UP Live

सीएम योगी के नेतृत्व में ‘नल से जल’ क्रांति से लगी जेई व एईएस पर लगाम

योगी सरकार के मार्गदर्शन में जेई-एईएस से प्रभावित जनपदों में पहुंचाया गया स्वच्छ जल, सामूहिक प्रयास से मृत्यु के आंकड़े हुए शून्य. बलरामपुर में 93, बहराइच में 92.66, गोरखपुर में 92.13, कुशीनगर में 90.73, आकांक्षात्मक जनपद सिद्धार्थनगर में भी 85.06 प्रतिशत से अधिक घरों तक पहुंचाया गया नल से स्वच्छ जल.

  • बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने सड़क से संसद तक लड़ी थी इंसेफेलाइटिस की लड़ाई
  • योगी आदित्यनाथ ने जब सत्ता संभाली तो जेई-एईएस की रोकथाम का अभियान अपने हाथ में लिया
  • मुख्यमंत्री का प्रयास लाया रंग, जेई-एईएस से अब नहीं सूना होता किसी घर का आंगन

लखनऊ : पूर्वांचल में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत ने देश की संसद को हिला दिया था। सिर्फ 2005 में ही 6000 से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आए। इनमें से 1400 से ज्यादा की मौत हो गई थी। 2017 के पहले तक जेई और एईएस से मौतों का आंकड़ा 50 हजार के पार हो गया था और इसका केंद्र था गोरखपुर मंडल। सीएम योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर के सांसद थे। मामला संसद में उठा। फिर 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो इसके बाद से इंसेफेलाइटिस के खिलाफ जंग जमीन पर उतर गई।

उन्होंने इंसेफेलाइटिस समाप्त करने की मुहिम अपने हाथ में ले ली और निरंतर प्रयास से इसमें सफलता भी हासिल की। बीते दो साल में केवल बहराइच और कुशीनगर में एक-एक मौत दर्ज की गई है। इसके अलावा कहीं भी जेई से कोई मौत नहीं हुई। एईएस के मामलों में भी 99 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। सीएम योगी के नेतृत्व में इसकी एक अहम वजह ‘जल क्रांति’ भी है। हर घर में नल से पहुंचता साफ पानी इस भयावह बीमारी के नियंत्रित होने का अहम कारण है।

सीएम योगी के नेतृत्व में समन्वय ने बीमारियों पर लगाया अंकुश

साल 1978 में उत्तर प्रदेश में जेई का पहला मामला दर्ज किया गया था। शुरुआती दो दशकों में इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में से 30 प्रतिशत से ज्यादा की मौत हो जाती थी। खास बात यह है कि सर्वाधिक प्रभावित पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले थे। इसका सबसे अधिक दंश बच्चों को झेलना पड़ता था। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के काटने की वजह से व्यक्ति जेई से ग्रसित होता है, जबकि एईएस दिमागी बुखार है। मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी को देखते हुए योगी सरकार ने क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने और शुद्ध पानी पहुंचाने की योजना बनाई। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान तेज किया।

योगी सरकार के मार्गदर्शन में ‘हर घऱ नल से जल’ योजना से पहुंचा स्वच्छ पानी

सीएम योगी के मार्गदर्शन में साफ पानी पहुंचाने की नीति को अंजाम दिया गया जल जीवन मिशन की ‘हर घर नल से जल’ योजना से। चूंकि मामला गंभीर था और योगी सरकार की प्राथमिकता भी, इसलिए प्रभावित जिलों में नल से पानी पहुंचाने की मुहिम को बेहद तेज गति दी गई। जल जीवन मिशन के मुताबिक प्रभावित जिलों में 85 से लेकर 92 प्रतिशत तक घरों में टैप वॉटर पहुंचाया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक साफ पानी की आसान उपलब्धता ने पानी से फैलने वाले संक्रमण की संभावनाओं को कम किया है। इसके अलावा लोगों को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिली है। इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हुई है। जेई और एईएस जैसी बीमारियों से लड़ने यह भी एक अहम पहलू रहा है।

जल्द ही 100 प्रतिशत घरों में टैप वॉटर की होगी पहुंचः एसीएस नमामि गंगे

नमामि गंगे के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि साफ पानी की उपलब्धता से बीमारियों के फैलने की संभावना कम हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने भी इन जानलेवा बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद की है। साफ पानी स्वस्थ जीवन की प्राथमिक आवश्यकता है। हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कटिबद्ध हैं।’ जल्द ही हम 100 प्रतिशत घरों में टैप वॉटर पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर लेंगे।

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button