अर्थव्यवस्था में प्राइवेट और सरकारी दोनों का योगदान, रेलवे में निवेश बढ़ाने पर जोर : पीयूष गोयल
रेलवे के निजीकरण की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होगा और यह भारत सरकार की ही रहेगी। दरअसल रेल मंत्री ने लोकसभा में वर्ष 2020-21 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन विनियोग मांगों पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने 2014 से 2019 के बीच निवेश और ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में निवेश के बारे में जानकारी दी।
सड़कों पर दोनों तरह की चलती हैं गाड़ियां
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हम पर रेलवे का निजीकरण करने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन लोग कभी यह नहीं कहते हैं कि सड़कों पर केवल सरकारी वाहनों को चलाना चाहिए, इसी तरह यह इसलिए है क्योंकि प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की गाड़ियां अर्थव्यवस्था में मदद करती हैं। रेलवे में निजी निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि इससे सवाओं में बढ़ावा मिलेगा।
रेलमंत्री ने बताया कि मौजूदा मोदी सरकार ने रेलवे को भविष्य के लिए तैयार करने को लेकर नेशनल रेलवे प्लान 2030 तैयार किया है। इस प्लान के तहत जो प्रोजेक्ट तेजी से चलने चाहिए, जिनकी अति आवश्यकता है, उन्हें सुपर क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है और कुछ को क्रिटिकल प्रोजेक्ट की श्रेणी में रखा गया है।
रेलवे में बढ़ा निवेश
उन्होंने पूर्व की सरकार का नाम लिए बिना कहा कि वर्ष 2004 से वर्ष 2009 के बीच लगभग सवा लाख करोड़ निवेश हुआ, जो वर्ष 2009 से वर्ष 2014 के बीच बढ़ाकर 2 लाख 30 हजार करोड़ किया गया, जबकि मौजूदा सरकार ने रेलवे पर विशेष ध्यान देते हुए 2014 से 2019 के बीच लगभग पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश किया।
ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का काम तेजी से बढ़ा
रेल मंत्री ने कहा कि ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का काम आज से 15 साल पहले शुरू हुआ था। वर्ष 2014 तक मात्र 10 हजार करोड़ निवेश हुआ, जबकि मोदी सरकार में वर्ष 2014 से 19 तक 40 हजार करोड़ निवेश किया।
उन्होंने कहा कि जब भारत आजादी के 75वां वर्ष मनाएगा तो दोनों डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर शुरू हो जाएंगे। हालांकि, उन्होंने फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण में 17 वर्ष लगने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके बदले यदि सरकार जमीन अधिग्रहण कर बोली लगाए तो निजी क्षेत्र अपने निवेश लाकर इस कार्य को पूरा करेगा और सेवाएं देगा। उन्होंने कहा कि यदि हमें एक वैश्विक ताकत बनना है तो लॉजिस्टिक क्षेत्र में लागत कम करनी होगी।
लटके प्रोजेक्ट को किया पूरा
उन्होंने कहा कि पहले बजट में योजनाओं की घोषणा होती थी। लोगों की अपेक्षाएं थी कि घोषणा हो गई तो योजना जमीन पर उतरेगी, लेकिन वास्तविकता थी कि न कोई अप्रूवल था, न जमीन थी और न पैसा था। स्थिति यह थी कि घोषणाएं होती रहती थी और लोगों को गुमराह किया जाता था।
रेल मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार में उन प्रोजेक्ट्स को जो 70 से 80 प्रतिशत पूरे हो गए थे, लेकिन पैसे के अभाव में अधर में लटके हुए थे, उन्हें प्राथमिकता दी गई। जरूरतों का ध्यान रखते हुए पोर्ट से और कोयला खदानों से कनेक्टिविटी को वरीयता देते हुए कार्य किया गया।
सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर करना होगा कार्य
गोयल ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर जोर देते हुए कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे, तभी देश का उज्ज्वल भविष्य बनाने में हम सफल होंगे। इसी दृष्टिकोण को लेकर हमने नेशनल रेल प्लान बनाया है। कोशिश यह है कि फ्रेट लोडिंग को 2024 से 25 तक 70 से 80 प्रतिशत बढा दें, जिससे रेलवे के जरिए सामान को दूर-दूर तक पहुंचाने की सुविधा हो।
रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं में सुधार
आगे उन्होंने रेलगाड़ियों और रेलवे स्टेशनों पर किए गए विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं में सुधार किया। एलईडी लाइट्स लगाई गई। एस्केलेटर और लिफ्ट लगाए, टॉयलेट्स बनाए गए। उन्होंने कहा कि हमें आधुनिक स्टेशन बनाने हैं तो उस पर निवेश करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि रेलवे में निजी निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए।
रेलमंत्री ने कहा कि पिछले एक वर्ष की महामारी के दौरान हमने आपदा को अवसर में बदला। मालगाड़ियों में सुधार लाए, निवेश के द्वारा देश को आगे लेकर जा रहे हैं और तकनीक के द्वारा अच्छा भविष्य तैयार कर रहे हैं। पारदर्शिता बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2020 की कहानी रेलवे के साहस, सेवा, समर्पण और सशक्तिकरण की कहानी है।