
PM मोदी ने ‘शिक्षक पर्व’ के उद्घाटन सम्मेलन को किया संबोधित, कहा- ‘भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को “गुणवत्ता और सतत विद्यालय: भारत में विद्यालयों से ज्ञान प्राप्ति” विषय पर आयोजित ‘शिक्षक पर्व’ के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। बता दें, यह शिक्षक पर्व 17 सितम्बर तक चलेगा। पीएम मोदी ने इस अवसर पर भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश, टॉकिंग बुक्स, सीबीएसई का स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और मूल्यांकन ढांचा, निपुन भारत के लिए ‘निष्ठा’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और विद्यांजलि पोर्टल का भी शुभारंभ किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश और टॉकिंग बुक्स सहित शिक्षा क्षेत्र में पांच महत्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ करते हुए कहा कि ये उपाय शिक्षा प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएंगे और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करेंगे।
गौरतलब हो इससे एक दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा था कि वे ‘7 सितम्बर को सुबह 10:30 बजे ‘शिक्षक पर्व’ सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस वर्ष का विषय “गुणवत्ता और सतत विद्यालय : भारत में विद्यालयों से ज्ञान प्राप्ति” है। शिक्षा क्षेत्र को बदलने के उद्देश्य से प्रमुख पहल भी शुरू की जाएंगी।” साथ ही उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था कि “आप सभी को इस बात की खुशी होगी कि कल भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश और टॉकिंग बुक्स का विमोचन किया जाएगा। इन पहलों से दिव्यांग व्यक्तियों को लाभ होगा।”
इसी संबंध में आज मंगलवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘शिक्षक पर्व’ के पहले सम्मेलन को संबोधित किया। साथ ही शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ किया।
पीएम मोदी ने इन पहलों का किया शुभारंभ :
– निपुण भारत के लिए ‘निष्ठा’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
– सीबीएसई की स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और आकलन रूपरेखा का शुभारंभ
– विद्यांजलि पोर्टल का शुभारंभ
– भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश का शुभारंभ
टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक और पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने युवाओं को प्रेरित किया है। मैंने उनसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान प्रत्येक खिलाड़ी से कम से कम 75 स्कूलों का दौरा करने का आग्रह किया है।
शिक्षकों का योगदान अतुलनीय एवं सराहनीय
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, “मैं सबसे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले हमारे शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है। आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। ये इनिशिएटिव इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है।
ऑनलाइन शिक्षा को और सहज बनाने की अपील
उन्होंने शिक्षकों से ऑनलाइन शिक्षा को और सहज बनाने की अपील करने के साथ ही शिक्षकों को अपनी क्षमताएं भी बढ़ाने का आह्वान किया। देश में फिर से स्कूल खुलने को लेकर छात्रों के चेहरे पर आई मुस्कान का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मास्क और दो गज की दूरी के नियमों का पालन करते रहना है।
NEP में योगदान के लिए सभी शिक्षक प्रशंसा के पात्र
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को केवल पॉलिसी आधारित विषय नहीं मानते हुए इस लागू करने में जनभागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, NEP के formulation से लेकर implementation तक, हर स्तर पर academicians का, experts का, teachers का, सबका योगदान रहा है। आप सभी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है, हमें इसमें समाज को भी जोड़ना है: PM
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर दिया जोर
स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए ‘सबका प्रयास’ को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ का जो संकल्प लिया है, ‘विद्यांजलि 2.0’ उसके लिए एक platform की तरह है। इसमें हमारे समाज को, हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है। इसमें हमारे समाज को, हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है।
प्रधानमंत्री के आह्वान पर गैस सब्सिडी छोड़ने सहित तमाम पहलों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।
शिक्षा में असमानता खत्म कर उसे आधुनिक बनाने को कहा
पीएम मोदी ने कहा, शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानि, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize किया है, वैसे ही N-DEAR सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा।
‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स देश के शिक्षकों में लाएगा बड़ा बदलाव
आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए education न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए। इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है। तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। ‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है।
भारतीय शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता
भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते, उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए, हमारे यहां शिक्षक और बच्चों के बीच professional रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है। और ये रिश्ता, ये संबंध पूरे जीवन का होता है।