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खेती को अधिक लाभदायक, पर्यावरण अनुकूल बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम: मुर्मू

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भारत में कृषि के समक्ष मौजूदा चुनौतियों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि खेती को अधिक लाभदायक और पर्यावरण अनुकूल बनाने में प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है। श्रीमती मुर्मू हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आज जब पूरा विश्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता वायुमंडल का तापमान बढ़ने और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतराष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वूर्ण हो जाता है।”

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि हिसार कृषि विश्वविद्यालय कई देशों की संस्थाओं के साथ कृषि से जुड़े विषयों पर सहयोग कर रहा है।श्रीमती मुर्मू ने कहा, “खेती की लागत को कम करने , उत्पादकता बढ़ाने , उसे पर्यावरण अनुकूल बाने तथा उसको और अधिक लाभदायक बनाने में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है।”’ उन्होंने हरियाण कृषि विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं ने निरंतर प्रौद्योगिकीय नवाचार करते रहने की अपील की। राष्ट्रपति ने इस विश्वविद्यालय द्वारा अनेक उपयोगी कृषि यंत्रों के विकास का भी उल्लेख किया जिनमें हरित ऊर्जा से चलने वाला किफायती ई-ट्रैक्टर भी है ।

उन्होंने कहा कि लेकिन आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरकता , जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिंताएं उपस्थित हैं जिनका समाधान खोजना आप जैसे कृषि पेशेवरों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां के लिए अवसर भी हैं।उन्होंने कहा कि इसके लिए ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे पर्यावरण और जैव विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए जनता को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के प्रति जिम्मेदारी भी होती है और यह खुशी की बात है कि यह विश्वविद्यालय ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया (रक्त की कमी) की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से बाजरे की लोहे और जस्ते जैसे खनिजतत्वों से जैविक विधि से संपुष्ट संकर किस्म विकसित की है। एचएचबी 299 किस्म का यह बाजरा दुनिया में पहला बायो फोर्टिफाइड बाजरा है।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर खेती में पानी की बचत और कम पानी से तैयार होने वाली फसलों की खेती पर भी जोर दिया। उन्होंने पराली जलाने से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि सुरक्षित भविष्य के लिए इसका एक जुट होकर समाधान निकालना होगा। उन्होंने पराली के निस्तार के विकल्पों को प्रोत्साहित करने के एचएयू के प्रयासों को सराहा और कहा कि ये प्रयास पर्यावरण संरक्षण कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायक हैं।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि बड़ी आबादी के बावजूद भारत खाद्यन्न संकट से ग्रस्त देश से आज खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इस उपलब्धि में हमारे नीति-निर्मातओं, कृषि वैज्ञानिकों और किसान भाई-बहनों का महत्वूपूर्ण योगदान है।उन्होंने कहा कि हमारा कृषि क्षेत्र उद्योगों के लिए कच्चेमाल की आपूर्ति करता है। ऐसे में कृषि और इससे जुड़े कई क्षेत्रों में स्टार्ट-अप की प्रचुर संभावनाएं हैं।(वार्ता)

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