रूस-भारत के रिश्ते नयी ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे: प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली में आयोजित वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रक्षा, ऊर्जा और व्यापार सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। दोनों देशों ने 2030 तक आर्थिक सहयोग के लिए व्यापक कार्यक्रम तय किया और कृषि, स्वास्थ्य, संस्कृति व तकनीक पर नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर शांति की अपील करते हुए कहा कि भारत तटस्थ नहीं, बल्कि शांति के साथ है। राष्ट्रपति पुतिन ने भारत आमंत्रण के लिए धन्यवाद देते हुए दो राष्ट्रों की ऐतिहासिक मित्रता को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
- प्रधानमंत्री मोदी बोले – भारत शांति के साथ है; 2030 तक आर्थिक साझेदारी मज़बूत करने का लक्ष्य
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को भारत और रूस के बीच मजबूत और बढ़ते सहयोग की पुष्टि करते हुए इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशाें के रिश्तों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की जरूरत है।श्री मोदी ने शुक्रवार को वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की शुरुआत में अपने संबोधन में यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर भारत के रुख पर जोर देते हुए कहा “भारत शांति के साथ है और दुनिया को शांति की ओर लौटना चाहिए।
“श्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का दो दिवसीय भारत के राजकीय दौरे के दौरान यहां उनका स्वागत करते हुए दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी और समय की कसौटी पर खरी उतरी मित्रता पर जोर दिया। उन्होंने श्री पुतिन को रूसी भाषा में अनुवादित भगवद् गीता की एक कॉपी भेंट की, और कहा, “गीता की शिक्षाएं दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।”श्री मोदी ने श्री पुतिन के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा, “यह दौरा बहुत ऐतिहासिक है,” “आपने एक अग्रणी नेता की दूरदर्शी सोच की काबिलियत को पूरा किया है।
“श्री मोदी ने शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया, और कहा, “हम सभी को शांति के रास्ते पर चलना होगा और भारत शांति बहाली की सभी कोशिशों का समर्थन करता है।”यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष पर श्री मोदी ने साफ़ तौर पर कहा: “भारत का रूख तटस्थ नहीं है और वह शांति के साथ है।” उन्होंने बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के ज़रिए इस विवाद को खत्म करने की अपील करते हुए कहा, “हम इस विवाद के शांतिपूर्ण हल का समर्थन करते हैं।”राष्ट्रपति पुतिन ने श्री मोदी की टिप्पणियों का जवाब देते हुए भारत यात्रा के निमंत्रण के लिए शुक्रिया अदा किया ।
उन्होंने कहा , “भारत यात्रा के लिये आमंत्रित जाने के लिए मैं श्री मोदी का शुक्रगुजार हूं।”श्री पुतिन ने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्वता दोहराते हुए कहा, “शांति के मुद्दे पर, दोनों देश एक साथ हैं।” उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि रूस विवाद के शांतिपूर्ण हल की दिशा में काम कर रहा है।इस शिखर सम्मेलन का मकसद खासकर रक्षा , ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के रिश्तों को और मज़बूत करना है।उम्मीद है कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेता रक्षा सहयोग और आर्थिक भागीदारी बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर बात करेंगे।यह बैठक भारत-रूस की लंबे समय से चली आ रही दोस्ती का एक और अध्याय है जो एक मुश्किल वैश्विक माहौल के बीच साझा हितों और आपसी सम्मान को दर्शाता है।
आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद : पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान उन्हें भारत आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया।प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान श्री पुतिन ने कहा, “प्रिय प्रधानमंत्री, प्रिय दोस्तों, सबसे पहले, निमंत्रण और कल की बहुत अच्छी शाम के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।”यूक्रेन मुद्दे पर शांति के प्रति रूस की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए श्री पुतिन ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत में चल रहे इस कामकाजी दिन से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
उन्होंने रूस और भारत के बीच गहरे संबंधों का उल्लेख किया और यूक्रेनी मुद्दे को हल करने में मदद करने के लिए श्री मोदी के प्रयासों की सराहना की।रूसी राष्ट्रपति ने संभावित शांतिपूर्ण समाधान के संबंध में रूस और अमेरिका की कार्रवाइयों के बारे में भी प्रधानमंत्री मोदी को सूचित करते हुए इस मसले में कूटनीति और बातचीत का उल्लेख किया।
