बिहार-चुनाव में इस बार भी विकास नहीं बनेगा मुद्दा इनका,उनका भ्रष्टाचार पर नेता मांगेंगे वोट
अजीत मिश्र
पटना।बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव कुछ महीने बाद हीं होना है।जैसा कि बिहार का इतिहास रहा है यह चुनाव भी विकास के मुद्दे पर नही बल्कि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप और जात विरादरी के नाम पर हीं लड़ा जायेगा।चुनाव पूर्व अपने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आखिरकार कह हीं दिया है कि इस बार का चुनाव पन्द्रह साल पूर्व के पति-पत्नी के कुशासन के नाम पर लड़ा जाएगा।उनका प्रत्यक्ष इशारा लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की ओर था।यही नहीं नीतीश सरकार जिन बैशाखी भाजपा के सहारे खड़ी है उस पार्टी के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी भ्रष्टाचार को लेकर लालू के पुत्र और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को घेरा है। सुशील मोदी ने लालू यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जब से सीएम नीतीश की सरकार आई है, तब से सीएम आवास में नाच नहीं होता है।
तेजस्वी पर हमला करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि वह जमाना गया जब सीएम हाउस में अपराधी छुपते थे।उन्हें सीएम हाउस में शरण दिया जाता था और वहीं रंगारंग कार्यक्रम चला करता था।अब वह दिन लद गए हैं।सुशील मोदी ने लालू यादव पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने काम के बल पर बिहार का मान बढ़ाया और काम के बल पर ही एनडीए जनता का भरोसा जीत कर सत्ता में लौटता रहा। दिमागी दिवालियेपन की हद है कि जब कोई डिजिटल माध्यम से काम करे, तो कहो- घर से क्यों नहीं निकलते? और जब आप जनता के बीच जाएं, तो कहो- सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसे अनेक गैरजिम्मेदार बयानों के चलते ही लोकसभा चुनाव में राजद का सूपड़ा साफ हुआ था।यही नहीं नीतीश कुमार के चुनाव मन्त्र देने के बाद जदयू कोटे के मंत्री भी राजद पर हमलावर हो गये हैं।बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप जब महज चार साल के थे, तभी आरजेडी प्रमुख ने उनके नाम पर, लोगों से नौकरी के बदले जमीन लिखवा ली थी।
जेडीयू नेता ने इस दौरान जमीन संबंधी कुछ दस्तावेज भी दिखाए हैं और ये आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि साल 1989 में पैदा हुए तेज प्रताप के नाम पर लालू ने 1993 में फुलवरिया के लोगों से नौकरी के बदले जमीन लिखवा ली, जिसमें खरीदार के रूप में तेजप्रताप यादव और तरुण कुमार यादव का नाम दर्ज है। तब तेज प्रताप की उम्र केवल चार साल थी।(लालू की पुत्री मीसा भारती ने साफ कर दिया है कि तरुण कुमार यादव भी तेजस्वी का हीं नाम है)जेएनयू से उच्च शिक्षा प्राप्त जदयू के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य जगनारायण सिंह यादव ने राजद की ओर इशारा करते हुए कहा कि राजद के राजनीति में दर्प का अभिमान चढ़ा हुआ है।मान से क्रोध उत्तपन्न होना स्वभाविक है।क्रोध से लज्जा समाप्त होती है, जो सदाचार को नष्ट कर देती है।उसी सर्वनाश के तट पर खड़ा होकर राजद का ब्यर्थ की दलीलें देना उचित नहीं है।भाजपा जदयू के आक्रामक रुख के बावजूद तेजस्वी कहते हैं कि इस सरकार का प्रमुख एजेण्डा सिर्फ हमारे परिवार को बदनाम करना है।
फिलहाल देश सहित बिहार में भी कोरोना महामारी की विपदा आयी हुई है लेकिन आपदा के समय बिहार सरकार की किसी भी बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री नहीं दिखे। शायद बिहार में विरले ही लोग जानते है कि आपदा मंत्री कौन है?देश में सबसे अधिक श्रमिक संकट बिहार में है, लाखों श्रमवीर परेशान है, 40 से अधिक मज़दूर भूख और दुर्घटना में मारे जा चुके हैं।विपदा प्रबंधन संबंधित विभागों जैसे श्रम और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बैठकों से ग़ायब है लेकिन ग़ैर-संबंधित विभागों के मंत्री कथित समीक्षा बैठकों में हर समय मौजूद रहते हैं।नेता प्रतिपक्ष के नाते हम पूछना चाहते है कि संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री विपदा के समय ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों से क्यों ग़ायब रहते है? क्या भाजपा कोटे के ऐसे सभी मंत्री नकारा है इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें पूछते ही नहीं और अधिकारियों को सीधे निर्देश देते है? या फिर क्या उन मंत्रियों के मुख्यमंत्री आवास में जाने से वहाँ संक्रमण फैलने का डर है।तेजस्वी अभी चुनावी मूड में नहीं बल्कि सरकार की नाकामियों से पर्दा हटाने के मूड में हीं दिखे लेकिन चुनाव आते आते उनका भी भाषण जातीय दलदल का शिकार नहीं होगा यह कहना मुश्किल है।हर बार की तरह इस बार भी पक्ष विपक्ष के किसी नेता का बिहार की दुर्दशा,बेकारी बेरोजगारी पर ध्यान नहीं गया है और यही बिहार के निरन्तर बदहाली का कारण भी है।