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आज भारत रेल लाइनों के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब है, हमने रेलवे की पहुंच का भी निरंतर विस्तार किया है: प्रधानमंत्री

जम्मू बना देश का पहला उच्च हिमालयी रेलवे मंडल

जम्मू : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू में रेलवे मंडल का आज उद्घाटन किया जो देश में पहला उच्च हिमालयी रेलवे मंडल है।श्री मोदी ने यहां आयोजित कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से जम्मू रेल मंडल के अलावा ओडिशा के रायगढ़ रेलवे मंडल और आंध्रप्रदेश के चेर्नापल्ली में नये टर्मिनल स्टेशन भवन का उद्घाटन किया। यहां कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेल, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह, जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री सतीश शर्मा, जम्मू के सांसद जुगलकिशोर शर्मा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक वर्मा और फिरोज़पुर रेल मंडल प्रबंधक संजय साहू उपस्थित थे।

जम्मू उत्तर रेलवे के अंतर्गत देश का 68वां और पहला उच्च पर्वतीय रेलवे मंडल होगा जो पंजाब के पठानकोट से शुरू होकर उत्तरी हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और भविष्य में लद्दाख तक विस्तृत होगा। जबकि पूर्वी तटीय रेलवे के अंतर्गत दक्षिणी ओडिशा के रायगढ़ में स्थित 107 करोड़ रुपये की लागत वाले रायगढ़ रेलवे मंडल के बनने से क्षेत्र के रेलवे बुनियादी ढांचे के विस्तार को गति मिलेगी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने संबोधन में जम्मू कश्मीर के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि जम्मू रेलवे मंडल का लाभ जम्मू कश्मीर के साथ हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब के कई शहरों के साथ लेह लद्दाख को होगा। जम्मू कश्मीर को देश के हिस्सों को अच्छे से जोड़ देगी। विश्व का सबसे ऊंचा आर्च पुल चिनाब पुल तथा पहला केबल पुल अंजी खड्ड पुल भारत की इंजीनियरिंग के बेहतरीन उदाहरण है।उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से ओडिशा में प्रचुर प्राकृतिक संसाधन है। अनेक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 70 हजार करोड़ रुपए के परियोजनाओं पर काम चल रहा है। रायगढ़ा में रेलवे मंडल से जनजातीय क्षेत्रों में रेल नेटवर्क का विस्तार तेज होगा और पर्यटन एवं रोज़गार बढ़ने से क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास को बल मिलेगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार रेलवे के विकास के लिए चार मानकों पर काम कर रही है। अवसंरचना का आधुनिकीकरण, बेहतर यात्री सुविधाएं, हर कोने से कनेक्टिविटी तथा रोजगार निर्माण के आयामाें पर काम हो रहा है। 30 हजार किलोमीटर पटरियां बिछायीं गयीं हैं। लगभग शत प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है।

उन्होंने कहा कि आज गठित ये रेल मंडल भारतीय रेलवे को 21वीं सदी का रेलवे प्रणाली बनाने में मददगार होंगे। इन इलाकों में निवेश के नये मौके मिलेंगे। नयी नौकरियों का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि देश में हाईस्पीड ट्रेनों की मांग बढ़ रहीं हैं। 136 वंदे भारत एक्सप्रेस सेवाएं चल रहीं हैं। अपने परीक्षण परिचालन में वंदे भारत स्लीपर का पहला संस्करण 180 किलोमीटर की गति से कितनी कुशलता से दौड़ रहा है। वह समय दूर नहीं जब भारत में बुलेट ट्रेन दौड़ेगी।रेलवे के सूत्रों के अनुसार जम्मू रेलवे मंडल की शुरुआत पठानकोट से होती है। यह रेलवे मंडल पठानकोट से बारामूला तक 423 किलोमीटर, पठानकोट से भाेगपुर तक 87.21 किलोमीटर, पठानकोट से बटाला 68.17 किलोमीटर, पठानकोट से जोगिंदरनगर तक 163.72 किलाेमीटर तक कुल 742.1 किलोमीटर का है। इसमें से पठानकोट से जोगिंदरनगर तक 163.72 किलोमीटर नैरोगेज लाइन है।

सूत्रों ने बताया कि भविष्य में बनने वाला सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग भी जम्मू मंडल के अंतर्गत आएगा। भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर सर्वाधिक ऊंचाई वाला ब्रॉडगेज का स्टेशन काज़ीगुंड जम्मू मंडल में शामिल है जो कश्मीर घाटी का पहला स्टेशन है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1722 मीटर या 5650 फुट है।उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश का उक्त रेलवे नेटवर्क अभी तक उत्तर रेलवे के फिरोज़पुर मंडल के अंतर्गत आता था। फिरोज़पुर रेलवे मंडल को उत्तर भारत के सबसे कमाऊ रेलवे मंडल के रूप में जाना जाता है।

