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हरित इमारतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी, देना होगा जन आंदोलन का रूप : वेंकैया नायडू

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को वित्त आयोगों और स्थानीय निकायों से कर रियायत समेत विभिन्न उपायों के जरिए हरित इमारतों के निर्माण को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि हरित इमारतों को एक जगह सभी मंजूरी प्रदान करने के लिए सभी राज्यों को ऑनलाइन पोर्टल भी बनाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने 12 वें गृह ( ग्रीन रेटिंग फॉर इंटिग्रेटेड हैबिटेड एसेसमेंट समिट) की डिजिटल तरीके से शुरुआत करते हुए कहा कि भारत के पास हरित इमारत मुहिम में विश्व में अग्रणी भूमिका निभाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों को हरित इमारत निर्माण के विचार को प्रोत्साहन देना चाहिए।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक उपराष्ट्रपति ने कहा, “देश में हरित इमारतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है… इसे एक जन आंदोलन का रूप देना होगा। उन्होंने कहा, “ लोगों में धारणा है कि `ग्रीन होम` बनाने में बहुत ज्यादा खर्चा आता है। ऐसा नहीं है…दीर्घावधि में हरित भवन बहुत किफायती पड़ते हैं… उनमें बिजली, पानी, एसी का खर्चा काफी कम होता है।“

`वर्ल्ड ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल` के आंकड़ों को जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि दुनिया में कार्बन डाय ऑक्साइड उत्सर्जन में 39 प्रतिशत हिस्सेदारी इमारत और निर्माण क्षेत्र की होती है। उन्होंने कार्बन का उत्सर्जन घटाने के लिए कदम उठाने की हिमायत की।
उन्होंने कहा कि `आत्मनिर्भर भारत अभियान` भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए है । ऐसे में टिकाऊ विकास की जरूरत है और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य में बनने वाली इमारतों के लिए हरित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल को जरूरी बनाना चाहिए और यह सभी तरह के भवनों पर लागू होना चाहिए। केवल नए भवनों के लिए ही नहीं बल्कि पुराने भवनों को भी पर्यावरण अनुकूल बनाना चाहिए।

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