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अब महंगी दवा नहीं बनेगी मौत की वजह, मध्य प्रदेश ने निकाली तरकीब

जितनी दुर्लभ बीमारी, उतना महंगा इलाज… जी हां, यह कथन आज के समय में बिलकुल सही साबित होते हैं। दरअसल, बाजार में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दवाई से लेकर उसके ट्रीटमेंट तक का जो खर्च आता है, उसमें न जाने कितने लोगों का दिवाला तक निकल जाता है। यह खर्च अच्छे भले घर की आर्थिक स्थिति बिगाड़ सकता है। यदि किसी को कैंसर या लंग्स-किडनी-लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत आ जाए तो समझ लीजिए कि बिना किसी आर्थिक सहयोग के एक मध्यम वर्गीय परिवार को इलाज कराना आसान नहीं होता है। महंगी दवाएं जैसे परिवार का पूरा सिस्टम ही बिगाड़ कर रख देती हैं। यहां तक कि कई बार महंगी दवाओं की पूर्ति के अभाव में इंसान मौत के साए में चला जाता है और परिवार चाहकर भी अपने परिजन का जीवन नहीं बचा पाता है।

दरअसल, देखा जाए तो कोरोना के इस महासंकट ने जीवन को बनाए रखने के लिए ऐसे-ऐसे अनुभव दे दिए हैं कि सरकारें में अब अपनी पूर्व नीतियों पर विचार कर रही हैं और समय के साथ उनमें परिवर्तन के लिए उद्यत हो उठी हैं। मध्‍य प्रदेश में भी इन दिनों परिवर्तन का यही दौर चल रहा है। प्रदेश की शिवराज सरकार हर हाल में, हर संभव कोशिश करते हुए जीवन बचाने के काम में जुटी है। कोरोना की दवाओं के साथ यहां ध्‍यान में आया है कि तमाम ऐसी बीमारियां हैं, जिनकी मेडिकल जांच एवं ऑपरेशन तो महंगा है ही दवाएं भी इतनी महंगी है कि कई बार इंसान इनके आर्थ‍िक बोझ के चलते जीवन की आस ही खो बैठता है । प्रदेश की सरकार अब चाहती है कि महंगी दवाओं के कारण किसी का जीवन अवरुद्ध नहीं होना चाहिए, इसलिए शासन स्‍तर पर नीति इस प्रकार की बने कि बड़े से बड़े मर्ज की दवाएं भी सभी को सस्ती मिल सकें। अब यही कारण है कि मध्यप्रदेश अपनी फार्मा नीति बदलने जा रहा है।

बन रही नई फार्मा नीति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि प्रदेश में कैंसर, ब्लैक फंगस जैसी गंभीर बीमारियों की दवाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए नई फार्मा नीति बनाई जा रही है। गंभीर बीमारियों की सस्ती, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उच्च गुणवत्ता की दवाएं बनाना हमारी प्राथमिकता होगी। मध्‍य प्रदेश में कम समय में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक एम्फोरेवा-बी का उत्पादन आरंभ होना प्रदेश के लिए आनंद, संतोष और गौरव की बात है।

ब्‍लेक फंगस से निपटने के लिए इंजेक्शन का उत्पादन हुआ शुरू
उन्होंने कहा है कि ब्लेक फंगस से निपटने के लिए इस इंजेक्शन का उत्पादन प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। आधुनिक नैनो टेक्नोलॉजी आधारित इंजेक्शन का जबलपुर में उत्पादन और संबंधित कंपनी का डब्ल्यू.एच.ओ. और यूरोपियन जी.एम.पी. से सर्टिफाइड होना प्रदेश के लिए गौरव की बात है।

आत्मनिर्भर भारत निर्माण के मंत्र से प्रेरित है यह कार्य
मुख्यमंत्री शिवराज कहते हैं कि कैंसर और लंग्स-किडनी-लिवर ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर और आर्थिक रूप से कमर तोड़ देने वाली बीमारियों में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की सहायता के लिए राज्य सरकार यह फार्मा नीति बनाने पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का मंत्र दिया गया है। इस दिशा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए विकसित रोडमैप में स्वास्थ्य के लिए अधोसंरचना को सुदृढ़ करना शामिल है। हम इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि प्रदेश ने कोविड के महासंकट में पीड़ित मानवता के असीम कष्टों को देखा है, परन्तु अब स्थिति नियंत्रण में है। कल हुए 75 हजार टेस्ट में से मात्र 35 पॉजीटिव आए हैं। एक्टिव केस अब केवल 800 हैं। तीसरी लहर की आशंका सर्वत्र व्याप्त है। प्रदेश में संक्रमण को नियंत्रण में रखने के लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और किल-कोरोना अभियान लगातार जारी रहेगा।

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