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भारत चीन के बीच एलएसी मुद्दे के समाधान का मार्ग प्रशस्त

नयी दिल्ली : भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर एक अहम सहमति कायम होने के साथ ही पूर्वी लद्दाख सीमाक्षेत्र में साढ़े चार साल से चले आ रहे चले आ रहे गंभीरतम सैन्य गतिरोध के समाधान का मार्ग प्रशस्त हो गया है।रूस के कज़ान में 16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पहले साेमवार विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा की गयी इस घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना जग गयी है।विदेश सचिव के अनुसार अब दोनों पक्ष इस सहमति के अनुरूप एलएसी पर अपनी अपनी सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाने और वर्ष 2020 में गलवान घाटी में सैन्य टकराव के बाद उत्पन्न तनाव के मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठाएंगे।

विदेश सचिव ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की रूस यात्रा के बारे में जानकारी देने के लिए सोमवार को बुलाये गये एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “पिछले कई सप्ताह से भारत एवं चीन के राजनयिक एवं सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों (समन्व्य और परामर्श पर कार्य प्रणाली ( डब्ल्यूएमसीसी) और सैन्य कमांडरों की बैठक) पर एक दूसरे के साथ निकट संपर्क में रह कर बातचीत कर रहे हैं। इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप एलएसी पर गश्त की व्यवस्था के बारे में एक सहमति बनी है। इससे 2020 में उत्पन्न मुद्दों का समाधान होगा और सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाया जाएगा। हम इस दिशा में अगले कदम उठाने जा रहे हैं।”श्री मोदी रूस के कज़ान में होने वाले 16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कल तड़के रवाना होंगे जहां उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना है। इस बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि अभी इस बारे में तैयारियां चल रही हैं। जैसे ही कुछ निर्णय होगा तो मीडिया से साझा किया जाएगा।

प्रधानमंत्री की यात्रा के बारे में श्री मिस्री ने कहा, “रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्री मोदी कल कज़ान के लिए प्रस्थान करेंगे। ब्रिक्स के इस संस्करण का विषय वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है। भारत ब्रिक्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसके योगदान ने आर्थिक विकास, सतत विकास और वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में ब्रिक्स प्रयासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल जोहांसबर्ग में ब्रिक्स के पहले विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन होगा।”श्री मिस्री ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में संस्थापक सदस्यों के साथ-साथ नए सदस्य भी भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन 22 अक्टूबर को शुरू होगा और पहले दिन की शाम को केवल शीर्ष नेताओं के लिए रात्रिभोज होगा। शिखर सम्मेलन का मुख्य दिन 23 अक्टूबर है और वहां दो मुख्य सत्र हैं, सुबह एक प्रतिबंधित पूर्ण सत्र और उसके बाद दोपहर में शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय के लिए समर्पित एक खुला पूर्ण सत्र। शीर्ष नेताओं द्वारा कज़ान घोषणापत्र जारी किये जाने की भी उम्मीद है जो ब्रिक्स के लिए आगे का रास्ता तैयार करेगा।

उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन 24 अक्टूबर को समाप्त होगा लेकिन प्रधानमंत्री स्वदेश की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं के कारण 23 अक्टूबर को ही नयी दिल्ली लौट आएंगे। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन के मौके पर, प्रधान मंत्री की कुछ द्विपक्षीय बैठकें होने की उम्मीद है।रूसी सेना में भारतीय नागरिकों के फंसे होने संबंधी एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव ने कहा, “हमारे दूतावास के अधिकारी उन भारतीयों के मुद्दे पर रूस के विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के वार्ताकारों के साथ निकट संपर्क में हैं, जिन्हें अवैध रूप से या अन्यथा रूसी सेना में लड़ने के लिए अनुबंधित किया गया था। इस मामले पर राष्ट्रपति पुतिन के साथ श्री मोदी सहित उच्चतम स्तर पर विचार किया गया। अब तक लगभग 85 लोग रूस से लौटे हैं और दुर्भाग्य से, हमने संघर्ष के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लोगों के पार्थिव शरीर वापस कर दिए हैं, लगभग 30 लोग बचे हैं और हम वहां सशस्त्र बलों में बचे सभी लोगों की रिहाई के लिए वार्ताकारों पर दबाव डाल रहे हैं। उम्मीद है कि बाकी लोग भी शीघ्र वापस आ जाएंगे। (वार्ता)

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