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पूजा पंडाल अग्निकांड : अधूरी तैयारियां कई परिवारों को दे गई जिंदगी भर का दर्द

भदोही । जनपद के पूजा पंडाल में हुए अग्निकांड की घटना अपने पीछे बड़े सवाल खड़े कर गई है। इसमें आयोजक की अधूरी तैयारियों से लेकर जिम्मेदारी सरकारी विभागों की चूक को नकारा नहीं जा सकता है। बहराल भदोही अग्निकांड के कारण कुछ भी रहे हों लेकिन हादसे में मृत परिवारों व झुलसे पीड़ितों के परिवारों को जिंदगी भर के लिए गम देकर चला गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री का सख्ती से आयोजनों पर अनुमति व व्यवस्था रखने वाला आदेश लाजमी है।

औराई के नरथुवा स्थित पूजा पंडाल में रविवार की रात आग ने तबाही मचा दी। पंडाल में घटना के वक्त मंचन के दौरान तकरीबन डेढ़ से 200 लोग जमा थे, तभी यह आग भड़की और देखते ही देखते पूरे पंडाल को अपने आगोश में ले लिया। जान बचाने के लिए लोगों में भगदड़ मच गई। लोग जान की बाजी लगाकर पूजा पंडाल में लगी आग बुझाते भी दिखे, लेकिन तब तक 70 से अधिक लोग झुलस गए। इस हादसे में तीन मासूम अंकुश सोनी पुत्र दीपक (12), जेठूपुर, जया देवी पत्नी रामापति (45) पुरुषोत्तमपुर और नवीन उर्फ उज्जवल (10) पुत्र उमेश, निवासी बारी, आरती चौबे (48) हर्षवर्धन (8) औराई की आग की चपेट में आने मौत हो गयी और दर्जनों लोगों का झुलसी हालत में अस्पताल में इलाज चल रहा है।

भदोही का यह हादसा हो या प्रदेश व देश में कहीं और, जहां ऐसी घटनाएं सामने आई हैं वह तबाही के बाद आयोजन स्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर पर सवाल खड़े कर जाती हैं। ऐसे ही सवालों के घेरे में भदोही के दुर्गा पंडाल में लगी अग्निकांड खड़े कर रहा है। इनमें बड़ा सवाल उठता है कि आयोजन समिति ने क्या पूजा स्थापना के पहले प्रशासनिक अनुमति ली थी। बिजली विभाग से क्या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिया गया था। अगर पुलिस प्रशासन से पंडाल स्थापन की मंजूरी ली गई थी तो क्या पूजा पंडाल में विद्युत कनेक्शन की अनुमति थीं। पंडाल में आग विद्युत शार्टसर्किट से लगी या फिर जनरेटर की लाइन से। बिजली विभाग के जिम्मेदार लोग क्या पूजा पंडाल में पहुंचकर इसकी निगरानी किया था कि वहां लिया गया कनेक्शन वैध है?

पंडाल अनुमति में बिजली व अग्निशमन विभाग की लापरवाही

दुर्गा पूजा पंडालों, रामलीला या मुशायरा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में आम तौर पर देखा गया है कि पुलिस अपनी सर्वे रिपोर्ट के दौरान यह सुनिश्चित करती हैं कि यहां पूजा पंडाल पहले से स्थापित हो रहा है। आयोजकों की स्वीकृति के बाद पूजा पंडालों की स्थापना की अनुमति दी जाती है। कानून व्यवस्था और सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस भी वहां मौजूद रहती हैं लेकिन अग्निशमन और बिजली विभाग क्या अपना कार्य नहीं करता है। पूजा पंडालों की स्थापना के दौरान आग लगने की दुर्घटना से बचने के लिए कोई या सुझाव देता है। संबंधित पूजा पंडाल या अन्य में क्या सीजफायर लगाए गए हैं। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सीजफायर की व्यवस्था क्यों नहीं की गई। क्या पूजा पंडालों के पास पानी बालू या आग बुझाने के अन्य संयंत्र रखे गए हैं। अग्निशमन विभाग ऐसे पूजा पंडालों में जाहिर तौर पर ऐसे निर्देश नहीं जारी करता है कागज पर भले करता हो, लेकिन जमींन पर कुछ नहीं दिखता है, जिसे यह बताया जा सके कि आग लगने के दौरान सुरक्षा के लिए क्या करें।

बिजली विभाग झाड़ रहा पल्ला

इस अग्निकांड के बाद बिजली विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता दिखता है। पंडाल में लगे बिजली यंत्र कितने लोड ले रहे हैं। कनेक्शन वैध या नहीं इसका ख्याल नहीं करता है। ऐसे पूजा पंडालों की जांच कर बिजली विभाग नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी नहीं देता है। धार्मिक आयोजन के नाम पर सुरक्षा से खिलवाड़ के लिए खुली छूट दे दी जाती है। जब खामियां हादसों का कारण बनती हैं तो ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जिला प्रशासन लाचार दिखता है। इसका दूसरा कारण भी है कि विभागों के पास इतने संसाधन और कर्मचारी नहीं है कि हर पूजा पंडाल में उन लोगों की नियुक्त की जाए। प्रशासन से अधिक यह जिम्मेदारी पूजा पंडाल आयोजकों की है।

मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के पूछे आंसू, दोषियों पर हो कार्रवाई

अग्निकांड हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भले ही पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जतायी है, लेकिन यह वक्त पीड़ित परिवारों के आंसू पोछने का है। इस दु:ख की घड़ी में उनके साथ खड़े होने का है। फिलहाल होनी को हम नहीं टाल सकते। हादसे में इतना मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जिला प्रशासन ने बेहद सतर्कता और मुस्तैदी से काम किया है। जिलाधिकारी गौरांग राठी और पुलिस अधीक्षक डॉ अनिल कुमार ने पीड़ित लोगों की जान बचाने के लिए भरसक प्रयास किया है। ऐसे में घटना के दोषियों को चिंहित कर उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।(हि.स.)

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