गौरतलब है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद श्री पुतिन की यह पहली भारत यात्रा है। यह ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश तेजी से जटिल होते भू-राजनीतिक परिदृश्य से गुजर रहे हैं। रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव में है, और भारत रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को संतुलित करते हुए अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है।रूसी हथियारों और ऊर्जा आयात का सबसे बड़ा खरीदार होने के नाते, रूस के लिए भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार बना हुआ है। रूस, भारत के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी का एक भरोसेमंद स्रोत रहा है ।
भारत-रूस के बीच आर्थिक सहयोग का पंचवर्षीय करार, संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प
भारत और रूस ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के सभी पहलुओं पर चर्चा करते हुए आर्थिक संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प लिया है और 2030 तक के लिए आर्थिक सहयोग का विस्तृत कार्यक्रम तय किया है।दोनों देशों ने श्रम, स्वास्थ्य सेवा एवं स्वास्थ्य शिक्षा, संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के साथ नये ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं। रूस ने भारत को उर्जा क्षेत्र में सहयोग करने और तेल आपूर्ति में निरंतरता बनाये रखने की प्रतिबद्धता दोहरायी है।
पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किये
भारत यात्रा पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।श्री पुतिन ने बापू की समाधि पर सिर झुकाया और परिक्रमा की। उन्होंने एक पुष्प चक्र चढ़ाया और बापू के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
पुतिन का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया
भारत की यात्रा पर आये रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और श्री पुतिन ने एक-दूसरे को अपने-अपने देश के गणमान्य व्यक्तियों से परिचय कराया। श्री पुतिन ने सलामी गारद का भी निरीक्षण किया।श्री पुतिन गुरूवार शाम यहां पहुंचे थे और खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हवाई अड्डे पहुंच कर उनका स्वागत किया था।
भारत-रूस कृषि सहयोग को बढ़ाने पर सहमत; आलू, अनार के निर्यात का मसला सुलझा
भारत और रूस ने कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने, खाद्यान्न और बागवानी उत्पादों के निर्यात की नयी संभावनाओं का पता लगाने पर सहमति जताई है।केंद्रीय कृषि मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने रूस की कृषि मंत्री ओक्साना लुट के साथ गुरूवार को हुयी द्विपक्षीय बैठक में आपसी सहयोग पर चर्चा की और भविष्य में साझेदारी के क्षेत्रों का उल्लेख किया।बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत-रूस संबंध विश्वास, दोस्ती और आपसी सहयोग पर आधारित हैं। दोनों देश कृषि व्यापार, उर्वरक, बीज, बाज़ार पहुंच और संयुक्त शोध में सहयोग को गहरा करने पर सहमत हुए। उन्होंने दोनों देशों के किसानों को लाभ पहुंचाने और नवाचार को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
बैठक में श्री चौहान ने बढ़ते द्विपक्षीय कृषि व्यापार को रेखांकित किया। यह कारोबार वर्तमान में लगभग 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो चुका है। उन्होंने अधिक संतुलित व्यापार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और भारतीय आलू, अनार और बीजों के निर्यात से संबंधित लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने के लिए रूस को धन्यवाद दिया। सुश्री लुट ने कृषि क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने और सहयोग को मजबूत करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई।बैठक के दौरान, कृषि क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और रूस के फेडरल सेंटर फॉर एनिमल हेल्थ के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
श्री चौहान ने सुश्री लुट को अगले वर्ष भारत में होने वाली ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया।इस बातचीत में शामिल हुए रूसी प्रतिनिधिमंडल में उप मंत्री मैक्सिम मार्कोविच; उप मंत्री मरीना अफोनिना; एफएसवीपीएस के प्रमुख सर्गेई डंकवर्ट और एशिया डिवीजन की निदेशक डारिया कोरोलेवा तथा प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य शामिल थे। भारत का प्रतिनिधित्व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी; उर्वरक विभाग के सचिव रजत कुमार मिश्रा, विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। (वार्ता)
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