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यूपी अब उपद्रव की नहीं, उत्सव की भूमि बन गई हैः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती में जैन मंदिर के लोकार्पण समारोह में समाज को शांति, संयम और धर्म की दिशा दिखाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश अब उपद्रव की नहीं, बल्कि उत्सव की भूमि बन चुका है। उन्होंने उन लोगों को आईना दिखाया जो समाज के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। सीएम ने भगवान राम, श्रीकृष्ण और जैन तीर्थंकरों की परंपरा को नमन करते हुए कहा कि सज्जन शक्ति हमेशा धर्म और लोककल्याण के मार्ग पर चलती है, जबकि दुर्जन शक्ति समाज में असंतोष फैलाती है। योगी ने कहा कि लव ने श्रावस्ती को राजधानी बनाकर इस भूमि को नई गति दी थी। उन्होंने जैन परंपरा की महानता बताते हुए कहा कि यह संयम और तप से उपजी सिद्धि पर आधारित है और भारत की सनातन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

  • हर धर्मात्मा को सज्जन शक्ति का संरक्षण व दुर्जन शक्ति को समाप्त करना होगाः मुख्यमंत्री
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती में दिगंबर जैन मंदिर परिसर में नवनिर्मित मंदिर का किया लोकार्पण
  • उत्तर प्रदेश की धरती सौभाग्यशाली, 24 में से यहां 16 पावन तीर्थंकर अवतरित हुएः गोरक्षपीठाधीश्वर

श्रावस्ती : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माहौल बिगाड़ने वालों को आईना दिखाया और कहा कि यह उन लोगों के लिए कल्पना है, जिन्होंने कभी शांति व संयम का परिचय नहीं दिया। जिन लोगों के पास थोड़ा सा वैभव आया तो उनकी गर्मी सामने आने लगती है और वे लोगों की शांति को छीनने का प्रयास करते हैं। उत्सव, उत्साह व उमंग के माहौल में व्यवधान पैदा करके व्यवस्था को कैद कर देना चाहते हैं, जबकि हमारे यहां राम व कृष्ण का उपदेश एक ही है। जब राक्षसों का आतंक छा रहा था, तब भगवान राम ने अपनी भुजाओं को उठाकर प्रण किया कि धऱती को राक्षस विहीन कर दूंगा। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि हर धर्मात्मा को सज्जन शक्ति का संरक्षण व दुर्जन शक्ति को समाप्त करना होगा, तब सृष्टि की व्यवस्था आगे बढ़ेगी। सज्जन शक्ति महापुरुषों की वाणी, धर्म और लोककल्याण के पथ पर खुद को अग्रसर करके कार्य कर रही है और दुर्जन शक्ति दूसरों को चैन से नहीं बैठने देती। अत्याचार, शोषण करना चाहती है।

लव ने श्रावस्ती को राजधानी बनाकर इस क्षेत्र को दी नई गति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दिगंबर जैन मंदिर परिसर में नवनिर्मित मंदिर का लोकार्पण किया। फिर दर्शन-पूजन, आरती कर मंदिर का भ्रमण करते हुए भगवान ऋषभ देव से चली भगवान महावीर तक की 24 जैन तीर्थंकरों की परंपरा को नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या के पहले राजा भगवान ऋषभ देव हुए। इस परंपरा में कई पीढ़ियों बाद भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। गंगा मैया को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ और परम गोभक्त महाराज दिलीप भी इसी परंपरा में पैदा हुए। भगवान राम के बड़े पुत्र लव ने श्रावस्ती को राजधानी बनाकर इस क्षेत्र को नई गति दी थी।

यूपी अब उपद्रव की नहीं, उत्सव की भूमि बन गई है

सीएम ने कहा कि नए भारत का नया उत्तर प्रदेश अत्याचार, अनाचार, दुराचार, शोषण व उपद्रव को बर्दाश्त नहीं करता है। यूपी अब उपद्रव की नहीं, उत्सव की भूमि बन गई है। सरकार हर नागरिक को सम्मान व सुरक्षा की गारंटी दे रही है, क्योंकि यह सरकार का नैतिक दायित्व है। सरकार विरासत को बढ़ाएगी, लेकिन सुरक्षा में सेंध लगाने वालों से सख्ती से भी निपटेगी। यही बात धर्म भी कहता है।

संयम व तप से उपजी सिद्धि पर आधारित है जैन परंपरा

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की धरती सौभाग्यशाली है कि 24 में 16 पावन तीर्थंकर यहां अवतरित हुए। अयोध्या, काशी जैन तीर्थंकरों की पावन धरा के रूप में विख्यात है। उनकी कृपा आज भी देखने को मिलती है। सीएम ने कहा कि गत वर्ष अयोध्या में भगवान ऋषभ देव के मंदिर गया था, वहां मां ज्ञानवती के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। जैन परंपरा संयम और तप से उपजी सिद्धि पर आधारित है। इनकी साधना, तप और संयम अत्यंत कठिन है।

सीएम ने कहा कि जैन परंपरा से जुड़े संतों ने अपने उपदेशों व इस परंपरा में रमे-बसे अनुयायियों ने साधना व तप से इसे बनाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौराणिक काल में राजा जितारि के पुत्र के रूप में तृतीय जैन तीर्थंकर भगवान संभवनाथ का जन्म श्रावस्ती की पावन धरा पर हुआ था। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की इस परंपरा ने हमेशा विश्वास किया है कि धर्म के बारे में उनकी कोई भिन्नता नहीं है। मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन लक्ष्य सबका एक है। उन मार्गों का अनुसरण करते हुए जैन अनुयायी भारत की सनातन परंपरा का पालन करते हुए हमेशा मजबूती देने में सहयोगी रहे हैं। यह अत्यंत सर्वश्रेष्ठ परंपरा है।

इस अवसर पर विधायक रामफेरन पांडेय, विधान परिषद सदस्य साकेत मिश्र, जिला पंचायत अध्यक्ष दद्दन मिश्र, भाजपा के जिलाध्यक्ष मिश्रीलाल वर्मा, अमित जैन, संजीव जैन, महेंद्र जैन आदि मौजूद रहे।

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