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विश्व के सामने हमें अपने इतिहास को गौरवमयी तरीके से करना होगा पेशः शाह

बोरफुकन ना होते तो समूचा पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा नहीं होता : शाह

नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि विश्व के सामने हमें अपने इतिहास को गौरवमयी तरीके से सामने रखना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास को तोड़, मरोड़कर गलत तरीके से लिखा गया है। उन्होंने इतिहास के जानकारों से अपील की कि वे इस विवाद से बाहर निकालने का काम करें।

शाह ने आज यहां लचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास के जानकार 30 बड़े साम्राज्य जिसने 150 साल से ज्यादा देश के किसी भी हिस्से में शासन किया हो, और 300 ऐसी विभूतियां, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया और विजयी हुए। उनके जीवन पर लिखिए, रिसर्च कीजिए। नया इतिहास आएगा और जो असत्य है अपने आप चला जाएगा।

उन्होंने कहा कि बहादुर अहोम राजाओं के कारण पूर्वोत्तर की संस्कृति सदियों से अक्षुण्ण है। अकबर से लेकर औरंगजेब और कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर इल्तुतमिश तक, सभी ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की। हालांकि, अहोम राजाओं ने हमारी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा की। छात्रों के लिए अहोम राजवंश के सभी वीरों के इतिहास को सामने लाने से निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को उनके महान कार्यों से अवगत कराने में मदद मिलेगी।

शाह ने कहा कि अगर लचित बरफुकन नहीं होते तो आज पूरा पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा न होता। उस वक्त उनके द्वारा लिए गए निर्णय ने न केवल पूर्वोत्तर बल्कि दक्षिण एशिया के पूरे हिस्से को धर्मांत आक्रांताओं से बचाने का काम किया है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने आगे कहा कि लचित बरफुकन का जिस प्रकार से जीवन रहा, वो न केवल एक सेनापति के रूप में बल्कि एक देशभक्त के रूप में याद किए जाते हैं। सराईघाट की लड़ाई को आज भी याद किया जाता है और याद किया जाना चाहिए। उनकी स्मृति को हमेशा के लिए बहाल करने के लिए असम सरकार द्वारा कई पहल शुरू की गई हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे गुमनाम नायकों और योद्धाओं का जश्न मनाने के लिए अमृत महोत्सव आयोजित करने का फैसला किया। ताकि हमारे युवा और बच्चे इन वीरों से प्रेरणा ले सकें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है, जो जनरल लचित बरफुकन के नेतृत्व वाली अहोम सेना के हाथों मुगलों की करारी हार का प्रतीक है। ऐसे समय में जब हमारे देश के कुछ हिस्से मुगल साम्राज्य के अधीन थे, लचित बोरफुकन की बहादुरी ने सुनिश्चित किया कि असम मुगल बादशाह औरंगजेब के साम्राज्यवादी मंसूबों का विरोध करने में सक्षम था।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को असम के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ है और उनका नेतृत्व आज हमारे क्षेत्र में स्थायी विकास और शांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत 18 से 25 नवंबर तक रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण, सांस्कृतिक और अन्य कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। वीर योद्धा को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ अन्य कदम भी उठाए गए हैं।(हि.स.)

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