सूत्रों का कहना है कि रेलवे मंडल के गठन पर कुल करीब 350 करोड़ रुपए का व्यय आने का अनुमान है। नये जम्मू मंडल में 3114 पुल (चिनाब पुल और अंजी पुल सहित), 58 छोटी बड़ी सुरंगें (भारत की सबसे लम्बी परिवहन सुरंग -टी-49 और टी-80 सहित) तथा 08 अमृत भारत स्टेशन (बैजनाथ पपरोला, पालमपुर, पठानकोट सिटी, पठानकोट कैंट, जम्मू तवी, उधमपुर, श्री माता वैष्णो देवी कटरा, बडगाम) होंगे। 17 माल टर्मिनल/माल गोदाम, 06 गति-शक्ति कार्गो टर्मिनल, 08 पार्सल कार्यालय, 94 बुकिंग कार्यालय तथा 26 आरक्षण कार्यालय होंगे।

सूत्रों का कहना है कि जम्मू रेल मंडल बाद राजस्व की दृष्टि से इस क्षेत्र को बहुत लाभ होने की उम्मीद है। माल ढुलाई एवं यात्री परिवहन पर मिलने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से इस क्षेत्र को सालाना करीब दस हजार करोड़ रुपए मिलेगा जो अभी तक फिरोज़पुर जाता रहा है।सूत्रों ने यह भी बताया कि एक दो दिन में रेलवे मंडल के उद्घाटन के दिन ही श्रीमाता वैष्णोंदेवी कटरा से रियासी के बीच रेलवे लाइन का रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा अंतिम परीक्षण किया जाएगा। रेल संरक्षा आयुक्त की मंजूरी मिलते ही कश्मीर घाटी से शेष भारत का रेल लिंक पूर्ण हो जाएगा और जल्द ही इस पर गाड़ियों का परिचालन शुरू हो जाएगा। रेलवे लिंक के चालू होने के बाद कश्मीर घाटी से माल की आवाजाही भी रेलवे को मिलने लगेगी और घाटी के विकास को गति मिलेगी। रविवार को श्रीमाता वैष्णोंदेवी कटरा से बारामूला तक रेलवे के एलएचबी रैक के परिचालन का परीक्षण किया गया। पांच कोच का यह रैक 75 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलाया गया।

जम्मू कश्मीर में रेलवे के इतिहास पर नज़र डालें तो 1947 से पहले अविभाजित भारत में जम्मू और सियालकोट के बीच सीधी रेल सेवा थी, जो 1890 में शुरू हुई थी, लेकिन 1947 में देश के विभाजन के बाद रेल सेवा बंद हो गई। 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद पंजाब के पठानकोट से जम्मू की ओर रेल सेवा पर काम शुरू हुआ और 1972 में यह शुरू हुई। जम्मू के लिए पहली ट्रेन श्रीनगर एक्सप्रेस के नाम से शुरू हुई, जो अब झेलम एक्सप्रेस के नाम से चलती है और उसके बाद से जम्मू में अन्य ट्रेनें भी आने लगीं।वर्ष 1981 में जम्मू से ऊधमपुर तक रेल परियोजना शुरू की गई थी और इसकी आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 अप्रैल 1983 को रखी थी। करीब 22 वर्ष बाद 13 अप्रैल 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऊधमपुर के लिए रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई जो सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय भी है।

इसके बाद 11 अक्टूबर 2009 से स्थानीय रेल सेवा के विभिन्न खंड शुरू किए गए और 4 जुलाई 2014 को माता वैष्णो देवी मंदिर के आधार शिविर कटरा के लिए भी रेल सेवा शुरू की गई जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।बीते वर्ष फरवरी में कश्मीर घाटी में बानिहाल से संगलदान तक 48 किलोमीटर का खंड शुरू हो गया है। इसके बाद संगलदान से रियासी तक रेलवे लाइन को भी रेल संरक्षा आयुक्त की मंजूरी मिल चुकी है। रियासी से श्रीमाता वैष्णोंदेवी कटरा के बीच करीब 17 किलोमीटर की लाइन बन कर तैयार है और इसे शीघ्र ही रेल संरक्षा आयुक्त की मंजूरी मिलने की संभावना है। रेलवे के अधिकारी कटरा से श्रीनगर एवं बारामूला के बीच गाड़ियों के परिचालन के लिए योजना भी तैयार कर रहे हैं। कटरा से बारामूला के बीच दूरी करीब 260 किलोमीटर है। (वार्ता)

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