
वाराणसी । ज्ञानवापी परिसर की कमीशन कार्यवाही को लेकर पूर्व में दिए गए आदेश को कायम रखते हुए सिविल जज (सीडि) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ईद त्योहार के दृष्टिगत तीन मई के बाद इसे निष्पादित करने को कहा है। मंगलवार को अदालत ने जिला प्रशासन की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र पर फैसला सुनाते हुए कहा कि कमीशन कार्यवाही के दौरान वकील कमिश्नर,पक्षकार और उनके अधिवक्ता के अलावा एक एक सहयोगी रह सकते हैं। वकील कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए अदालत ने दस मई की तिथि तय की है ।
ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी एवं अन्य देवी- देवताओं के विग्रहों के बारे में मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए अदालत द्वारा आठ अप्रैल को अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को वकील कमिश्नर नियुक्त किया गया था। वकील कमिश्नर की कार्रवाई को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन की ओर से 18 अप्रैल को अदालत में प्रार्थनापत्र दायर किया गया था। जिसमें कमीशन की कार्यवाही में कितने लोग रहेंगे तथा कमीशन को किस-किस स्थल तक अथवा किस चिन्हित स्थान तक किया जाएगा इस बाबत आदेश जारी करने का अदालत से अनुरोध किया गया था।
प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया था कि चूंकि यह मामला बहुत संवेदनशील है और कानून व्यवस्था से भी जुड़ा है इसलिए इस पर शीघ्र सुनवाई की जाए। श्रृंगार गौरी बैरिकेडिंग के बाहर स्थित हैं। बैरिकेडिंग के अंदर अथवा मस्जिद परिसर में कमीशन द्वारा भ्रमण अथवा रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कोई औचित्य नहीं है। मस्जिद में जाने वाले गेट का प्रयोग केवल मुसलमान एवं सुरक्षाकर्मी ही कर सकते हैं। अन्य को अनुमति नहीं है इसलिए बैरिकेडिंग के अंदर वकील कमिश्नर या अन्य के जाने को पूरी तरह से प्रतिबंधित रखने की मांग की गई थी।
बहस के दौरान वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने प्रशासन के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि वकील कमिश्नर द्वारा 19 अप्रैल की कमीशन कार्यवाही की सूचना प्रशासन को दिया गया लेकिन कार्यवाही को स्थगित करने के लिए एक दिन पहले 18 अप्रैल को अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया। कमीशन की कार्रवाई का उद्देश्य मौके पर कोई कब्जा करना नही अलबत्ता मां श्रृंगार गौरी के मंदिर से जुड़े साक्ष्य को अदालत के समक्ष लाना है।
अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात 26 अप्रैल तक के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया था।
आठ अप्रैल को क्या था अदालत का आदेश
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने श्रृंगार गौरी व अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने के लिए आठ अप्रैल 2022 को अजय कुमार एडवोकेट को वकील कमिश्नर नियुक्त किया था। अदालत ने वकील कमिश्नर को आदेश दिया था कि उभय पक्षों की उपस्थिति में मौके की आख्या तैयार कर 20 अप्रैल तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी कहा है कि वह पूरी कार्यवाही की विडियोग्राफी तैयार करवायेंगे। यदि वकील कमिश्नर को कमीशन की कार्यवाही संपादित करने में पुलिस बल की सहायता अपेक्षित है तो वह पुलिस बल की सहायता प्राप्त करेंगे और संबंधित पुलिस अधिकारी कार्यवाही में उनकी मदद करेंगे।
क्या है प्रकरण
बता दें कि नई दिल्ली निवासिनी राखी सिंह,लक्ष्मी देवी,सीता शाहू,मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीडि) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। वाद में कहा गया है कि भक्तों को मां श्रृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन एवं अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित भगवान गणेश,हनुमान,नंदी जी एवं अन्य देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए। इन्हें क्षति पहुंचाने से प्रतिवादियों को रोका जाए।
वाद में कहा गया है कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार काशी हिंदुओं के लिए एक पवित्र और धार्मिक क्षेत्र है। मूर्तिपूजकों के प्रति घृणा रखने वाले मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया। मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में आदिविश्वेर मंदिर के एक हिस्से पर ढांचा बना लिया गया जिसे मस्जिद कहते हैं। ज्ञानवापी परिसर में स्थित कथित मस्जिद की पश्चिम दीवार के पीछे प्राचीन काल से मौजूद देवी मां श्रृंगार गौरी की छवि है।