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22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाने के विधि मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी।बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। विज्ञप्ति के अनुसार22वें विधि आयोग का कार्यकाल इसी वर्ष 20 फरवरी को पूरा हो गया था।विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है। इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर किया जाता है।

आयोग को पहली बार 1955 में गठित किया गया था और उसके बाद समय-समय पर इसका पुनर्गठन किया जाता है। इस दौरान समय समय पर गठित किए गए इन आयोगों ने देश के कानून के प्रगतिशील विकास और संहिताकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया है।विधि आयोग ने अब तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।वर्तमान 22वें विधि आयोग का गठन 07 नवंबर 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में किया गया था।

न्यायमूर्ति केटी शंकरन, प्रो अनंद पालीवाल , प्रो डीपी वर्मा और प्रोफेसर डॉ राका आर्य और श्री एम करुणानीति को इसका सदस्य बनाया गया था।विज्ञप्ति में कहा गया है कि 22वीं विधि आयोग ने अभी हाल ही में कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है तथा कार्य प्रगति पर होने के कारण जांच और रिपोर्ट की कई लंबित परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। इसलिए, 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा दिया गया है।बयान में कहा गया है कि विधि आयोग, विस्तारित अवधि के दौरान अपनी मौजूदा जिम्मेदारी का निर्वहन करना जारी रखेगा, जैसा कि उसे दिनांक 21 फरवरी 2020 के आदेश द्वारा सूचित किया गया है।

बयान के मुताबिक इसकी जिम्मेदारियों में अन्य बातों के अलावा (क) उन कानूनों की पहचान करना, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं और अप्रचलित तथा अनावश्यक अधिनियमों को निरस्त करने की सिफारिश करना;

(ख) नीति-निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने और संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नए कानूनों को बनाने का सुझाव देना;

(ग) कानून और न्यायिक प्रशासन से संबंधित किसी भी विषय पर विचार करना और सरकार को अपने विचारों से अवगत कराना, जिसे विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा विशेष रूप से संदर्भित किया गया हो;

(घ) विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा किसी भी विदेशी देश के बारे में शोध प्रदान करने के अनुरोध पर विचार करना;

(ङ) समय-समय पर सभी मुद्दों, मामलों, अध्ययनों और आयोग द्वारा किए गए शोधों पर रिपोर्ट तैयार करना और केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना और संघ या किसी राज्य द्वारा किए जाने वाले प्रभावी उपायों के लिए ऐसी रिपोर्टों की सिफारिश करना;

(च) केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर सौंपे गए ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना शामिल है।(वार्ता)

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