पाकिस्तान ने पिछले 3 साल में 10 हजार से ज्यादा बार किया युद्धविराम का उल्लंघन
नई दिल्ली । बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमलों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है जबकि इसी अवधि में सीमा पार से युद्धविराम उल्लंघन की वारदात में तेजी आई है। जाहिर है कि भारत में आतंकवाद फैलाने की नाकाम कोशिशों के बीच पाकिस्तान सीमा पार से बार-बार युद्धविराम का उल्लंघन बार-बार हो रहा है। जी हां, पाकिस्तान पिछले तीन साल में अब तक 10 हजार से भी ज्यादा बार युद्धविराम का उल्लंघन कर चुका है। गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में लिखित तौर पर इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा किए गए अनेक एहतियाती उपायों के चलते पिछले तीन साल में आतंकवादी हमलों में काफी कमी आई है।
बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले हुए कम , राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने जानकारी दी कि
– साल 2018 में कुल 614 आतंकवादी हमले हुए जिसमें कुल 91 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 238 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। वहीं इस दौरान 39 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई जबकि 63 नागरिक घायल हुए।
– साल 2019 में जम्मू कश्मीर में कुल 594 आतंकी हमले हुए जिसमें 80 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 140 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। इन हमलों के दौरान 39 नागरिक मारे गए व 188 नागरिक घायल हुए।
– जबकि बीते साल 2020 में जम्मू कश्मीर में 244 आतंकवादी हमले हुए जिसमें 62 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए जबकि 106 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। इस बीच 37 नागरिक मारे गए और 112 नागरिक घायल हुए। बता दें बीते तीन साल की अवधि में सेना जम्मू कश्मीर से 635 आतंकवादियों का सफाया किया।
राज्य मंत्री के लिखित जवाब से साफ स्पष्ट होता है कि बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में गिरावट हुई है। लेकिन यहां सीमा पर युद्धविराम उल्लंघन की बात करें तो इन वारदातों में बढ़ोतरी हुई है।
बीते तीन साल में बढ़े युद्धविराम उल्लंघन के मामले
– साल 2018 में कुल 2140 युद्धविराम उल्लंघन की घटनाएं दर्ज हुई थी जिसमें 29 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे जबकि 116 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। वहीं इस दौरान 30 नागरिक मारे गए और 143 नागरिक घायल हुए थे।
– साल 2019 में युद्धविराम उल्लंघन का यह आंकड़ा बढ़कर 3479 पर पहुंच गया जिसमें कुल 19 जवान शहीद हुए जबकि 122 सुरक्षकर्मी घायल हुए थे। वहीं 18 नागरिक मारे गए और 127 घायल हुए थे।
– साल 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 5133 पर पहुंच गया जिसमें 24 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 126 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। वहीं 22 नागरिक मारे गए और 71 नागरिक घायल हुए।
बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर में युद्धविराम उल्लंघन की 10 हजार से अधिक घटनाएं
ग़ौरतलब हो बीते तीन साल की युद्धविराम की घटनाओं को यदि जोड़ दिया जाए तो आंकड़े बेहद चौंकाने वाले होंगे। जी हां, बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर में युद्धविराम उल्लंघन की कुल 10,752 घटनाएं हुई जिसमें 72 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए जबकि 364 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। वहीं इन घटनाओं के दौरान 70 नागरिक मारे गए और 341 नागरिक घायल हुए हैं।
एलओसी पर युद्धविराम के उल्लंघन के मामलों में सुरक्षा बल देते हैं करारा जवाब
राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि जम्मू कश्मीर पिछले तीन दशकों से सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवाद से प्रभावित है। उसमें भी पाकिस्तान द्वारा युद्धविराम का उल्लंघन किए जाने की सूचना केवल जम्मू और कश्मीर में एलओसी से ही प्राप्त होती है लेकिन सरकार ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। युद्धविराम के उल्लंघन के मामलों में सुरक्षा बलों द्वारा तत्काल और प्रभावकारी जवाबी कार्रवाई की जाती है।
साल 2017 में सीमा पार से गोलीबारी के मुद्दे पर हुई थी भारत और पाकिस्तान की चर्चा
ग़ौरतलब हो सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की पिछली महानिदेशक स्तरीय बैठक साल 2017 में 8 से 10 नवंबर को नई दिल्ली में हुई थी जिसमें सीमा पार से गोलीबारी के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। बैठक में दोनों ही पक्षों द्वारा यह सुनिश्चित किया गया था कि इस प्रकार की कोई गोलीबारी नहीं होगी। किसी भी गोलीबारी के मामले में दूसरा पक्ष अधिक संयम बरतेगा और गोलीबारी में वृद्धि को रोकने के लिए संचार के सभी उपलब्ध साधनों के माध्यम से तत्काल सम्पर्क स्थापित किया जाएगा।
आतंकवाद के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार उठाती रही है सरकार
राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि विभिन्न स्तर के कमांडरों के बीच, आवश्यकता के आधार पर फ्लैग बैठकें भी आयोजित की जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार सीमा पार से आतंकवाद के मुद्दे को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार उठाती रही है और इसमें आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर अधिक बल दिया है। आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ जरूरी कदमों में काइनेटिक ऑपरेशन और रोकथाम संबंधी ऑपरेशन शामिल हैं। काइनेटिक ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों और उनके समर्थकों की सक्रिय रूप से पहचान कर, घेराबंदी, तलाशी व गिरफ्तारी की जाती है और यदि इस दौरान उनके द्वारा हिंसा की जाती है तो उन्हें उचित जवाब दिया जाता है।
घुसपैठ के सभी संभावित मार्गों पर रात की गश्त बढ़ाई गई
वहीं रोकथाम संबंधी ऑपरेशन में आतंकवाद के रणनीतिक समर्थकों की सक्रिय रूप से पहचान करना और उनके छद्म आवरण को हटाने तथा वित्तपोषण, भर्ती आदि जैसे आतंकवाद में सहायता पहुंचाने और इसके लिए उकसाने वाले उनके तंत्रों को उजागर करने आदि के लिए जांच शुरू की जाती है। इसके अलावा राज्य मंत्री ने यह जानकरी भी दी कि घुसपैठ के सभी संभावित मार्गों पर रात की गश्त बढ़ा दी गई है और नाके लगा दिए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों से आने वाले वाहनों की पूरी तरह से जांच की जा रही है।
आतंकी हमलों की जांच में उजागर पाकिस्तान से संबंधित जानकारी भी की जाती है एकत्रित
समन्वय बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं और इस क्षेत्र में तैनात सभी बलों द्वारा अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है। जम्मू और कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों के बीच वास्तविक समय के आधार पर सूचना संबंधी जानकारियों साझा की जाती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न आतंकवादी गुटों के साथ पाकिस्तान के संबंध को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उजागर करने के लिए, भारत सरकार आतंकवादी हमलों की जांच के दौरान एकत्रित किए गए विभिन्न साक्ष्यों का भी प्रयोग कर रही है ताकि उसे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बातचीत में शामिल किया जा सके। PBNS