उपराष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति ने एक ऐसी विषम परिस्थिति में आर्थिक सुधारों को शुरू करने में श्री राव द्वारा निभाई गई अग्रणी भूमिका को स्मरण किया जब भारतीय अर्थव्यवस्था पतन के कगार पर पहुंच गई थी। एक फेसबुक पोस्ट में श्री नायडू ने देश की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए श्री राव द्वारा शुरू किए गए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने स्मरण करते हुए कहा, ‘श्री राव ने लाइसेंस राज के तहत लगाई गई पाबंदियों को खत्म करने, लालफीताशाही को कम करने तथा भारतीय उद्योगों को और भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की अथक कोशिश की।’
उपराष्ट्रपति ने इस ओर ध्यान दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने व्यापार उदारीकरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था, विशेषकर पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को पुन: एकीकृत करने की नींव रखी थी। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण बदलाव था क्योंकि पहले की सरकारों की अंतर्मुखी आर्थिक उन्मुखीकरण से निकल कर वैश्विक एकीकृत विकास की नई धारा से जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो रही थी।’ श्री नायडू ने कहा, ‘वे एक सुधारक थे और वे चाहते थे कि दुनिया में कहीं भी जो कुछ भी बेहतर हो रहा है, उससे भारत अवश्य ही सीख ले। वे चाहते थे कि संकट को एक अवसर में बदल दिया जाए।’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाद के वर्षों में भारत की जीडीपी में वृद्धि और हाल के वर्षों में देश के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने का व्यापक श्रेय श्री राव को दिया जाना चाहिए।
आर्थिक सुधारों को जारी रखने की आवश्यकता पर देश में धीरे-धीरे व्यापक सहमति बनने की ओर ध्यान दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुधारों में तेजी लाई, जबकि वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सुधारों को और भी अधिक तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। श्री राव द्वारा राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा के लिए भी एक मजबूत नींव रखे जाने की ओर ध्यान दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘विदेश नीति में भी उन्होंने अनेक साहसिक कदम उठाए। उन्होंने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए। उन्होंने भारत और अमेरिका को एकजुट करके उनके बीच दशकों से ठंडे पड़े संबंधों में नई जान फूंकी।’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब और कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों को नियंत्रित करने में भी पूर्व प्रधानमंत्री काफी हद तक सफल रहे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘पूरब की ओर देखो (लुक ईस्ट)’ नीति का शुभारंभ और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने वाले संविधान के 73वें और 74वें क्रांतिकारी संशोधनों को पारित करना, ये सभी प्रधानमंत्री के रूप में श्री राव के कार्यकाल में ही हुए।