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कीड़ों के आक्रमण से गई दो मासूमों की जान
दो बच्चियों की हालत गंभीर, जिला अस्पताल में किया जा रहा है उपचार
सिंगरौली। हमने सुना है कि एक मच्छर पुरुष को …. बना सकता है। एक चींटी हाथी को धराशायी कर सकती है। उसी प्रकार चितरंगी थाना क्षेत्र के ग्राम बोदाखुटा में बर्रइया, हाड़ा अथवा ततैया के नाम से जाने जाने वाले कीड़ों के हमले से दो मासूम बच्च्चों की मौत हो गयी। जबकि दो मासूम बालिकाएं जिला चिकित्सालय में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं। यह घटना बुधवार की सुबह लगभग 10 बजे के आसपास की बताई जा रही है। ये बच्चे मवेशी व बकरियों को लेकर जंगल में उन्हें चराने गये थे।
जानकारी के मुताबिक ग्राम बोदाखुटा के चार मासूम बच्चे रोज की दिनचर्या के अनुरूप बुधवार की सुबह बकरियों को लेकर जंगल में चराने गये थे। वहां सबसे पहले कीटों ने एक वृद्ध व्यक्ति पर हमला किया। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग खड़ा हुआ। लेकिर आक्रामक हुए कीटों की चपेट में ये मासूम आ गये। जहां दो मासूम बच्चियां झाडिय़ों में छुपकर स्वयं को बचाना चाहा। लेकिन इन्हें भी कीटों ने खूब डंक मारा। तो वहीं दो मासूम विकल्प पिता बाबूलाल सिंह उम्र 6 वर्ष, रमेश पिता श्याम बहादुर सिंह उम्र 5 वर्ष इधर-उधर चीख-पुकार कर अपनी जान बचाने के लिए भागते रहे। अंतत: इन दोनों मासूम बालकों के शरीर पर ये कीट इस तरह से चिपके हुए थे कि देखने वाले भी डर गये।मासूम बच्चों के परिजनों को इसकी जानकारी दोपहर 12 बजे लगी। इन बच्चों के परिजन चितरंगी में मजदूरी करने आये थे।
खबर मिलते ही बोदाखुटा के जंगल में इनकी तलाश की जाने लगी। दो बच्चियां आरती पिता हरीराम बादी उम्र 6 वर्ष एवं प्रियंका पिता बाबूलाल उम्र 7 वर्ष झाड़ी में छुपी मिलीं, लेकिन उनकी हालत देखकर उन्हें तत्काल सामुदायिक अस्पताल रवाना कर दिया गया। चिकित्सकों ने दोनों बच्चियों की हालत को देखते हुए उन्हें जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। वहीं मासूम बालक विकल्प व रमेश को जंगल के झाडिय़ों में गांव भर के लोग तलाश करने लगे। बड़ी मुश्किल से दोनों मासूम घायल हालत में मिले। लेकिन इनके शरीर, आंख, नाक, कान, होंठ सहित अन्य हिस्सों में कीट छत्ता की तरह लिपटे हुए थे। ग्रामीणों के कड़े मशक्कत के बाद सैकड़ों की संख्या में चिपके कीटों को भगाया जा सका और दोनों मासूम बालकों को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के कुछ देर बाद दोनों मासूमों ने दम तोड़ दिया।
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ग्रामीणों के अनुसार कीटों ने मासूम बालकों के साथ-साथ जंगल में चरने गयी बकरी व गायों को भी निशाना बनाया। गाय व बकरियां भी अपनी जान बचाकर जंगल से अपने-अपने घरों की ओर चिल्लाहट करते हुए भागने लगीं। पहले लोग समझ नहीं पाये, लेकिन मासूम के दादा ने बताया कि हो सकता है कि हड्डा कीट हमला बोले हों। वृद्ध चरवाहे को भी ऐसे ही कीटों ने डंक मारा था। वह किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रहे थे, लेकिन उनके रिश्ते के दो पोतों की मौत हो गयी। जबकि दो बालिकाएं जीवन के लिये संघर्ष कर रही हैं।
चीख-पुकार करते रहे बच्चे
जंगल में कीटों के हमला के समय मासूमों जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते और छुपते चीख-पुकार करते रहे। लेकिन जंगल से घरों के दूर होने के कारण कोई भी उनके बचाव के लिए नहीं आया। जब मासूम बच्चों के परिजन वहाँ पहुंचे तो वहाँ का दृश्य देख उनके रोंगटे खड़े हो गये। दिल को दहलाने वाली घटना को देख अस्पताल चितरंगी में भी भारी संख्या में लोग पहुंचे और मासूमों के चीख-पुकार व मौत होता देख सभी की आँखें नम थीं।