नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर रिश्वत लेकर नौकरी देने से जुड़े मनीलॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बाईपास सर्जरी के लिए एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अनुमति याचिका पर बुधवार को चार जुलाई तक के लिए सुनवाई टाल दी।बालाजी का कोरोनरी आर्टरी बाइपास बुधवार को चेन्नई के कावेरी अस्पताल में किया गया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने ईडी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने 15 जून को खुद ही जांच शुरू कर दी थी कि क्या एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य हो सकती है।पीठ ने कहा कि ऐसे में इस मुद्दे पर निर्णय लेने से उच्च न्यायालय को रोकने का कोई कारण नहीं है।शीर्ष अदालत ने मंत्री बालाजी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार करने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय एक संवैधानिक अदालत हैं।
बालाजी के पुलिस हिरासत के मामले में 22 जून को वह (उच्च न्यायालय) सुनवाई करेगी और मामले के गुण-दोष के आधार पर उसके जांच करने की क्षमता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को उच्च न्यायालय के समक्ष जाकर (जहां गुरुवार को मामले की सुनवाई होनी है) गुण-दोष के आधार पर बहस करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर गौर करते हुए कि उच्च न्यायालय ने अभी तक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की पर अपना अंतिम निर्णय नहीं दिया, ईडी की विशेष अनुमति याचिका पर चार जुलाई को विचार के लिए मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश किया।(वार्ता)