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सीमा मुद्दों को लेकर भूटान को आगाह किया, आर्थिक सहयोग का पिटारा भी खोला

नयी दिल्ली : भारत ने भूटान के शीर्ष नेतृत्व को चीन के साथ सीमाओं के संबंध में भारत की चिंताओं की गंभीरता से अवगत कराया और देश की 13वीं पंचवर्षीय योजना के साथ नवीकरणीय ऊर्जा, आर्थिक एवं वित्तीय सहयोग के नये रोडमैप को तय करने के साथ ही अग्रिम ऋण सुविधा देने की घोषणा की।भारत की विशेष यात्रा पर सोमवार को यहां पहुंचे भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ यहां हुई अलग अलग बैठकों में इन मुद्दों पर बातचीत हुई। भूटान नरेश के यहां पहुंचने पर कल शाम विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुलाकात की थी। आज सुबह सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने उनसे भेंट की।

सूत्रों के अनुसार भूटान नरेश के साथ सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री डोभाल ने भी मुलाकात की और सीमा संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके बाद भूटान नरेश सात लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री निवास पहुंचे।प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सीमा संबंधी प्रश्नाें के उत्तर में कहा, “भूटान नरेश एवं प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के सभी मुद्दों पर बातचीत की और हम सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर एक दूसरे के निरंतर संपर्क में रहेंगे।” श्री क्वात्रा से पूछा गया था कि बैठक में डोकलाम एवं सीमा मामले खासतौर पर भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग के बयान वाले मुद्दे पर क्या बात हुई।

डोकलाम त्रिपक्षीय सीमा बिन्दु एवं भूटान चीन सीमा मुद्दे को लेकर सवालों पर विदेश सचिव ने कहा कि सरकार उन सब मुद्दों एवं गतिविधियों पर पैनी नज़र रखती है जिनका संबंध हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से होता है और हम उनकी रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।इससे पहले विदेश सचिव ने बताया कि भूटान नरेश भारत की विशेष यात्रा पर आये हैं। उनकी यात्रा की तैयारियां बहुत पहले से चल रहीं थीं। बैठक में दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक आदान प्रदान पर चर्चा हुई और आपसी सहयोग को विस्तार देने के भावी रोडमैप तय किया गया। उन्हाेंने कहा कि भारत एवं भूटान के बीच संबंधों का मूलभूत आधार एवं संरचना के केन्द्र में प्रगाढ़ मित्रता, सकारात्मक दृष्टि, सहयोग एवं सहकार, परस्पर विश्वास एवं सम्मान है।

उन्होंने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भूटान में सामाजिक आर्थिक सुधारों के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया और भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए सहायता को बढ़ाने पर सहमति जतायी। यही नहीं, भारत भूटान को अतिरक्त ऋण सहायता देने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम भूटान को कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए दीर्घकालिक सतत सहायता की व्यवस्था करने के लिए प्रयास करेगा। इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों एवं कोयला जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए भी दीर्घकालिक द्विपक्षीय करार के लिए काम करेगा।

उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी के संदर्भ में असम के कोकराझार से गेलेफू तक रेललिंक बनाने, जयगांव में एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) बनाने, समग्र स्वास्थ्य सुविधा, बुनियादी ढांचे के विकास, एक नयी पासचू पनबिजली परियोजना बनाने और चूखा पनबिजली परियोजना में बिजली के दामों में वृद्धि के बारे में भी चर्चा हुई।भारतीय पर्यटकों के भूटान आने पर 1200 रुपए का शुल्क लगाये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भूटान ने कुछ समय पहले विदेशी पर्यटकों पर दो सौ डॉलर का शुल्क लगाया है जो भारतीय पर्यटकों के लिए मात्र 1200 रुपए है। यह अभी प्रायोगिक शुल्क है लेकिन इस शुल्क के बावजूद बड़ी संख्या में सैलानी जा रहे हैं।(वार्ता)

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