National

शाह ने संप्रग की तुलना दीवालिया कंपनी से की, कहा नाम बदलना मजबूरी

नयी दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि लाखों करोड़ रुपए के घोटाले के कारण बदनामी से बचने के लिए उसे अपने गठबंधन का नाम बदलना पड़ा है लेकिन जनता सच्चाई जानती है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास रखती है।लोकसभा में सरकार के विरुद्ध विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे श्री शाह ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का नाम बदल कर इंडिया रखे जाने को लेकर तीखा तंज कसा और कहा, “जब कोई कंपनी दीवालिया हो जाती है या उसकी साख खराब हो जाती है तो वह नाम बदल लेती है।

”गृह मंत्री ने संप्रग के घटक दलों के जीप घोटाले, हर्षद मेहता घोटाले और चारा घोटाले से लेकर 2जी घोटाले, कोयला घोटाले तक करीब 20 घोटालों की सूची गिनायी और पूछा कि आखिर उनको गठबंधन का नाम बदलने की क्या जरूरत पड़ी। संप्रग, एक अच्छा नाम था। उन्होंने कहा कि संप्रग के नाम पर इतने घोटाले हैं कि जिनकी गिनती 12 लाख करोड़ रुपए तक गिनने के बाद उन्होंने गिनना छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ये सोच रहे थे कि आखिर वे जनता के सामने कैसे जाएं तो उन्होंने नाम बदल दिया।श्री शाह ने कहा कि इनके पास नाम बदलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने देश को राजनीतिक स्थिरता दी है और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के शासनकाल से लेकर अब तक हमने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे सिर झुकाना पड़ा हो।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास समर्थन देकर धोखा देने का रहा है। उसने चौधरी चरणसिंह, चंद्रशेखर, एच डी देवैगोड़ा, इंद्रकुमार गुजराल की सरकारों को धोखा देकर गिराया है। उन्होंने कहा कि जहां तक हिंसा एवं दंगों की बात है तो सबसे ज्यादा दंगे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए। उन्होंने देश के कई राज्यों में दंगों की फेहरिस्त भी पढ़ कर सुनायी और कहा कि इनमें हजारों लोगों की जानें गयीं हैं।उन्होंने कहा कि भाजपा एवं राजग ने कभी भी हिंसा पर राजनीति करने का प्रयास नहीं किया और हमेशा शांति की अपील का साथ दिया और किसी मंत्री को संसद में बयान देने से नहीं रोका।विपक्ष ने दंगों की सूची पढ़े जाने पर आपत्ति जतायी और कहा कि जब आप शांति की अपील करना चाहते हैं तो इन बातों के उल्लेख करने की क्या तुक है, इस पर गृह मंत्री ने चुनौती देते हुए पूछा कि क्या आप यह कहना चाहते हैं कि यदि वह यह सूची बताएंगे तो आप शांति की अपील नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह विपक्ष की राजनीतिक बात का राजनीतिक जवाब है।

गृह मंत्री ने विपक्ष से कहा, “मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास आप करते हैं, जनता नहीं। अगले चुनाव की मतगणना में यह बात दिखायी देगी।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में हर बच्चे में देश भक्ति का संस्कार पैदा किया है। शताब्दी वर्ष के लिए देश के सुनहरे भविष्य के लक्ष्य तय किये हैं।इससे पहले श्री शाह ने मणिपुर को लेकर अपनी बात शुरू करते हुए इस बात पर अफसोस जताया कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर अनावश्यक संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जबकि गृह मंत्री बार बार अपनी बात कहने के लिए अनुरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष उनकी बात से संतुष्ट नहीं होता तो प्रधानमंत्री से बयान की मांग करता। लेकिन गृह मंत्री को बोलने ही नहीं दिया गया।गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के मामले को राजनीति से इतर इतिहास एवं सामाजिक दृष्टि से देखें तो वहां नस्लीय हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। लेकिन बीते छह साल में मणिपुर में भाजपा के शासन के दौरान छह मई 2023 तक एक भी दिन कर्फ्यू नहीं लगा, एक भी दिन बंद या ब्लाकेड नहीं हुआ। उग्रवादी हिंसा तकरीबन समाप्त हो गयी थी।

