूलों की होली का मंचन कर श्रद्धालुओं में राधा कृष्ण भक्ति की गंगा प्रवाहित कर दी वे अपने सारे दुःख दर्द भुल कर महारास में डूब गए। जिसका निर्देशन ममता टंडन ने किया।
बाल कलाकारों को क्रेजी लोहिया नगर (महिला समिति) द्वारा स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र प्रदान किया गया। कथा व्यास चंद्रभूषण जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया।उन्होंने सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि वृत्रासुर, प्रहलाद, बलि राजा, विभीषण, सुग्रीव, कुब्जा, ब्रज की गोपियों आदि सत्संग के द्वारा ही भगवान को प्राप्त कर सके वे वेदों से भी अज्ञान थे और उन्होंने तप भी नहीं किया था फिर भी सत्संग प्रेरित भक्ति के कारण वो भगवान के प्रिय पात्र बने।
हरि नाम संकीर्तन को कलयुग से पार करने वाली नौका बताया चंद्रभूषण जी महाराज ने कहा कि सतयुग में विष्णु के ध्यान से, त्रेता युग में यज्ञ से, द्वापर में विधिपूर्वक विष्णु पूजन से जो फल मिलता था वही फल कलयुग में भगवान के नाम कीर्तन से मिलता है। सुदामा जी भगवान कृष्ण के बाल सखा थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते । गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। उनकी पत्नी सुदामा जी से बार बार अनुरोध करती हैं कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें।
सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है जो आपको बाल सखा कह रहा है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।
कृष्ण – सुदामा प्रसंग का जीवंत मंचन सुदामा बने मुम्बई से पधारे उमेश दिक्षित ने किया, प्रसंग सुन कथा श्रवण करती महिलाओं के आंखों से अश्रु धारा बह निकली। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है। इसी के साथ ही सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा का विराम हो गया। कथा आयोजक क्रेजी लोहिया नगर (महिला समिति) की गायत्री सिंह ने कथा में आये हुये श्रद्धालुओं, सहयोगियों , प्रबंधन में लगी साखियों, लोहिया नगर रेलवे मेंस सहकारी समिति व पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कथा में मुख्य रूप से अनिल कुमार जैन (संरक्षक, संकल्प संस्था),कन्हैया झां, पं0 योगेश दिक्षित, पं0 उमेश दिक्षित,पं0 अरविंद पाठक, सुनील दुबे, कैलाश व्यास, पंडित विनोद मिश्रा, सूरज ,वीणा राय, आशा जायसवाल, सरोज पांडे,ऊषा सिन्हा , रत्ना श्रीवास्तव का सहयोग रहा।