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स्नान पर्व और अमृत स्नान के लिए फेवरिट स्पॉट बना संगम नोज

सनातन पंरपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने किया अमृत स्नान.नागा, बैरागी और उदासीन संन्यासी अमृत स्नान करने पहुंचे लाव लश्कर के साथ .अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर अपने रथों पर सवार हो कर पहुचें करने अमृत स्नान.

  • चारों दिशाओं से आ रहे श्रद्धालु स्नान के लिए संगम नोज को ही दे रहे प्राथमिकता
  • हर घंटे लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम नोज पर कर रहे अमृत स्नान

महाकुम्भ नगर । महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं की प्राथमिकता संगम नोज रहा, जहां पर अखाड़ों के संतों और गुरुओं ने भी स्नान किया। संगम नोज पर एक तरफ जहां अखाड़ों के संत आरक्षित स्थान पर स्नान कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालुओं भी संगम नोज पर स्नान कर पा रहे थे। ये संभव हुआ सिंचाई विभाग की यांत्रिक शाखा यांत्रिक बैराज यांत्रिक खंड अनुरक्षण वाराणसी के भगीरथ प्रयासों से, जिसने मात्र 85 दिनों में तीन शिफ्ट में काम करके शास्त्री ब्रिज से संगम नोज तक 26 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार किया। इसमें 2 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार सिर्फ संगम नोज पर किया गया। इसके चलते साधु संत और श्रद्धालुओं का संगम नोज पर एक साथ अमृत स्नान संभव हो सका।

सुगम स्नान की मिल रही सुविधा

13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्नान पर्व और 14 जनवरी को पहले अमृत स्नान पर 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया। सर्वाधिक लोगों ने संगम नोज पर ही स्नान को प्राथमिकता दी। देर रात से ही संगम नोज पर भीड़ जुटने लगी। अनुमान के मुताबिक यहां हर घंटे 9 लाख से ज्यादा लोगों ने स्नान किया। बैराज यंत्रिक खंड अनुरक्षण वाराणसी ने 85 दिनों तक अथक प्रयास करके संगम नोज पर 2 हेक्टेयर समेत कुल 26 हेक्टेयर क्षेत्र विस्तार किया है। इससे 1650 मी. क्षेत्र में बालू की बोरी लगाकर अस्थाई घाटों का निर्माण संभव हो सका, जिससे पूरे संगम क्षेत्र में एक साथ अधिक श्रद्धालु स्नान कर पाने में सक्षम हुए। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (सज्जा एवं सामग्री प्रबंध) उपेन्द्र सिंह ने बताया कि अधिशासी अभियंता बैराज यांत्रिक अनुरक्षण खंड वाराणसी सुजीत कुमार सिंह व टीम सूर्य भूषण, प्रदीप, अनुराग और अन्य द्वारा 4 बड़ी ड्रेजिंग मशीनों की सहायता से 85 दिनों में इस कार्य को संपन्न कराया गया।

यहां 9 लाख से ज्यादा लोग प्रति घंटे स्नान कर रहे हैं। शास्त्री ब्रिज से संगम नोज तक कुल 26 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार किया गया है। 85 दिनों तक तीन शिफ्ट में इस काम को अंजाम दिया गया। इस दौरान विशेष रूप से चार अमेरिकन ड्रेजर मशीनों का उपयोग किया गया।

 

ब्रह्ममुहूर्त में अखाड़ों के नागा संन्यासियों ने लगाई संगम में डुबकी

तीर्थराज, प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व, महाकुम्भ के अवसर पर मंगलवार को मकर संक्रांति का अमृत स्नान संपन्न हुआ।पौराणिक मान्यता के अनुसार महाकुम्भ में मकर संक्रांति के स्नान को अमृत स्नान माना जाता है। आज भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर परंपरा अनुसार साधु-संन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान से शोभा यात्रा निकालते हुए अमृत स्नान किया। सनातान परंपरा में आस्था रखने वाले श्रद्धालु अखाड़ों के अमृत स्नान को देखने और नागा, बैरागी साधु,संतों का आशीर्वाद पाने के लिये कतारबद्ध हो कर खड़े थे। हाथों में माले, भाले, तीर, तलवार, त्रिशूल लिए नागा साधुओं ने ब्रह्ममुहूर्त में ही संगम में अमृत स्नान किया।

ब्रह्ममुहूर्त में अखाड़ों के नागा संन्यासियों ने लगाई संगम में डुबकी

सहस्त्राब्दियों से चली आ रही महाकुम्भ में अमृत स्नान की अक्षुण सनातन परंपरा को जीवंत होता देख आम जनमानस भाव विह्वल हो उठा। हिमालाय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्म रक्षक नागा अपना रूप श्रृंगार कर मां गंगा की गोद में अठखेलियां करने उतर पड़े। परंपरा अनुसार अद्धरात्रि की बेला से ही अखाड़ों में अमृत स्नान की तैयारियां शुरू हो गई थी। अखाड़े परंपरा और अपने क्रम के अनुसार पूरे लाव-लश्कर के साथ संगम की ओर बढ़ते जा रहे थे। अमृत स्नान की शुरूआत महानिर्वाणी अखाड़े के स्नान के साथ हुई। इसके बाद पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार निरंजनी अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़े के साथ आवाह्न और पंच अग्नि अखाड़े के नागा साधुओं ने स्नान किया। इनके बाद क्रमशः श्री पंच निर्मोही, पंच दिगम्बर अनि और श्री पंच निर्वाणी अनि के बैरागी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। अमृत स्नान में अंतिम क्रम उदासीन अखाडा और निर्मल अखाड़े के साधु-संन्यासियों के स्नान का था।

सनातन पंरपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने किया अमृत स्नान

महाकुम्भ में पहले अमृत स्नान के दिन सभी अखाड़ों के साधु, संत सबसे आगे अपने-अपने अखाड़ों की धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। धर्म ध्वजा के पीछे अखाड़ों के नागा संन्यासी इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए, इष्ट देव के विग्रह लेकर बाजे-गाजे, ढोल, नगाड़े बजाते हुए त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ रहे थे। उनके पीछे पीछे अस्त्र, शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए नागा संन्यासी, आम जन को दुर्लभ दर्शन और आशीर्वाद दे रहे थे। उनके पीछे क्रम से अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आचार्य महामण्डलेश्वरों के रथ सज-धज कर चल रहे थे। अखाड़ों के आचार्यों और मण्डलेश्वर के साथ उनके अनुयायी अपने गुरुओं की जयकार करते हुए चल रहे थे। होल्डिंग एरिया से नागा संन्यासी, अपने आचार्यों का अनुसरण करते हुए पूरे जोश और उत्साह के साथ मां गंगा की गोद में अमृत स्नान की डुबकी लगाई। इसके साथ ही करोड़ों की सख्यां में सनातन धर्मावलंबियों ने भी आस्था का अमृत स्नान किया।

जो कहते हैं कि हम बटे पड़े हैं, वे आकर देखें- सारे घाट पटे पड़े हैंः स्वामी चिदानंद सरस्वती

प्रथम अमृत स्नान पर्व पर 3.50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किया त्रिवेणी में स्नान

मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, तड़के करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई अमृत डुबकी

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