उन्होंने इस घटना की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि 2021 में म्यांमार में तख्ता पलट के बाद सैन्य शासन कायम हो गया। इस पर वहां कूकी डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लोकतंत्र बहाली का आंदाेलन छेड़ दिया। म्यांमार की सेना ने उनका दमन किया तो वे मणिपुर में घुस आये। चूंकि मणिपुर में भारत म्यांमार सीमा खुली है और दोनों देशों के बीच एक पुराने समझौते के तहत सीमावर्ती इलाकों में 40 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले स्थानीय लोगों को सीमा के आर-पार आने जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती है। इसलिए बड़ी संख्या में कूकी शरणार्थी भारत में आ गये और जंगलों में डेरा जमा लिया। इससे मणिपुर के समुदायों में असुरक्षा की भावना आ गयी।उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में भारत सरकार ने सीमा की तारबंदी करने का निर्णय लिया। करीब 22 किलोमीटर की तारबंदी हो चुकी है और 600 किलोमीटर का सर्वे चल रहा है। इसी बीच इस वर्ष जनवरी से सरकार ने शरणार्थियों के बायोमेट्रिक्स लेकर उन्हें परिचयपत्र जारी करना शुरू कर दिया है और उनके उंगलियों के निशान एवं आंख की पुतली की तस्वीर आधार के डेटा में निगेटिव लिस्ट में डाली जा रही है ताकि वे आधार कार्ड नहीं बनवा सकें।

श्री शाह ने कहा कि अप्रैल में अफवाह फैल गयी कि शरणार्थियों की 58 बसाहटों को राजस्व गांव का दर्जा दे दिया गया है। इससे अशांति फैल गयी। इसीबीच आग में घी डालने का काम उच्च न्यायालय के 29 अप्रैल के उस निर्णय ने किया जिसमें बिना कोई प्रक्रिया अपनाये मैतई समुदाय के लोगों को आदिवासी का दर्जा देने का आदेश दिया गया। इससे दोनों समुदायों के बीच टकराव शुरू हो गया।गृह मंत्री ने कहा कि यह परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा है। म्यांमार में सैन्य शासन की ढिलाई, नारकोटिक्स का कारोबार आदि भी कारण बने। तीन मई को वहां एक जुलूस निकला जिससे दोनों के बीच भिड़ंत हुई और हिंसा शुरू हो गयी। उन्हाेंने कहा कि हिंसा में अब तक 152 लोगों की मौत हुई है। इसमें 107 लोग मई में, जून में 30, जुलाई में 15 और अगस्त में चार मौतें हुईं हैं। इसका मतलब है कि हिंसा कम हो रही है। लेकिन इसमें राजनीति की जा रही है जिससे नुकसान हो रहा है।श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर गये और वहां उन्होंने चूड़ाचंदपुर जाने की इच्छा जतायी। शासन ने कहा कि वे हेलीकॉप्टर से चले जाएं लेकिन वह सड़क मार्ग से जाने के लिए जिद करने लगे। इस पर सुरक्षा बलों ने अनुमति नहीं दी। बाद में वह दूसरे दिन हैलीकॉप्टर से ही वहां गये। उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति से बचना चाहिए।

गृह मंत्री ने कहा कि युवतियों को निर्वस्त्र करके दुर्व्यवहार किये जाने वाले वीडियो चार मई के थे। उन्होंने कहा कि ऐसे शर्मनाक वीडियाे समाज पर एक धब्बा हैं। यह एक सवाल है कि संसद के इस सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले क्यों वायरल किया गया। यदि जिस किसी के पास ये वीडियो था, उसने समय पर वीडियो को पुलिस को दे दिया हाेता तो कार्रवाई हो जाती। बहरहाल सरकार ने फेस रिकगनीशन सॉफ्टवेयर से दोषियों की पहचान करके नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है।भाषण के अंत में श्री शाह ने फिर से कहा, “हम मणिपुर के दोनों समुदायों से अपील करते हैं कि वे जातीय हिंसा छोड़ें, सरकार से चर्चा करके रास्ता निकालें और फिर से खुशहाल मणिपुर बनाइये।”उन्होंने सदन से अपील की कि यदि इस सदन से एक स्वर में शांति की अपील मणिपुर के लोगों को जाये कि वे बातचीत करके समस्या का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करें तो यह उनके हित में होगा। इस पर कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा कि वह गुरुवार को प्रधानमंत्री की सदन में मौजूदगी के समय यह अपील पारित करने के हक में हैं। लेकिन सत्ता पक्ष ने इस बात को स्वीकार नहीं किया। इसबीच अध्यक्ष श्री बिरला ने सदन की ओर से यह अपील पढ़ी और सदन ने ध्वनिमत से उस पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। (वार्ता)

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button